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JNVU के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला हुआ रोचक, जाट और राजपूत प्रत्याशी आमने सामने - छात्रसंघ चुनाव

जेनएवीयू के छात्रसंघ चुनाव में इस बार एनएसयूआई और एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के प्रत्याशियों के सामने बागी जाट व राजपूत प्रत्याशी खड़े हो गए हैं. दोनों ओर से जाट व राजपूत प्रत्याशी आमने-सामने होने की स्थिति होने के चलते वोट बंटने के आसार हैं. हालांकि, जीत का फासला तय करने के लिए अन्य वोटों की भी दरकार होगी. कुल मिलाकर मुकाबला रोचक होने वाला है.

Student union election in JNVU, clash of Jat and Rajput candidates from ABVP and NSUI
जेनएवीयू के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला हुआ रोचक, जाट-राजपूत प्रत्याशी आमने सामने
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Published : Aug 15, 2022, 10:24 PM IST

Updated : Aug 15, 2022, 10:37 PM IST

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (Jai Narain Vyas University) के छात्रसंघ चुनाव में इस बार मुकाबला जोरदार और धमासान होने की उम्मीद (Student union election in JNVU) है. कारण है एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों के अध्यक्ष के पद के प्रत्याशी सामने आने के बाद दोनों दलों के मजबूत दावेदार बागी के रूप में मैदान में आ गए हैं. खास बात यह है कि दोनों संगठनों के बागी भी जाट व राजपूत हैं. ऐसे में मुकाबला सीधे तौर पर एक बार फिर जाट राजपूत के बीच होना तय हो गया है.

सबसे बड़ी परेशानी एनएसयूआई के लिए है. संगठन से प्रत्याशी के रूप में दावेदार रहे अरविंद सिंह भाटी ने एसएफआई का हाथ थाम लिया है. भाटी ने कहा कि जिस संगठन से मैंने तैयारी की उसने मुझे नजरअंदाज किया. संगठन नहीं उसमें बैठे लोग खराब होते हैं. प्रभारी ने मुझे प्रत्याशी बना दिया था, माला पहना दी थी. लेकिन दस मिनट बाद ही बदल गए. अब 27 अगस्त को जो परिणाम होगा, वह इसका जवाब होगा. एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर सवाल उठ रहे (NSUI candidates for student union elections) हैं. ओसियां व बिलाड़ा विधायकों ने अपने क्षेत्र के घोषित प्रत्याशी को लेकर भी नाराजगी जताई है.

पढ़ें: Rajasthan Student Union Election : छात्रसंघ चुनाव में करीब 60 फीसदी छात्र अपने वोट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, ABVP ने की ये मांग

एबीवीपी के बागी जोधा मैदान में: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जेएनवीयू में ज्यादातर राजपूत प्रत्याशी ही उतारता रहा है. यही कारण है कि मोतीसिंह जोधा ने दावेदारी की. उसके साथ ही राजवीर सिंह बांता ने भी दावेदारी की. करीब 11 साल बाद एबीवीपी ने अपनी रणनीति बदली और जाट प्रत्याशी के रूप में राजवीर को प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद मोती सिंह जोधा मैदान में आ गए. चुनाव लड़ने का एलान कर कार्यालय खोल दिया. दूसरी और एनएसयूआई जाटों को प्रत्याशी बनाती आई है, लेकिन राजपूत भी इस संगठन से अध्यक्ष बने हैं. इसलिए अरविंद सिंह भाटी मशक्कत कर रहे थे. संगठन ने हरेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बना दिया.

पढ़ें: सिंडिकेट ने एबीवीपी को दिए आश्वासन को किया दरकिनार, नियमित छात्र ही लड़ सकेगा छात्रसंघ चुनाव

दोनों के लिए यह परेशानी: अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी व एनएसयूआई से जाट प्रत्याशी हैं. उनके सामने उनके बागी दोनों राजपूत हैं. एबीवीपी (ABVP candidates for student union elections) का कोर वोटर राजपूत है, जिसके छिटकने की पूरी आशंका है. यह वोटर अरविंद सिंह भाटी की ओर ज्यादा जाने की संभावना है, क्योंकि उसे पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी का भी समर्थन है. साथ ही एसएफआई का भीश जिसका कोर वोटर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र हैं. उनका झुकाव भाटी की ओर होने से वजन बढ़ सकता है. दूसरी और अध्यक्ष के दोनों संगठनों के जाट प्रत्याशी राजवीर व हरेंद्र चौधरी के बीच जाटों के वोट बटेंगे. इनमें ज्यादा वोट लेने वाला भारी पड़ेगा. लेकिन उन्हें दूसरे वोट भी चाहिए. क्योंकि सिर्फ जातिगत वोटों से भी जीतना आसान नहीं है.

पढ़ें: शहर को बदरंग करने वाले छात्र नेताओं पर FIR, सख्त कार्रवाई पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर विधायक नाराज: जिले के महाविद्यालयो में छात्रसंघ चुनाव की चौसर बिछ चुकी है. अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन हो गए हैं. लेकिन एनएसयूआई के प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस के ही विधायकों ने एतराज जताया है. इनमें ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा व बिलाड़ा विधायक हीराराम मेघवाल शामिल हैं. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई द्वारा आरएलपी समर्थक को बावडी महाविद्यालय में प्रत्याशी बनाने पर एतराज जताया, तो मेघवाल ने बिलाड़ा में एनएसयूआई ने जिसे प्रत्याशी बनाया था उसको लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई के प्रभारी गुरूजोत संधु को इसको लेकर ट्विट भी किया.

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (Jai Narain Vyas University) के छात्रसंघ चुनाव में इस बार मुकाबला जोरदार और धमासान होने की उम्मीद (Student union election in JNVU) है. कारण है एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों के अध्यक्ष के पद के प्रत्याशी सामने आने के बाद दोनों दलों के मजबूत दावेदार बागी के रूप में मैदान में आ गए हैं. खास बात यह है कि दोनों संगठनों के बागी भी जाट व राजपूत हैं. ऐसे में मुकाबला सीधे तौर पर एक बार फिर जाट राजपूत के बीच होना तय हो गया है.

सबसे बड़ी परेशानी एनएसयूआई के लिए है. संगठन से प्रत्याशी के रूप में दावेदार रहे अरविंद सिंह भाटी ने एसएफआई का हाथ थाम लिया है. भाटी ने कहा कि जिस संगठन से मैंने तैयारी की उसने मुझे नजरअंदाज किया. संगठन नहीं उसमें बैठे लोग खराब होते हैं. प्रभारी ने मुझे प्रत्याशी बना दिया था, माला पहना दी थी. लेकिन दस मिनट बाद ही बदल गए. अब 27 अगस्त को जो परिणाम होगा, वह इसका जवाब होगा. एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर सवाल उठ रहे (NSUI candidates for student union elections) हैं. ओसियां व बिलाड़ा विधायकों ने अपने क्षेत्र के घोषित प्रत्याशी को लेकर भी नाराजगी जताई है.

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एबीवीपी के बागी जोधा मैदान में: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जेएनवीयू में ज्यादातर राजपूत प्रत्याशी ही उतारता रहा है. यही कारण है कि मोतीसिंह जोधा ने दावेदारी की. उसके साथ ही राजवीर सिंह बांता ने भी दावेदारी की. करीब 11 साल बाद एबीवीपी ने अपनी रणनीति बदली और जाट प्रत्याशी के रूप में राजवीर को प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद मोती सिंह जोधा मैदान में आ गए. चुनाव लड़ने का एलान कर कार्यालय खोल दिया. दूसरी और एनएसयूआई जाटों को प्रत्याशी बनाती आई है, लेकिन राजपूत भी इस संगठन से अध्यक्ष बने हैं. इसलिए अरविंद सिंह भाटी मशक्कत कर रहे थे. संगठन ने हरेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बना दिया.

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दोनों के लिए यह परेशानी: अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी व एनएसयूआई से जाट प्रत्याशी हैं. उनके सामने उनके बागी दोनों राजपूत हैं. एबीवीपी (ABVP candidates for student union elections) का कोर वोटर राजपूत है, जिसके छिटकने की पूरी आशंका है. यह वोटर अरविंद सिंह भाटी की ओर ज्यादा जाने की संभावना है, क्योंकि उसे पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी का भी समर्थन है. साथ ही एसएफआई का भीश जिसका कोर वोटर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र हैं. उनका झुकाव भाटी की ओर होने से वजन बढ़ सकता है. दूसरी और अध्यक्ष के दोनों संगठनों के जाट प्रत्याशी राजवीर व हरेंद्र चौधरी के बीच जाटों के वोट बटेंगे. इनमें ज्यादा वोट लेने वाला भारी पड़ेगा. लेकिन उन्हें दूसरे वोट भी चाहिए. क्योंकि सिर्फ जातिगत वोटों से भी जीतना आसान नहीं है.

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एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर विधायक नाराज: जिले के महाविद्यालयो में छात्रसंघ चुनाव की चौसर बिछ चुकी है. अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन हो गए हैं. लेकिन एनएसयूआई के प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस के ही विधायकों ने एतराज जताया है. इनमें ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा व बिलाड़ा विधायक हीराराम मेघवाल शामिल हैं. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई द्वारा आरएलपी समर्थक को बावडी महाविद्यालय में प्रत्याशी बनाने पर एतराज जताया, तो मेघवाल ने बिलाड़ा में एनएसयूआई ने जिसे प्रत्याशी बनाया था उसको लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई के प्रभारी गुरूजोत संधु को इसको लेकर ट्विट भी किया.

Last Updated : Aug 15, 2022, 10:37 PM IST
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