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RAS RTS-2018 भर्ती : पूर्व सैनिकों को अधिनस्थ सेवाओं में 12.5 फीसदी आरक्षण का मुद्दा...कोर्ट ने सरकार और RPSC से मांगा जवाब

पूर्व सैनिकों को अधीनस्थ सेवाओं के लिए 12.5 प्रतिशत आरक्षण देते हुए 66 पद निर्धारित किये गये थे, जो सर्वथा गलत एवं विधि विरूद्ध है. वास्तविक आरक्षण के अनुपात की गणना के अनुसार 21 पद राज्य सेवाओं और 74 पद अधीनस्थ सेवाओं के लिए आरक्षित होने चाहिए थे.

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Published : Jul 16, 2021, 9:12 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने आरएएस और आरटीएस 2018 की भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार और आरपीएससी को नोटिस जारी किया है.

न्यायालय ने नोटिस के जरिये सरकार और आरपीएससी से जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता किशनलाल सहारण और अन्य की ओर से अधिवक्ता एमएल देवडा ने याचिका दायर करते हुए पैरवी की. अधिवक्ता देवडा ने बताया कि आरएएस एवं आरटीएस प्रतियोगी परीक्षा 2018 का विज्ञापन 2 अप्रैल 2018 को आरपीएससी की ओर से जारी किया गया था.

इसके बाद राज्य सरकार ने 17 अप्रैल 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर पूर्व सैनिकों को 12.5 प्रतिशत अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण के साथ-साथ 5 प्रतिशत आरक्षण राज्य सेवाओं के लिए भी दिया. इसके फलस्वरूप आरपीएससी ने पूर्व सैनिकों के लिए विधिवत रूप से अंतिम शुद्धिपत्र दिनांक 1 जुलाई 2020 को जारी कर पूर्व सैनिकों को राज्य सेवाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण के तहत 14 पद प्रदान किये गए.

पढ़ें-महाराणा प्रताप से जुड़ा हल्दीघाटी का इतिहासः 'इंदिरा गांधी की यात्रा के दौरान ही लगाया गया था रक्ततलाई का शिलापट्ट'

याचिकाकर्ता ने कहा कि अधीनस्थ सेवाओं के लिए 12.5 प्रतिशत आरक्षण देते हुए 66 पद निर्धारित किये जो सर्वथा गलत एवं विधि विरूद्ध है. वास्तविक आरक्षण के अनुपात की गणना के अनुसार 21 पद राज्य सेवाओं और 74 पद अधीनस्थ सेवाओं के लिए आरक्षित होने चाहिए थे. यदि सरकार और आयोग की ओर से विज्ञापन के समय सही गणना कर पूर्व सैनिकों को राज्य सेवाओं के लिए 21 पद और अधीनस्थ सेवाओं के लिए 74 पद आरक्षित किये होते तो याचिकाकर्ताओं का चयन साक्षात्कार के साथ-साथ अंतिम चयन प्रक्रिया में भी हो गया होता.

लेकिन ऐसा नहीं करने से याचिकाकर्ताओं को उनके साक्षात्कार और अंतिम चयन के अधिकार से वंचित होना पड़ा. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता कुनाल उपाध्याय और आरपीएससी की ओर से अधिवक्ता तरूण जोशी ने नोटिस स्वीकार किये हैं. मामले में 24 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने आरएएस और आरटीएस 2018 की भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार और आरपीएससी को नोटिस जारी किया है.

न्यायालय ने नोटिस के जरिये सरकार और आरपीएससी से जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता किशनलाल सहारण और अन्य की ओर से अधिवक्ता एमएल देवडा ने याचिका दायर करते हुए पैरवी की. अधिवक्ता देवडा ने बताया कि आरएएस एवं आरटीएस प्रतियोगी परीक्षा 2018 का विज्ञापन 2 अप्रैल 2018 को आरपीएससी की ओर से जारी किया गया था.

इसके बाद राज्य सरकार ने 17 अप्रैल 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी कर पूर्व सैनिकों को 12.5 प्रतिशत अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण के साथ-साथ 5 प्रतिशत आरक्षण राज्य सेवाओं के लिए भी दिया. इसके फलस्वरूप आरपीएससी ने पूर्व सैनिकों के लिए विधिवत रूप से अंतिम शुद्धिपत्र दिनांक 1 जुलाई 2020 को जारी कर पूर्व सैनिकों को राज्य सेवाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण के तहत 14 पद प्रदान किये गए.

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याचिकाकर्ता ने कहा कि अधीनस्थ सेवाओं के लिए 12.5 प्रतिशत आरक्षण देते हुए 66 पद निर्धारित किये जो सर्वथा गलत एवं विधि विरूद्ध है. वास्तविक आरक्षण के अनुपात की गणना के अनुसार 21 पद राज्य सेवाओं और 74 पद अधीनस्थ सेवाओं के लिए आरक्षित होने चाहिए थे. यदि सरकार और आयोग की ओर से विज्ञापन के समय सही गणना कर पूर्व सैनिकों को राज्य सेवाओं के लिए 21 पद और अधीनस्थ सेवाओं के लिए 74 पद आरक्षित किये होते तो याचिकाकर्ताओं का चयन साक्षात्कार के साथ-साथ अंतिम चयन प्रक्रिया में भी हो गया होता.

लेकिन ऐसा नहीं करने से याचिकाकर्ताओं को उनके साक्षात्कार और अंतिम चयन के अधिकार से वंचित होना पड़ा. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता कुनाल उपाध्याय और आरपीएससी की ओर से अधिवक्ता तरूण जोशी ने नोटिस स्वीकार किये हैं. मामले में 24 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

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