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भरतपुर: 125 साल में पहली बार बंद हुए झील का बाड़ा देवी मंदिर के कपाट

देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण कई बड़े बड़े मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए बंद हैं. जिसके कारण भक्त भगवान के दर्शन के लिए तरस रहे हैं. वहीं, भरतपुर के बयाना में स्थित झील का बाड़ा का मंदिर भी इन दिनों पूरी तरह बंद है. यहां के लोगों का कहना है कि इतने सालों में कभी भी ये मंदिर भक्तों के लिए बंद नहीं हुआ है.

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125 साल में पहली बार बंद हुआ झील का बाड़ा का मंदिर
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Published : May 24, 2020, 5:33 PM IST

भरतपुर. देश मे फैली कोरोना महामारी की वजह से देश के सारे बड़े मंदिरों के पट दर्शनों के लिए पूरी तरह से बंद किए हुए हैं. जिसके बाद भक्त अपने प्रभु के दर्शनों के लिए तरस गए हैं. इस संकट की घड़ी में भगवान के दर्शन करने आने वाले भक्तों को बिना दर्शन के ही लौटना पड़ रहा है. हालांकि मंदिरों में सुबह शाम भगवान की आरती की जा रही है, लेकिन भगवान के गेट भक्तों के लिए अभी बंद है.

125 साल में पहली बार बंद हुआ झील का बाड़ा का मंदिर

वहीं, बयाना में प्रमुख आस्था का धाम झील का बाड़ा का मंदिर भी इन दिनों पूरी तरह से बंद है. झील का बाड़ा मंदिर के पट बंद हुए आज 02 महीने हो चुके है. वहीं, 90 साल के एक बुजुग ने बताया कि उन्होंने कभी भी झील का बाड़ा देवी के मंदिर के पट कभी बंद होते नहीं देखा और ना ही उन्होंने अपने बुजुर्गों से कभी इस तरह मंदिर बंद रखने के बारे में सुना था.

मंदिर के पुजारी बृजकिशोर शर्मा मंदिर के पट बंद रखकर माता कैलादेवी की नियमित पूजा आरती करते हैं. उन्होंने बताया कि देवस्थान विभाग के निर्देशानुसार पिछले 21 मार्च से इस मंदिर के पट और श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश बंद है. कोरोना संकट के चलते इस बार वहां वार्षिक मेले का भी आयोजन नहीं हो सका.

कैलादेवी का ये प्राचीन मंदिर बयाना भरतपुर रोड पर बयाना से 15 किमी और भरतपुर से 30 किमी दूर अरावली पर्वत माला की गोद में स्थित घने जंगलों में करीब 125 साल पहले भरतपुर के तत्कालीन महाराजा की ओर से बनवाया गया था. इस मंदिर परिसर में ही करीब 100 साल पहले महाराजा किशनसिंह की ओर से रविकुंड सरोवर का निर्माण कराया गया था.

इस मंदिर में विराजित चमत्कारी माता श्रीकैलादेवी भरतपुर राज परिवार की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है. जो महालक्ष्मी का रूप बताई जाती है. लोकमान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में श्रीकैलादेवी के चरणों में मात्र बीडा, पान, बताशे चढ़ाकर श्रद्धा से मन्नत मांगी जाए तो देवी उसे अवश्य पूरी करती है.

पढ़ें- भरतपुर में एक और कोरोना पॉजिटिव का मामला, संक्रमित मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 135

देवस्थान विभाग के सहायक कमिश्नर के. के. खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना संकट के चलते विभागीय निर्देशानुसार श्रीकैलादेवी झील का बाडा के प्राचीन मंदिर सहित भरतपुर जिले के देवस्थान विभाग की ओर से 34 दिन बंद किए हो गए हैं. जो विभागीय निर्देशानुसार समय आने पर ही खोले जा सकेंगे. इन सभी मंदिरों में नियमित पूजा सेवा का काम जारी है. किन्तु श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों का प्रवेश बंद है.

बताया जाता है कि सवा सौ साल के इतिहास में झील का बाडा का ये मंदिर पहली बार इस तरह इतने दिनों तक बंद रखा गया है. देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से देश के सारे बड़े मंदिरों के पट दर्शनों के लिए पूरी तरह से बंद किए हुए हैं. जिसके बाद भक्त अपने प्रभु के दर्शनों के लिए तरस गए है. इस संकट की घड़ी में भगवान के दर्शन करने आने वाले भक्तों को बिना दर्शन के ही लौटना पड़ रहा है.

भरतपुर. देश मे फैली कोरोना महामारी की वजह से देश के सारे बड़े मंदिरों के पट दर्शनों के लिए पूरी तरह से बंद किए हुए हैं. जिसके बाद भक्त अपने प्रभु के दर्शनों के लिए तरस गए हैं. इस संकट की घड़ी में भगवान के दर्शन करने आने वाले भक्तों को बिना दर्शन के ही लौटना पड़ रहा है. हालांकि मंदिरों में सुबह शाम भगवान की आरती की जा रही है, लेकिन भगवान के गेट भक्तों के लिए अभी बंद है.

125 साल में पहली बार बंद हुआ झील का बाड़ा का मंदिर

वहीं, बयाना में प्रमुख आस्था का धाम झील का बाड़ा का मंदिर भी इन दिनों पूरी तरह से बंद है. झील का बाड़ा मंदिर के पट बंद हुए आज 02 महीने हो चुके है. वहीं, 90 साल के एक बुजुग ने बताया कि उन्होंने कभी भी झील का बाड़ा देवी के मंदिर के पट कभी बंद होते नहीं देखा और ना ही उन्होंने अपने बुजुर्गों से कभी इस तरह मंदिर बंद रखने के बारे में सुना था.

मंदिर के पुजारी बृजकिशोर शर्मा मंदिर के पट बंद रखकर माता कैलादेवी की नियमित पूजा आरती करते हैं. उन्होंने बताया कि देवस्थान विभाग के निर्देशानुसार पिछले 21 मार्च से इस मंदिर के पट और श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश बंद है. कोरोना संकट के चलते इस बार वहां वार्षिक मेले का भी आयोजन नहीं हो सका.

कैलादेवी का ये प्राचीन मंदिर बयाना भरतपुर रोड पर बयाना से 15 किमी और भरतपुर से 30 किमी दूर अरावली पर्वत माला की गोद में स्थित घने जंगलों में करीब 125 साल पहले भरतपुर के तत्कालीन महाराजा की ओर से बनवाया गया था. इस मंदिर परिसर में ही करीब 100 साल पहले महाराजा किशनसिंह की ओर से रविकुंड सरोवर का निर्माण कराया गया था.

इस मंदिर में विराजित चमत्कारी माता श्रीकैलादेवी भरतपुर राज परिवार की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है. जो महालक्ष्मी का रूप बताई जाती है. लोकमान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में श्रीकैलादेवी के चरणों में मात्र बीडा, पान, बताशे चढ़ाकर श्रद्धा से मन्नत मांगी जाए तो देवी उसे अवश्य पूरी करती है.

पढ़ें- भरतपुर में एक और कोरोना पॉजिटिव का मामला, संक्रमित मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 135

देवस्थान विभाग के सहायक कमिश्नर के. के. खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना संकट के चलते विभागीय निर्देशानुसार श्रीकैलादेवी झील का बाडा के प्राचीन मंदिर सहित भरतपुर जिले के देवस्थान विभाग की ओर से 34 दिन बंद किए हो गए हैं. जो विभागीय निर्देशानुसार समय आने पर ही खोले जा सकेंगे. इन सभी मंदिरों में नियमित पूजा सेवा का काम जारी है. किन्तु श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों का प्रवेश बंद है.

बताया जाता है कि सवा सौ साल के इतिहास में झील का बाडा का ये मंदिर पहली बार इस तरह इतने दिनों तक बंद रखा गया है. देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से देश के सारे बड़े मंदिरों के पट दर्शनों के लिए पूरी तरह से बंद किए हुए हैं. जिसके बाद भक्त अपने प्रभु के दर्शनों के लिए तरस गए है. इस संकट की घड़ी में भगवान के दर्शन करने आने वाले भक्तों को बिना दर्शन के ही लौटना पड़ रहा है.

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