जोधपुर. यूक्रेन के युद्ध ग्रस्त (Russia Ukraine Conflict) इलाकों से भारतीय छात्रों का ऑपरेशन गंगा के तहत निकलना (Operation Ganga For Indian Students) जारी है. इस कड़ी में आज सुबह जोधपुर की कुछ छात्राएं दिल्ली से यहां पहुंची. इनके पहुंचने के साथ ही सूर्यनगरी के कुल 25 छात्र लौट आए हैं.
इन छात्रों से ईटीवी भारत ने बात की तो पता चला की उस मंजर को भूलना अब आसान नहीं ( Girls From Jodhpur says Will never ever forget Kiev Crisis ) काफी मुश्किल होगा. कहते हैं जिंदगी भर उन लम्हों को भुला नहीं पाएंगे. कहते हैं हमारे आसपास लगातार बम धमाके हो रहे थे. अब उनकी गूंज हमें हमेशा सुनाई देगी.
वायुसेना के C17 प्लेन से छात्र दिल्ली पहुंचे. वहीं से आज इंडिगो फ्लाइट के जरिए सुबह 8:30 बजे जोधपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे. इन स्टूडेन्ट्स में बुलबुल चौधरी, भूमिका, नेहा भाटी, अनीशा चौधरी, सुरभि श्रीवास्तव शामिल हैं.
जोधपुर लौटी छात्रा ने बताया कि उनका हॉस्टल यूक्रेन की राजधानी (Rajasthani Students Return From Ukraine) में था. हॉस्टल क्योंकि एयरपोर्ट के पास था उसे पहले रशियन ने टारगेट बनाया. वहां हर दिन धमाके हो रहे थे. हमारा बाहर निकलना भी नामुमकिन था. बड़ी मुश्किल से खाने पीने का सामान जुटा पाते थे.
छात्रों ने बताया कि बिरोल से बॉर्डर तक आने में काफी परेशानियां हुई. इन छात्रों को हॉस्टल से निकलकर ट्रेन पकड़नी थी. लेकिन यूक्रेनी लोगों ने ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया. कुछ जगह चढ़ गए तो उतार दिया. कड़े संघर्ष और घंटों इंतजार के बाद ट्रेन में बैठने दिया गया. इन छात्रों के मुताबिक ये अकल्पनीय था क्योंकि इससे पहले कभी यूक्रेन में किसी भी नागरिक ने इनसे ऐसा व्यवहार नहीं किया था.
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साथ में ये भी कहते हैं कि हम समझ सकते हैं उनकी तकलीफ. युद्ध के हालात में सभी को शायद अपनी जान बचाने की चिंता थी. कठिन हालातों के बाद इन्हें सुकून के पल तब मिले जब बॉर्डर पर भारतीय एंबेसी के लोगों ने इनकी मदद में हाथ बढ़ाया. कहते हैं- हमें मेडिकल एड दी गई, खाना पीना भी मुहैया कराया गया और उसके बाद घर तक पहुंचाने का काम किया.
यूक्रेन से नदबई लौटा छात्र
रूस-युक्रेन युद्ध के बीच खारकीव में फंसा नदबई के खेड़ी देवी सिंह गांव निवासी नरेंद्र खुर्रा सकुशल अपने देश पहुंचा. दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने पर नरेंद्र का भरतपुर सांसद रंजीता कोली ने स्वागत किया. इस दौरान सैकड़ों छात्र अपने वतन लौटे. नरेंद्र यूक्रेन के खारकीव में वर्ष 2020 में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. नरेंद्र खुर्रा पुत्र गंगादान सिंह खुर्रा निवासी खेड़ी देवी सिंह यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच नरेंद्र यूक्रेन में ही फंस गया था. नरेंद्र लगातार अपने परिजनों से वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क में था. अब नरेंद्र यूक्रेन से अपने घर नदबई पहुंच गया है जिससे परिजों बेहद खुश हैं.
भिवाणी के वसीम ने भारत सरकार को दिया धन्यवाद
भिवाड़ी के झिवाणा गांव के वसीम खान भी यूक्रेन में उजग्रोथ मेडिकल नेशनल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. वह भी रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ने से यूक्रेन में ही फंस गए थे. दो दिन पूर्व ही वह अपने गांव झिवाणा पहुंचे हैं. उनके माता पिता ने भी खुशी जाहिर करते हुए भारत सरकार का आभार जताया है. इन मुश्किल हालात में भारतीय दूतावास से उनको बहुत सहायता मिली. यूनिवर्सिटी से लेकर एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए बस बुक कराई गई एवं उन्हें हंगरी बॉर्डर पहुंचाया गया. बीच में रुकने के लिए होटल बुक था, उसमें रहना-खाना पीना सब फ्री था. उनकी बस के आगे भारतीय ध्वज तिरंगा लगा हुआ था जिससे उनको न ही यूक्रेन आर्मी ने रोका और न ही रूस की आर्मी ने रोककर कोई पूछ ताछ की. एयरपोर्ट पहुंचने के बाद टिकट के पैसे भी नहीं लिए गए और फ्री में घर तक पहुंचाया गया.
अलवर के छात्र ने बताए यूक्रेन के हालातः यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले युवाओं के लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. अलवर के नयाबास क्षेत्र में रहने वाला एक युवक भी लंबे इंतजार के बाद आखिर अपने घर लौट आया है. युवक ने वहां के ख़ौफ़नाक मंजर बयां किए. साथ ही कहा कि उनकी फ्लाइट पहले थी. लेकिन अचानक एयरपोर्ट पर हुए हमले के कारण फंस गए थे. इस दौरान जब उन्होंने भारतीय दूतावास में शरण ली तो दूतावास के अधिकारियों ने भी अपने स्तर पर इंतजाम करने की बात कही थी. यूक्रेन के खरकीव शहर के एक मेडिकल कॉलेज में अलवर के नयाबास का दिव्यांश तिवाड़ी पढ़ाई कर रहा था. उसने बताया कि लोग बंकर, मेट्रो स्टेशन व बेसमेंट में फंसे हुए हैं. लोगों के पास खाने का सामान समाप्त होने लगा है.