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जोधपुर : प्रसूता और उसके नवजात जुड़वां बच्चों की मौत मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने तलब की रिपोर्ट - Jodhpur Maternity Death State Human Rights Commission

जोधपुर में एक निजी अस्पताल में प्रसूता और उसके जुड़वां नवजात बच्चों की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने इस मामले में 9 नवंबर तक रिपोर्ट तलब की है.

जोधपुर प्रसूता मौत राज्य मानवाधिकार आयोग
जोधपुर प्रसूता मौत राज्य मानवाधिकार आयोग
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Published : Nov 2, 2021, 7:15 PM IST

जोधपुर. हाउसिंग बोर्ड स्थित वसुंधरा अस्प्ताल में सोमवार रात को प्रसूता दीपा कच्छवाह और उसके दो नवजात की मृत्यु के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने इस संदर्भ में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर प्रसंज्ञान लिया.

मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव, पुलिस कमिश्नर जोधपुर एवं जिला कलेक्टर जोधपुर से इस प्रकरण में 9 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है. जस्टिस व्यास ने रिपोर्ट में प्रसूता के भर्ती करने का समय, उसको दी गई दवाइयां, प्रसूता एवं नवजात बच्चों की सुरक्षा के लिए अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों की विस्तृत जानकारी मांगी है.

साथ ही प्रसूता का उपचार करने वाले चिकित्साकर्मियों व डॉक्टर्स की योग्यता से संबंधित दस्तावेज के बारे में जानकारी मांगी गई है. मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने इस प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले लोगों की रिपोर्ट मांगी है.

ये है मामला

गौरतलब है कि वसुंधरा अस्पतल में प्रसूता दीपा कच्छवाह का नियमित उपचार चल रहा था. उसे जुडवां बच्चे थे. सोमवार को प्रसूता को अस्पताल में कहा गया कि सब कुछ नॉर्मल है. प्रसव की तिथि 4 दिसंबर दी गई थी. लेकिन डॉक्टरों ने तुरंत प्रसव करवाने की बात परिजनों से कही तो प्रसूता के पति चंदनसिंह ने उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया.

पढ़ें- जोधपुर: प्रसूता और जुड़वा नवजात की मौत पर अस्पताल में हंगामा, परिजनों ने लगाया ज्यादा एंटीबायोटिक देने का आरोप

परिजनों का आरोप है कि उसे एक एंटिबायोटिक इंजेक्शन दिया गया था, जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उसे सिजेरियन के लिए ले जाया गया. जहां पहले कहा गया कि बेटा जन्मा है, स्वस्थ्य है और बाद में कहा कि बच्चे की मृत्यु हो गई. कुछ देर बाद दीपा व उसके दूसरे नवजात की मृत्यु के बारे में बताया गया. परिजनों ने इस संदर्भ में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में मामला दर्ज करवाया. पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सुपुर्द किया.

परिजनों ने लगाए थे ये आरोप

पुलिस रिपोर्ट में मृतका के पति ने आरोप लगाया था कि अंतिम समय तक डॉक्टर एक लाख रुपए जमा करवाने पर जोर देते रहे. मंगलवार सुबह अस्पताल में हंगामा भी हुआ. दीपा का उपचार वसुंधरा अस्पताल की डॉ. रेनू मकवाना के पास चल रहा था. डॉक्टर के कहने पर दीपा को अस्पताल में भर्ती कराया था. दीपा के पति चंदन का आरोप है कि भर्ती करवाने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को 1000 एमजी का एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद उसकी तबीयत खराब होने लगी.

चंदन का दावा है कि बेटे के जन्म के 10 या 15 मिनट बाद उससे कहा गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है. दीपा को बचाने के लिए आप तुरंत काउंटर पर एक लाख रुपए जमा करवाइए. पैसे जमा कराने की हामी भरने के बावजूद अस्पताल स्टाफ उन्हें बार-बार पैसे जमा करवाने का दबाव डालने लगा. दीपा और दोनों नवजात की मौत के बाद जब चंदन ने डॉक्टर से सवाल किए, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.

जोधपुर. हाउसिंग बोर्ड स्थित वसुंधरा अस्प्ताल में सोमवार रात को प्रसूता दीपा कच्छवाह और उसके दो नवजात की मृत्यु के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने इस संदर्भ में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर प्रसंज्ञान लिया.

मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव, पुलिस कमिश्नर जोधपुर एवं जिला कलेक्टर जोधपुर से इस प्रकरण में 9 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है. जस्टिस व्यास ने रिपोर्ट में प्रसूता के भर्ती करने का समय, उसको दी गई दवाइयां, प्रसूता एवं नवजात बच्चों की सुरक्षा के लिए अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों की विस्तृत जानकारी मांगी है.

साथ ही प्रसूता का उपचार करने वाले चिकित्साकर्मियों व डॉक्टर्स की योग्यता से संबंधित दस्तावेज के बारे में जानकारी मांगी गई है. मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने इस प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले लोगों की रिपोर्ट मांगी है.

ये है मामला

गौरतलब है कि वसुंधरा अस्पतल में प्रसूता दीपा कच्छवाह का नियमित उपचार चल रहा था. उसे जुडवां बच्चे थे. सोमवार को प्रसूता को अस्पताल में कहा गया कि सब कुछ नॉर्मल है. प्रसव की तिथि 4 दिसंबर दी गई थी. लेकिन डॉक्टरों ने तुरंत प्रसव करवाने की बात परिजनों से कही तो प्रसूता के पति चंदनसिंह ने उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया.

पढ़ें- जोधपुर: प्रसूता और जुड़वा नवजात की मौत पर अस्पताल में हंगामा, परिजनों ने लगाया ज्यादा एंटीबायोटिक देने का आरोप

परिजनों का आरोप है कि उसे एक एंटिबायोटिक इंजेक्शन दिया गया था, जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद उसे सिजेरियन के लिए ले जाया गया. जहां पहले कहा गया कि बेटा जन्मा है, स्वस्थ्य है और बाद में कहा कि बच्चे की मृत्यु हो गई. कुछ देर बाद दीपा व उसके दूसरे नवजात की मृत्यु के बारे में बताया गया. परिजनों ने इस संदर्भ में चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में मामला दर्ज करवाया. पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सुपुर्द किया.

परिजनों ने लगाए थे ये आरोप

पुलिस रिपोर्ट में मृतका के पति ने आरोप लगाया था कि अंतिम समय तक डॉक्टर एक लाख रुपए जमा करवाने पर जोर देते रहे. मंगलवार सुबह अस्पताल में हंगामा भी हुआ. दीपा का उपचार वसुंधरा अस्पताल की डॉ. रेनू मकवाना के पास चल रहा था. डॉक्टर के कहने पर दीपा को अस्पताल में भर्ती कराया था. दीपा के पति चंदन का आरोप है कि भर्ती करवाने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को 1000 एमजी का एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद उसकी तबीयत खराब होने लगी.

चंदन का दावा है कि बेटे के जन्म के 10 या 15 मिनट बाद उससे कहा गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है. दीपा को बचाने के लिए आप तुरंत काउंटर पर एक लाख रुपए जमा करवाइए. पैसे जमा कराने की हामी भरने के बावजूद अस्पताल स्टाफ उन्हें बार-बार पैसे जमा करवाने का दबाव डालने लगा. दीपा और दोनों नवजात की मौत के बाद जब चंदन ने डॉक्टर से सवाल किए, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.

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