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Noise Pollution: जोधपुर में बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण का खतरा, सामान्य से कहीं ज्यादा पाया गया प्रदूषण का स्तर

जोधपुर के लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जूलॉजी विभाग (Rising level of noise pollution in Jodhpur) के तीन साल के शोध में सामने आया है कि शहर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. जारी रिपोर्ट के अनुसार ध्वनि प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं अधिक पाया गया है.

Sound Pollution increasing in Jodhpur
जोधपुर में बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण का खतरा
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Published : May 2, 2022, 5:27 PM IST

जोधपुर. शहर वायु प्रदूषण के मामले में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है ही. लेकिन अब यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. शहर के लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जूलॉजी विभाग के एक शोध में सामने आया है कि शहर के सबसे बड़े मथुरादास माथुर, एम्स और पॉश कॉलोनी आवासीय एवं औद्योगिक क्षेत्र में निर्धारित ध्वनि स्तर से कहीं ज्यादा प्रदूषण पाया गया है. इतना ही नहीं अस्पतालों के आस पास भी औधोगिक क्षेत्र जितना ध्वनी प्रदूषण पाया गया है.

करीब तीन साल तक हुए शोध के दौरान सुबह 8:00 से 10:00, दोपहर 12:00 से 2:00 और शाम 4:00 से 6:00 बजे तक अस्पताल, (Rising level of noise pollution in Jodhpur) आवासीय और औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण स्तर मापा गया. इसकी वजह इंडस्ट्रीज में बढ़ोतरी, वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़-पौधे घटने को माना जा रहा है.

जोधपुर में बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण का खतरा

अस्पतालों के आसपास ज्यादा ध्वनी प्रदूषण: ये शोध लाचू कॉलेज के प्राणी शास्त्र एवं पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत सारस्वत के निर्देशन में हुआ है. डॉ सारस्वत ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमानुसार रहवासी क्षेत्र में 55, अस्पताल क्षेत्र में 50 और औद्योगिक क्षेत्र में 70 डेसीबल के स्तर तक ध्वनि प्रदूषण को सामान्य माना जाता है. लेकिन शहर में इससे कहीं ज्यादा ध्वनि प्रदूषण का स्तर पाया गया है. अस्पताल के पास शाम 4 से 6 बजे के बीच इसका स्तर 72 डेसिबल दर्ज किया गया. डॉ सारस्वत का कहना है कि ध्वनि अपने निर्धारित मापदंडों से ज्यादा होने पर शोर बन जाती है. इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण की तरह ही पड़ता है. इसकी वजह से अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी के साथ-साथ ह्रदय से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं.

पढे़ं-Special : रिपोर्ट कुछ और हकीकत कुछ और...भिवाड़ी कैसे हो गया दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर ?

जयपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर: ध्वनि प्रदूषण को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ लगातार आगाह कर रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो, वायु प्रदूषण से कहीं ज्यादा हानिकारक ध्वनि प्रदूषण हो जाएगा. यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) के पिछले दिनों प्रकाशित रिपोर्ट में इसको लेकर चिंता जताई गई. जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक 15 ध्वनि प्रदूषित शहरों में से तीन भारत के हैं. इनमें मुरादाबाद, कोलकता और आसनसोल शामिल हैं. वहीं देश के सबसे ध्वनि प्रदूषित शहरों में जयपुर चौथे और दिल्ली पांचवें स्थान पर है.

ये पाया गया स्तर

क्षेत्र सुबह 8 से 10दोपहर 12 से 2शाम 4 से 6
रहवासी क्षेत्र शास्त्रीनगर63.9 डेसीबल70.2 डेसीबल 67.7 डेसीबल
औद्योगिक क्षेत्र बासनी73.4 डेसीबल78.8 डेसीबल78.2 डेसीबल
एम्स व एमडीएम अस्पताल शांत क्षेत्र68.4 डेसीबल71.9 डेसीबल72.2 डेसीबल

जोधपुर. शहर वायु प्रदूषण के मामले में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है ही. लेकिन अब यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. शहर के लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जूलॉजी विभाग के एक शोध में सामने आया है कि शहर के सबसे बड़े मथुरादास माथुर, एम्स और पॉश कॉलोनी आवासीय एवं औद्योगिक क्षेत्र में निर्धारित ध्वनि स्तर से कहीं ज्यादा प्रदूषण पाया गया है. इतना ही नहीं अस्पतालों के आस पास भी औधोगिक क्षेत्र जितना ध्वनी प्रदूषण पाया गया है.

करीब तीन साल तक हुए शोध के दौरान सुबह 8:00 से 10:00, दोपहर 12:00 से 2:00 और शाम 4:00 से 6:00 बजे तक अस्पताल, (Rising level of noise pollution in Jodhpur) आवासीय और औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण स्तर मापा गया. इसकी वजह इंडस्ट्रीज में बढ़ोतरी, वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़-पौधे घटने को माना जा रहा है.

जोधपुर में बढ़ रहा ध्वनि प्रदूषण का खतरा

अस्पतालों के आसपास ज्यादा ध्वनी प्रदूषण: ये शोध लाचू कॉलेज के प्राणी शास्त्र एवं पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत सारस्वत के निर्देशन में हुआ है. डॉ सारस्वत ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमानुसार रहवासी क्षेत्र में 55, अस्पताल क्षेत्र में 50 और औद्योगिक क्षेत्र में 70 डेसीबल के स्तर तक ध्वनि प्रदूषण को सामान्य माना जाता है. लेकिन शहर में इससे कहीं ज्यादा ध्वनि प्रदूषण का स्तर पाया गया है. अस्पताल के पास शाम 4 से 6 बजे के बीच इसका स्तर 72 डेसिबल दर्ज किया गया. डॉ सारस्वत का कहना है कि ध्वनि अपने निर्धारित मापदंडों से ज्यादा होने पर शोर बन जाती है. इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण की तरह ही पड़ता है. इसकी वजह से अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी के साथ-साथ ह्रदय से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं.

पढे़ं-Special : रिपोर्ट कुछ और हकीकत कुछ और...भिवाड़ी कैसे हो गया दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर ?

जयपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर: ध्वनि प्रदूषण को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ लगातार आगाह कर रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो, वायु प्रदूषण से कहीं ज्यादा हानिकारक ध्वनि प्रदूषण हो जाएगा. यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) के पिछले दिनों प्रकाशित रिपोर्ट में इसको लेकर चिंता जताई गई. जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक 15 ध्वनि प्रदूषित शहरों में से तीन भारत के हैं. इनमें मुरादाबाद, कोलकता और आसनसोल शामिल हैं. वहीं देश के सबसे ध्वनि प्रदूषित शहरों में जयपुर चौथे और दिल्ली पांचवें स्थान पर है.

ये पाया गया स्तर

क्षेत्र सुबह 8 से 10दोपहर 12 से 2शाम 4 से 6
रहवासी क्षेत्र शास्त्रीनगर63.9 डेसीबल70.2 डेसीबल 67.7 डेसीबल
औद्योगिक क्षेत्र बासनी73.4 डेसीबल78.8 डेसीबल78.2 डेसीबल
एम्स व एमडीएम अस्पताल शांत क्षेत्र68.4 डेसीबल71.9 डेसीबल72.2 डेसीबल
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