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स्पेशल रिपोर्टः बढ़ते नए रोगियों के साथ साथ दवाई छोड़ने वाले संक्रमित बन रहे हैं परेशानी

पूरे पश्चिमी राजस्थान में HIV से ग्रसित मरीजों के उपचार का प्रमुख केंद्र डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत संचालित संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र है. जहां केंद्र के एआरटी सेंटर पर करीब 14 हजार संक्रमित पंजीकृत हैं. वहीं, इसमें हर महीने करीब 50 से 60 रोगियों की वृद्धि हो रही है. पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

एड्स पर स्पेशल रिपोर्ट , special report on aids
एड्स पर स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Dec 1, 2019, 4:38 AM IST

जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान में HIV संक्रमित रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हालांकि, 2007 से 2010 के दौर में सामने आए रोगियों की संख्या से कम है. लेकिन हर माह करीब 50 से 60 रोगी एआरटी सेंटर पर पंजीकृत हो रहे हैं.

एड्स पर स्पेशल रिपोर्ट

एआरटी एंटीरेट्रो वायरल थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत

डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र पर चल रहे संभाग के सबसे बड़े एआरटी एंटीरेट्रो वायरल थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत है. जबकि पूरे संभाग के 6 जिलो में करीब 23 हजार महिला-पुरुष और 1550 बच्चे पंजीकृत हैं.

4 हजार से ज्यादा रोगी दवाइयों से बना ली है दूरी

वहीं, नए रोगियों के जुड़ने की एक वजह जागरूकता भी मानी जाती है. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी है इन रोगियों के दवाई से दूरी बनाने की है. वर्तमान में करीब 4 हजार ऐसे रोगी हैं, जो एआरटी सेंटर्स से दवाइयों से दूरी बना चुके हैं. ऐसे रोगी सरकार के HIV रोकथाम के अभियान के लिए चुनौती बने हुए हैं.

पढ़ें- अजमेर: 'विश्‍व एड्स दिवस' के पूर्व निकाली गई जागरूकता रैली

उधर, चिंता का विषय ऐसे बच्चे भी हैं जिनके अभिभावकों की जान इस रोग ने ले ली और वे बच्चे अब अनाथ हैं. जोधपुर में ऐसे अनाथ बच्चों का सहारा बाल बसेरा बना हुआ है. जहां ऐसे बच्चों को रखा जाता है और उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के तमाम प्रयास जारी हैं.

बाल बसेरा के संचालक दिनेश जोशी जो बतौर सोशल वर्कर इस जानलेवा रोग की रोकथाम के अभियान से जुड़े हैं, उन्होंने बताया कि रोगियों की हर माह संख्या बढ़ने से ज्यादा परेशानी दवाई छोड़ने वालों की संख्या है, जो बेहद घातक सबित हो सकती है. क्योंकि ऐसे रोगी संक्रमण को बढ़ावा भी दे सकते हैं.

HIV संक्रमितों के लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम परेशानी

बता दें कि जोशी बालक और बालिकाओं के अलग-अलग बाल बसेरा संचालित करते हैं. इसके अलावा इनके स्वास्थ्य की जांच और शिक्षा की पूरी जिम्मेवारी उठाते हैं. उनका कहना है कि HIV संक्रमितों के लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम परेशानी है. इसके अलावा डॉक्टरों की भी कमी बनी हुई है.

उधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ का कहना है कि सेंटर पर हमने सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करवा रखी है. उन्होंने बताया कि इसमें सुधार जारी है.

कंपेरटिव फैक्ट फाइल राजस्थान

वर्ष कुल संक्रमित बच्चे
2009 76317 3909
2011 73543 5711
2015 1.03 लाख 7500
2019 92000 13000

जोधपुर संभाग की वर्तमान स्थिति

कुल संक्रमित बच्चे
23000 1550
  • मृत्यु वर्ष 2012 से 2019 मार्च तक: 950 पुरुष व महिला, 255 बच्चे
  • स्त्रोत : नॉको एवं एआरटी सेंटर

जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान में HIV संक्रमित रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हालांकि, 2007 से 2010 के दौर में सामने आए रोगियों की संख्या से कम है. लेकिन हर माह करीब 50 से 60 रोगी एआरटी सेंटर पर पंजीकृत हो रहे हैं.

एड्स पर स्पेशल रिपोर्ट

एआरटी एंटीरेट्रो वायरल थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत

डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र पर चल रहे संभाग के सबसे बड़े एआरटी एंटीरेट्रो वायरल थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत है. जबकि पूरे संभाग के 6 जिलो में करीब 23 हजार महिला-पुरुष और 1550 बच्चे पंजीकृत हैं.

4 हजार से ज्यादा रोगी दवाइयों से बना ली है दूरी

वहीं, नए रोगियों के जुड़ने की एक वजह जागरूकता भी मानी जाती है. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी है इन रोगियों के दवाई से दूरी बनाने की है. वर्तमान में करीब 4 हजार ऐसे रोगी हैं, जो एआरटी सेंटर्स से दवाइयों से दूरी बना चुके हैं. ऐसे रोगी सरकार के HIV रोकथाम के अभियान के लिए चुनौती बने हुए हैं.

पढ़ें- अजमेर: 'विश्‍व एड्स दिवस' के पूर्व निकाली गई जागरूकता रैली

उधर, चिंता का विषय ऐसे बच्चे भी हैं जिनके अभिभावकों की जान इस रोग ने ले ली और वे बच्चे अब अनाथ हैं. जोधपुर में ऐसे अनाथ बच्चों का सहारा बाल बसेरा बना हुआ है. जहां ऐसे बच्चों को रखा जाता है और उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के तमाम प्रयास जारी हैं.

बाल बसेरा के संचालक दिनेश जोशी जो बतौर सोशल वर्कर इस जानलेवा रोग की रोकथाम के अभियान से जुड़े हैं, उन्होंने बताया कि रोगियों की हर माह संख्या बढ़ने से ज्यादा परेशानी दवाई छोड़ने वालों की संख्या है, जो बेहद घातक सबित हो सकती है. क्योंकि ऐसे रोगी संक्रमण को बढ़ावा भी दे सकते हैं.

HIV संक्रमितों के लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम परेशानी

बता दें कि जोशी बालक और बालिकाओं के अलग-अलग बाल बसेरा संचालित करते हैं. इसके अलावा इनके स्वास्थ्य की जांच और शिक्षा की पूरी जिम्मेवारी उठाते हैं. उनका कहना है कि HIV संक्रमितों के लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम परेशानी है. इसके अलावा डॉक्टरों की भी कमी बनी हुई है.

उधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ का कहना है कि सेंटर पर हमने सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करवा रखी है. उन्होंने बताया कि इसमें सुधार जारी है.

कंपेरटिव फैक्ट फाइल राजस्थान

वर्ष कुल संक्रमित बच्चे
2009 76317 3909
2011 73543 5711
2015 1.03 लाख 7500
2019 92000 13000

जोधपुर संभाग की वर्तमान स्थिति

कुल संक्रमित बच्चे
23000 1550
  • मृत्यु वर्ष 2012 से 2019 मार्च तक: 950 पुरुष व महिला, 255 बच्चे
  • स्त्रोत : नॉको एवं एआरटी सेंटर
Intro:

वीओ 1 पूरे पश्चिमी राजस्थान में एचआईवी से ग्रसित मरीजों के उपचार  का प्रमुख केंद्र डॉ एसएन मेडिकल  कॉलेज के अंतर्गत संचालित सक्रामंक रोग अनुसंधान केंद्र  है। जहां के एआरटी सेंटर पर करीब 14 हजार  संक्रमित पंजीकृत है। इसमें हर  माह 50 से 60 रोगियों की  वृद्धि  हो रही है। सरकारी  दावों के अनुसार इस सेंटर पर सभी सुविधाएं सुचारू है। 
बाईट 1 डॉ एसएस राठौड, प्राचार्य डा एसएन मेडिकल कॉलेज

वीओ 2 हर माह  रोगियों की संख्या में बढोतरी चिंताजनक है लेकिन एचआईवी रोगियों के लिए लंबे  समय से काम कर रहे दिनेश जोशी का कहनाहै कि नए रोगियों की संख्या कम  हुई लेकिन ऐसे रोगी सामने आ रहे हैं जो कहीं न कहीं जानकारी के  अभाव में उपचार से नहीं जुड पाए थे।  जोशी का कहना है एआरटी सेंटर पर आने वाले रोगियों को आए दिन दवाइयों की कमी से दो चार होना भी पडता है। 
बाईट 2 दिनेश जोशी, सोशल वर्कर
वीओ 3 हर दिन बढते रोगियों के बीच एक बडी परेशानी जहां दवाइयां छोडने वालों की है तो उसके अलावा उन बच्चों की भी है जिनके माता पिता को  इस रोग ने लील लिया। अनाथ इन बच्चों का जिम्मा बालबसेरा ने उठा रखा है। जिसके संचालक दिनेश जोशी ने बताया कि बालिका व बालक दोनों के लिए अलगअलग बसेरों  में  69 बच्चों को रखा गया है। इसके अलावा  संक्रमित महिलाओं को संबल देने  के लिए भी  कार्यक्रम चलाया  जार हा है।
बाईट 3 दिनेश जोशी
बात आंकडों की करे तो जोधपुर संभाग भर में अभी 23 हजार से  ज्यादा रोगी पंजीकृत है। लेकिन इनमें 4  हजारऐसे है। जो बीच में दवाइयों से दूरी बना  चुके  है। जो आने वाले समय की बडी परेशानी बनसकतेहैं। जोधपुर संभागमें 2012 से मार्च 2019 तक 950 महिलाएं व पुरुष 255 बच्चों की मौत  हो चुकी है।
पीटीसी मनोज वर्मा
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एड्सदिवस  के लिए : बढते नए रोगियों के साथ साथ दवाई छोडने वाले संक्रमित बन रहे हैं परेशानी

जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान में एचआईवी संक्रमित रोगियों  की संख्या में इजाफा हो रहा है।हालांकि   2007 से 2010 के दौर  में सामने आए रोगियों की संख्या से कम  है। लेकिन हर माह 50 से 60 रोगी एआरटी सेंटर  पर पंजीकृत हो रहे हैं। डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज  जोधपुर के संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र पर चल रहे संभाग  के सबसे बडे एआरटी एंटीरेट्रो वायरल  थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत है।  जबकि पूरे संभाग के  6 जिलो में करीब 23 हजार महिला  पुरुष व 1550 बच्चे पंजीकृत हैं। नए रोगियों के जुडने की एक वजह जागरूकता भी मानी जाती है। लेकिन सबसे बडी परेशानी है इन रोगियों के दवाई से दूरी बनाने की  है।  वर्तमान में करीब 4 हजार ऐसे रोगी है जो एआरटी सेंटर्स से दवाइयों से दूरी बना चुके हैं। ऐसे रोगी सरकार के एचआईवी रोकथाम  के अभियान के लिए चुनौती बने हुए  हैं। चिंता का विषय ऐसे बच्चे भी  हैं जिनके अभिभावकों  की जान  इस रोग  ने ले  ली वे अब  अनाथ है। जोधपुर में ऐसे अनाथ बच्चों का सहारा बाल बसेरा बना हुआ है। जहां ऐसे  बच्चों को रखा जाता है और उन्हें मुख्यधारा में जोडने के तमाम प्रयास जारी  है। बाल बसेरा के संचालक दिनेश जोशी जो बतौर सोशल वर्कर इस जान लेवा रोग की रोकथाम के अभियान से जुडे हैं बताते हैं कि रोगियों हर माह संख्या बढने से ज्यादा परेशानी  दवाई छोडने वालों  की संख्या  है। जो  बेहद घातक सबित हो सकती है।  क्योंकि ऐसे रोगी संक्रमण को बढावा भी  दे सकते है। जोशी बालिका व बालकों  के अलग अलग बाल  बसेरा संचालित करते है। इसके अलावा इनके स्वास्थ्य  की जांच व  शिक्षा की पूरी जिम्मेवारी उठाते हैं। उनका कहना है कि एचआईवी संक्रमितों के   लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम  परेशानी है। इसके अलावा डॉक्टरों की भी कमी बनी हुई है।  इधर  मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौड  का कहना है कि सेंटर पर हमने सभी  सुविधाएं  निशुल्क उपलब्ध करवा रखी हैं,और इसमें सुधार जारी है।
कंपेरटिव फैक्ट  फाइल राजस्थान
वर्ष               2009     2011      2015           2019
कुल संक्रमित       76317     73543      1.03 लाख      92000
बच्चे             3909      5711      7500           13000         
जोधपुर संभाग की वर्तमान स्थिति
कुल संक्रमित 23000,
बच्चे 1550
मृत्यु वर्ष 2012 से  2019 मार्च तक : 950 पुरुष व महिला, 255  बच्चे 
स्त्रोत :  नॉको एवं एआरटी सेंटर

बाईट : 1 दिनेश जोशी, बाल बसेरा संचालक
बाईट : 2 डॉ एसएस राठौड, प्राचार्य डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज




Body:एड्सदिवस  के लिए : बढते नए रोगियों के साथ साथ दवाई छोडने वाले संक्रमित बन रहे हैं परेशानी

जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान में एचआईवी संक्रमित रोगियों  की संख्या में इजाफा हो रहा है।हालांकि   2007 से 2010 के दौर  में सामने आए रोगियों की संख्या से कम  है। लेकिन हर माह 50 से 60 रोगी एआरटी सेंटर  पर पंजीकृत हो रहे हैं। डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज  जोधपुर के संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र पर चल रहे संभाग  के सबसे बडे एआरटी एंटीरेट्रो वायरल  थैरेपी सेंटर पर 14 हजार से ज्यादा रोगी पंजीकृत है।  जबकि पूरे संभाग के  6 जिलो में करीब 23 हजार महिला  पुरुष व 1550 बच्चे पंजीकृत हैं। नए रोगियों के जुडने की एक वजह जागरूकता भी मानी जाती है। लेकिन सबसे बडी परेशानी है इन रोगियों के दवाई से दूरी बनाने की  है।  वर्तमान में करीब 4 हजार ऐसे रोगी है जो एआरटी सेंटर्स से दवाइयों से दूरी बना चुके हैं। ऐसे रोगी सरकार के एचआईवी रोकथाम  के अभियान के लिए चुनौती बने हुए  हैं। चिंता का विषय ऐसे बच्चे भी  हैं जिनके अभिभावकों  की जान  इस रोग  ने ले  ली वे अब  अनाथ है। जोधपुर में ऐसे अनाथ बच्चों का सहारा बाल बसेरा बना हुआ है। जहां ऐसे  बच्चों को रखा जाता है और उन्हें मुख्यधारा में जोडने के तमाम प्रयास जारी  है। बाल बसेरा के संचालक दिनेश जोशी जो बतौर सोशल वर्कर इस जान लेवा रोग की रोकथाम के अभियान से जुडे हैं बताते हैं कि रोगियों हर माह संख्या बढने से ज्यादा परेशानी  दवाई छोडने वालों  की संख्या  है। जो  बेहद घातक सबित हो सकती है।  क्योंकि ऐसे रोगी संक्रमण को बढावा भी  दे सकते है। जोशी बालिका व बालकों  के अलग अलग बाल  बसेरा संचालित करते है। इसके अलावा इनके स्वास्थ्य  की जांच व  शिक्षा की पूरी जिम्मेवारी उठाते हैं। उनका कहना है कि एचआईवी संक्रमितों के   लिए एआरटी में दवाइयों की कमी आम  परेशानी है। इसके अलावा डॉक्टरों की भी कमी बनी हुई है।  इधर  मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौड  का कहना है कि सेंटर पर हमने सभी  सुविधाएं  निशुल्क उपलब्ध करवा रखी हैं,और इसमें सुधार जारी है।
कंपेरटिव फैक्ट  फाइल राजस्थान
वर्ष               2009     2011      2015           2019
कुल संक्रमित       76317     73543      1.03 लाख      92000
बच्चे             3909      5711      7500           13000         
जोधपुर संभाग की वर्तमान स्थिति
कुल संक्रमित 23000,
बच्चे 1550
मृत्यु वर्ष 2012 से  2019 मार्च तक : 950 पुरुष व महिला, 255  बच्चे 
स्त्रोत :  नॉको एवं एआरटी सेंटर

बाईट : 1 दिनेश जोशी, बाल बसेरा संचालक
बाईट : 2 डॉ एसएस राठौड, प्राचार्य डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज




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