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SPECIAL : 82 साल के राणाराम विश्नोई रेगिस्तान में लगा चुके हैं 50000 से ज्यादा पौधे...60 साल से पौधारोपण है मिशन

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Published : Mar 29, 2021, 11:01 PM IST

जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के एकलखोरी गांव के रेतीले धोरे में रहने वाले राणाराम विश्नोई जीवन के 82 वर्ष पूरे कर चुके हैं. उन्हें आस-पास के लोग ट्री मैन के रूप में जानते हैं. वजह है पेड़ों से उनका प्रेम. पिछले साठ साल में राणाराम 50 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
राणाराम विश्नोई पर्यावरण प्रेमी

जोधपुर. ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेंच चेंज के दौर में दुनिया में भर में इनको लेकर प्रदर्शन होते रहते हैं. आवाज उठाने पर ग्रेटा थनबर्ग जैसी बालिका विश्वपटल पर छा जाती हैं. लेकिन भारत में ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी प्रचार-प्रसार या सरकारी मदद के सिर्फ मानवता की भलाई के लिए प्रकृति को बचाने में लगे हैं. ऐसी ही शख्सियत हैं ट्री मैन राणाराम विश्नोई. देखिये ये विशेष रिपोर्ट...

ट्रीमैन राणाराम का अजब पर्यावरण प्रेम

जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के एकलखोरी गांव के रेतीले धोरे में रहने वाले राणाराम विश्नोई जीवन के 82 वर्ष पूरे कर चुके हैं. उन्हें आस-पास के लोग ट्री मैन के रूप में जानते हैं. वजह है पेडों से उनका प्रेम. पिछले पचास साल में राणाराम 50 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं. खास बात ये है कि ये पौधे उन्होंने रेतीले धोरों में लगाए हैं, जहां यह सब असंभव होता है.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
जहां पानी का घोर अभाव वहां ला रहे हरियाली

धुन के पक्के राणाराम ने इसे जीवन का मिशन बना लिया. यह क्रम आज भी जारी है. हालांकि बढती उम्र के चलते वे अब खुद पानी के घडे या बाल्टियां लेकर धोरे नहीं चढ़ सकते. यह काम उनके साथ उनके पुत्र विशेक विश्नोई करते हैं. राणाराम आज भी अपने घर के आस-पास लगाए पौधों की देख-रेख के लिए प्रतिदिन तीन से चार किलोमीटर चलते हैं.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
82 साल के राणाराम लगा चुके 50 हजार से ज्यादा पौधे

पढ़ें- पेड़ों की रक्षा पर कुर्बान हुए थे राजस्थान के 363 वीर, जानें पूरी कहानी

राणाराम विश्नोई किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वे जहां भी जाते हैं तो साथ में बीज लेकर जाते हैं. पेडों के लिए अनुकूल जगह देख यह सोच कर डाल देते हैं कि अगर पानी मिला तो यह जरूर पनप जाएंगे. अपने गांव एकल खोरी के आस-पास के धोरों पर नीम, रोहिडा, बबूल, कंकेरी जैसे हजारों पौधे पनपा चुके हैं. जो रेत में टिकते नहीं हैं. लेकिन उनकी लगन का ही परिणाम है कि धोरों पर पेड लहलहाते नजर आते हैं.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
रेगिस्तान में सैंकड़ों पेड लहलहाने लगे

प्रयोग भी किए

रेत में पत्तेदार पौधे टिकना आसान काम नही है. इसके लिए वे बाकायदा बाहर से पौधे लाकर कलम तैयार करते हैं. कलम पर गोबर और अन्य पदार्थ लगाकर एक जगह पहले लगाते हैं. कलम के अंकुरित होने पर वे उसे अलग-अलग जगह स्थापित करते हैं. यही कारण है कि धोरों पर सदाबहार जैसे रंगीन फूल के पौधे भी नजर आते हैं.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
उनकी मुहिम से रेगिस्तान में खिलने लगे फूल

कुछ छोटे सुंदर पौधों को पनपाने के लिए उन्हें पानी आवश्यकता अधिक होती है. ऐसे में उन्होंने प्लास्टिक के पाईप उनकी जडों तक डाले. जिससे पानी सीधे जड़ों तक पहुंच सके. रेत में सतह पर दिया गया पानी जड़ तक बमुश्किल पहुंचता है.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
दूर से घड़े भरकर पानी लाता है राणाराम का बेटा

कहते हैं हवा बदल रही है

राणाराम ठेठ राजस्थानी भाषा में कहते हैं कि आजकल हवा बदल गई है. पौधे पनपना मुश्किल होता जा रहा है. कीट बहुत लगते हैं. जो पौधे को पनपने के बाद खत्म कर देते हैं. इसके अलावा पानी का संकट गहराया हुआ है. अभी भी पडौस के कुंओं से पानी लाकर पौधों को देते हैं. सरकारी कनेक्शन उनके घर हुआ लेकिन नियमित आपूर्ति नहीं होती. जो परेशानी बढ़ा रही है.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
पेड़ों का धरती का नगीना मानते हैं राणाराम

राणाराम कहते हैं कि मैंने आज तक सरकार से कुछ नहीं मांगा. जो कुछ किया अपने स्तर पर ही किया. पंजाब हरियाणा से लोग आते हैं. वे अपने गांव लेकर जाते हैं. मै वहां भी यही कहता हूं कि पेड़ हैं तो जीवन है. यह हमारा धर्म है. इनकी रक्षा करो और पेड़ लगाओ.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
पेड़ों हरा रखने के लिए लगा दिया जीवन

यूं हुई शुरूआत

राणाराम बताते हैं कि जब वे 20-22 साल के थे तो बीकानेर गए थे. वहां विश्नोई समाज के मुकाम धाम में सभा थी. जाट नेता ज्ञान प्रकाश पिलानियां ने वृक्षारोपण को लेकर कई बातें कही. यह भी कहा कि विश्नोइयों का तो धर्म है पेड़ लगाना और उसकी रक्षा करना. उस दिन मैंने तय कर लिया कि मैं रूख लगाऊंगा. पहला पौधा वहीं मुकाम धाम में लगाया और उसके बाद गांव आकर काम शुरू किया.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
कलमें लगाकर पेड़ पनपाते हैं राणाराम

पढ़ें- पर्यावरण संरक्षण के लिए अलवर जिला परिषद की अभिनव पहल...कबाड़ को दिया नया रूप, सरकार ने की सराहना

जब भी कहीं जाने का मौका मिलता तो राणाराम वहां से पौधे और बीज ही लेकर जाते. बीजों की पहचान होने लगी. अब तो वे खुद उत्तम किस्म के बीच छांट कर लोगों को बताते हैं कि यह कारगर होगा.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
82 साल की उम्र में खुद करते हैं देखभाल

एक ट्यूबवेल की आवश्यकता

82 साल की उम्र में भी राणाराम के प्रयास कम नहीं हैं. शरीर से ज्यादा वे पानी की कमी से परेशान है. उनका कहना है उनके पास एक ट्यूबवैल सरकार खुदवा दे तो वे और जोश से काम करेंगे. उनके पुत्र विशेक बताते हैं हम इसको लेकर प्रयासरत हैं. अगर यह काम हो जाता है तो अपने गांव में एक बगीचा विकसित करना चाहते हैं जहां जानवर और पक्षियों को संरक्षण मिले.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
पेड़ों की जड़ों तक पानी पहुंचाने का तरीका

मुहिम अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की सोच

राणाराम मुहिम को आगे बढाने के लिए उनके पुत्र विशेक विश्नोई लगातार सक्रिय हैं. वे अमृतादेवी के वृक्ष बचाने की मुहिम को ग्लोबल ग्रीन 363 के नाम से आगे बढ़ा रहे हैं. इसके लिए वे जल्द श्रीलंका जाएंगे. इसको लेकर भारत के विदेश मंत्री से मिल चुके हैं.

जोधपुर. ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेंच चेंज के दौर में दुनिया में भर में इनको लेकर प्रदर्शन होते रहते हैं. आवाज उठाने पर ग्रेटा थनबर्ग जैसी बालिका विश्वपटल पर छा जाती हैं. लेकिन भारत में ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी प्रचार-प्रसार या सरकारी मदद के सिर्फ मानवता की भलाई के लिए प्रकृति को बचाने में लगे हैं. ऐसी ही शख्सियत हैं ट्री मैन राणाराम विश्नोई. देखिये ये विशेष रिपोर्ट...

ट्रीमैन राणाराम का अजब पर्यावरण प्रेम

जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र के एकलखोरी गांव के रेतीले धोरे में रहने वाले राणाराम विश्नोई जीवन के 82 वर्ष पूरे कर चुके हैं. उन्हें आस-पास के लोग ट्री मैन के रूप में जानते हैं. वजह है पेडों से उनका प्रेम. पिछले पचास साल में राणाराम 50 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं. खास बात ये है कि ये पौधे उन्होंने रेतीले धोरों में लगाए हैं, जहां यह सब असंभव होता है.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
जहां पानी का घोर अभाव वहां ला रहे हरियाली

धुन के पक्के राणाराम ने इसे जीवन का मिशन बना लिया. यह क्रम आज भी जारी है. हालांकि बढती उम्र के चलते वे अब खुद पानी के घडे या बाल्टियां लेकर धोरे नहीं चढ़ सकते. यह काम उनके साथ उनके पुत्र विशेक विश्नोई करते हैं. राणाराम आज भी अपने घर के आस-पास लगाए पौधों की देख-रेख के लिए प्रतिदिन तीन से चार किलोमीटर चलते हैं.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
82 साल के राणाराम लगा चुके 50 हजार से ज्यादा पौधे

पढ़ें- पेड़ों की रक्षा पर कुर्बान हुए थे राजस्थान के 363 वीर, जानें पूरी कहानी

राणाराम विश्नोई किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वे जहां भी जाते हैं तो साथ में बीज लेकर जाते हैं. पेडों के लिए अनुकूल जगह देख यह सोच कर डाल देते हैं कि अगर पानी मिला तो यह जरूर पनप जाएंगे. अपने गांव एकल खोरी के आस-पास के धोरों पर नीम, रोहिडा, बबूल, कंकेरी जैसे हजारों पौधे पनपा चुके हैं. जो रेत में टिकते नहीं हैं. लेकिन उनकी लगन का ही परिणाम है कि धोरों पर पेड लहलहाते नजर आते हैं.

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रेगिस्तान में सैंकड़ों पेड लहलहाने लगे

प्रयोग भी किए

रेत में पत्तेदार पौधे टिकना आसान काम नही है. इसके लिए वे बाकायदा बाहर से पौधे लाकर कलम तैयार करते हैं. कलम पर गोबर और अन्य पदार्थ लगाकर एक जगह पहले लगाते हैं. कलम के अंकुरित होने पर वे उसे अलग-अलग जगह स्थापित करते हैं. यही कारण है कि धोरों पर सदाबहार जैसे रंगीन फूल के पौधे भी नजर आते हैं.

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उनकी मुहिम से रेगिस्तान में खिलने लगे फूल

कुछ छोटे सुंदर पौधों को पनपाने के लिए उन्हें पानी आवश्यकता अधिक होती है. ऐसे में उन्होंने प्लास्टिक के पाईप उनकी जडों तक डाले. जिससे पानी सीधे जड़ों तक पहुंच सके. रेत में सतह पर दिया गया पानी जड़ तक बमुश्किल पहुंचता है.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
दूर से घड़े भरकर पानी लाता है राणाराम का बेटा

कहते हैं हवा बदल रही है

राणाराम ठेठ राजस्थानी भाषा में कहते हैं कि आजकल हवा बदल गई है. पौधे पनपना मुश्किल होता जा रहा है. कीट बहुत लगते हैं. जो पौधे को पनपने के बाद खत्म कर देते हैं. इसके अलावा पानी का संकट गहराया हुआ है. अभी भी पडौस के कुंओं से पानी लाकर पौधों को देते हैं. सरकारी कनेक्शन उनके घर हुआ लेकिन नियमित आपूर्ति नहीं होती. जो परेशानी बढ़ा रही है.

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पेड़ों का धरती का नगीना मानते हैं राणाराम

राणाराम कहते हैं कि मैंने आज तक सरकार से कुछ नहीं मांगा. जो कुछ किया अपने स्तर पर ही किया. पंजाब हरियाणा से लोग आते हैं. वे अपने गांव लेकर जाते हैं. मै वहां भी यही कहता हूं कि पेड़ हैं तो जीवन है. यह हमारा धर्म है. इनकी रक्षा करो और पेड़ लगाओ.

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पेड़ों हरा रखने के लिए लगा दिया जीवन

यूं हुई शुरूआत

राणाराम बताते हैं कि जब वे 20-22 साल के थे तो बीकानेर गए थे. वहां विश्नोई समाज के मुकाम धाम में सभा थी. जाट नेता ज्ञान प्रकाश पिलानियां ने वृक्षारोपण को लेकर कई बातें कही. यह भी कहा कि विश्नोइयों का तो धर्म है पेड़ लगाना और उसकी रक्षा करना. उस दिन मैंने तय कर लिया कि मैं रूख लगाऊंगा. पहला पौधा वहीं मुकाम धाम में लगाया और उसके बाद गांव आकर काम शुरू किया.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
कलमें लगाकर पेड़ पनपाते हैं राणाराम

पढ़ें- पर्यावरण संरक्षण के लिए अलवर जिला परिषद की अभिनव पहल...कबाड़ को दिया नया रूप, सरकार ने की सराहना

जब भी कहीं जाने का मौका मिलता तो राणाराम वहां से पौधे और बीज ही लेकर जाते. बीजों की पहचान होने लगी. अब तो वे खुद उत्तम किस्म के बीच छांट कर लोगों को बताते हैं कि यह कारगर होगा.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
82 साल की उम्र में खुद करते हैं देखभाल

एक ट्यूबवेल की आवश्यकता

82 साल की उम्र में भी राणाराम के प्रयास कम नहीं हैं. शरीर से ज्यादा वे पानी की कमी से परेशान है. उनका कहना है उनके पास एक ट्यूबवैल सरकार खुदवा दे तो वे और जोश से काम करेंगे. उनके पुत्र विशेक बताते हैं हम इसको लेकर प्रयासरत हैं. अगर यह काम हो जाता है तो अपने गांव में एक बगीचा विकसित करना चाहते हैं जहां जानवर और पक्षियों को संरक्षण मिले.

Jodhpur Ranaram Vishnoi,  Tree man ranaram vishnoi,  Ranaram Vishnoi's love for the environment
पेड़ों की जड़ों तक पानी पहुंचाने का तरीका

मुहिम अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की सोच

राणाराम मुहिम को आगे बढाने के लिए उनके पुत्र विशेक विश्नोई लगातार सक्रिय हैं. वे अमृतादेवी के वृक्ष बचाने की मुहिम को ग्लोबल ग्रीन 363 के नाम से आगे बढ़ा रहे हैं. इसके लिए वे जल्द श्रीलंका जाएंगे. इसको लेकर भारत के विदेश मंत्री से मिल चुके हैं.

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