जोधपुर. बेटियों को मौका और दिशा मिले तो वे क्या नहीं कर सकतीं. जोधपुर की साईमा सैयद ने घुड़सवारी में वन स्टार राइडर बनकर सबको चौंका दिया है. चौंकना लाजिमी है क्योंकि इस खेल में प्रतिस्पर्धा पुरुषों के साथ होती है. देखिये यह खास रिपोर्ट...
साईमा सैय्यद देश की पहली महिला वन स्टार राइडर बन गई हैं. उन्होंने 17-18 फरवरी को अहमदाबाद में हुए ऑल इंडिया ओपन एंडयूरेंस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर यह उपलब्धि हासिल की है.
एंडयूरेंस रेस में साईमा ने 80 किलोमीटर की राइड कर कांस्य पदक के साथ क्वालिफाई किया. साईमा देश की ऐसी पहली महिला घुड़सवार हैं जिसने यह कैटेगरी प्राप्त की है.
इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी, गुजरात चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में 17-18 फरवरी को अहमदाबाद में ऑल इंडिया ओपन एंडयूरेंस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था.
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इस प्रतियोगिता में साईमा ने मारवाड़ी घोड़ी अरावली के साथ भाग लिया था. इससे पूर्व साईमा ने 40 किलोमीटर, 60 किलोमीटर और 80 किलोमीटर की प्रतियोगिताओं में पदक प्राप्त करते हुए क्वालीफाई किया था. साईमा मूलतः राजस्थान के नागौर जिले के बड़ी खाटू कस्बे की रहने वाली हैं.
इससे पहले वे वंडर वूमेन का खिताब भी जीत चुकी हैं. साईमा बताती हैं कि घुड़सवारी की एंडयूरेंस प्रतियोगिता पुरुष और महिलाओं की अलग-अलग प्रतियोगिताएं नहीं होतीं. बल्कि महिलाओं को भी पुरुषों के साथ संघर्ष कर जीत हासिल करनी होती है.
2013 में साईमा ने राइडिंग शुरू की थी. इस क्षेत्र में उन्होंने कई प्रतियोगिताएं अब तक जीत ली हैं. लेकिन वन स्टार राइडर बनने के साथ ही उसके अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने का रास्ता साफ हो गया है.
अब साईमा का एंडयूरेंस की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने का सपना है. साईमा सैयद अपनी ज्यादातर प्रतियोगिताओं में प्रिय मारवाड़ी घोड़ी अरावली के साथ भाग लेती हैं.
साईमा के कोच रेवत राम गुर्जर का कहना है कि घुड़सवारी आसान खेल नहीं है. इसके लिए बहुत ज्यादा मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है. साईमा की शुरुआत भी बहुत संघर्ष के साथ हुई. लेकिन वह कभी घबराई नहीं.
कोच रेवत राम कहते हैं कि साईमा हमेशा मेहनत से आगे बढ़ती गई और आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. कई बार वह गिर भी गई. लेकिन उसका हौसला पस्त नहीं हुआ. साईमा घुड़सवारी के साथ-साथ सॉफ्टबॉल और शूटिंग में भी हाथ आजमाती हैं. इन खेलों में भी उसने कई मेडल अपने नाम किए हैं.
कठिन है वन स्टार प्राप्त करना
एंडयूरेंस प्रतियोगिताओं में राइडर के साथ साथ हॉर्स भी क्वालीफाई होते हैं. ऐसे में 80 किलोमीटर की जब राइडिंग होती है तो उस दौरान हॉर्स के एक-एक मोमेंट को नोट किया जाता है.
इसके अलावा राइडर को कई कठिन परिस्थितियों से भी गुजरना होता है. साईमा ने इस प्रतियोगिता के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी. पूरे हौसला के साथ उन्होंने 2 दिन तक राइडिंग के सभी राउंड क्लियर कर वन स्टार राइडर होने का गौरव हासिल किया.
गौरतलब है कि भारत में वूमेन हॉर्स राइडिंग में ज्यादातर सेना में कार्यरत महिलाओं का ही दबदबा है. निजी क्षेत्र से महिलाएं बहुत कम इस खेल में आगे बढ़ पाती हैं. फिर भी साईमा की मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है.