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पॉक्सो अदालत ने जिन अभियुक्तों को दी थी फांसी की सजा, राजस्थान उच्च न्यायालय ने किया बरी, जानिए पूरा मामला - Capital punishment reversed

नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के मामले में 5 साल सुनवाई चली. पॉक्सो अदालत ने दो मुख्य अभियुक्तों को फांसी की सजा दी थी. अब इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने अभियुक्तों की मौत की सजा की पुष्टि करने से इंकार करते हुए दो अभियुक्तों व तीन सह-अभियुक्तों को बरी कर दिया.

Rajasthan High court
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Published : Nov 22, 2021, 9:05 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 10:44 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्यपीठ ने बाडमेर में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुराचार व उसकी गला घोंटकर हत्या करने के मामले में दो अभियुक्तों को तीन साल पहले सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने से इंकार करते हुए दो अभियुक्तों व तीन सह-अभियुक्तों को बरी कर दिया.

वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ ने पॉक्सो मामलात की विशेष अदालत बाडमेर के फैसले के खिलाफ अभियुक्तों की अपील मंजूर करते हुए कहा कि अभियोजन अपना केस संदेह से परे साबित नहीं कर पाया. न्यायालय में अभियुक्त घेवरसिंह राजपुरोहित की ओर से अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह दासपा व उनके सहयोगी जगदीश सिंह व प्रियंका बोराणा और अभियुक्त श्रवणसिंह राजपुरोहित की ओर से अधिवक्ता प्रीतम सोंलकी ने पक्ष रखते अधीनस्थ अदालत की ओर से दिए गए फांसी के आदेश के खिलाफ पक्ष रखा.

पूरे मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने 10 नवम्बर, 2021 को निर्णय सुरक्षित रखा था. सोमवार को इस मामले में न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए घेवरसिंह व श्रवण सिंह को फांसी की सजा से बरी कर दिया. वहीं तीन अन्य सह-अभियुक्त प्रहलादसिंह, शंकरसिंह व नरसिंग को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया.

पढ़ें: Behror: वाहन चालक ने ट्रैफिक पुलिसकर्मी से की मारपीट, ​FIR दर्ज की तो हाथ जोड़कर मांगी माफी

न्यायालय ने कहा कि उसे इस बात का बखूबी ख्याल है कि इस मामले में एक 15 साल की नाबालिग के साथ घटना घटी, लेकिन अभियोजन के साक्ष्यों से अपीलार्थियों द्वारा कृत्य किया जाना सिद्ध नहीं होता. न्यायालय ने अपने फैसले में विवेचना में की गई कई कमियों को उजागर किया. दोनों अपीलार्थी अप्रेल 2013 से जोधपुर की सेंट्रल जेल में हैं जिनको बरी करने का आदेश दिया गया है.

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यह था पूरा मामला

घेवर सिंह राजपुरोहित एवं श्रवण सिंह राजपुरोहित एक नाबालिग को उसके घर से उठाकर ले गए और सुनसान इलाके में ले जाकर दुष्कर्म किया. इसके बाद पहाड़ी से फेंक दिया था. जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई. इसको लेकर बाडमेर के महिला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच अधिकारी तत्कालीन वृताधिकारी नाजिम अली ने जांच पड़ताल के बाद दोनों मुख्य आरोपियों समेत उनका सहयोग करने वाले तीन अन्य आरोपियों प्रहलाद सिंह, नरसिंह और शंकर सिंह को गिरफ्तार कर लिया था. जांच के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिया.

पांच साल तक चली सुनवाई के बाद 6 अगस्त, 2018 को पॉक्सो अदालत की पीठासीन अधिकारी वमिता सिंह ने इस मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने घेवर सिंह और श्रवण सिंह को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानते हुए दोनों मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं तीनों अन्य सह-अभियुक्तों प्रहलाद सिंह, नर सिंह और शंकर सिंह को सात-सात साल की कैद और 51-51 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्यपीठ ने बाडमेर में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुराचार व उसकी गला घोंटकर हत्या करने के मामले में दो अभियुक्तों को तीन साल पहले सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने से इंकार करते हुए दो अभियुक्तों व तीन सह-अभियुक्तों को बरी कर दिया.

वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ ने पॉक्सो मामलात की विशेष अदालत बाडमेर के फैसले के खिलाफ अभियुक्तों की अपील मंजूर करते हुए कहा कि अभियोजन अपना केस संदेह से परे साबित नहीं कर पाया. न्यायालय में अभियुक्त घेवरसिंह राजपुरोहित की ओर से अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह दासपा व उनके सहयोगी जगदीश सिंह व प्रियंका बोराणा और अभियुक्त श्रवणसिंह राजपुरोहित की ओर से अधिवक्ता प्रीतम सोंलकी ने पक्ष रखते अधीनस्थ अदालत की ओर से दिए गए फांसी के आदेश के खिलाफ पक्ष रखा.

पूरे मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने 10 नवम्बर, 2021 को निर्णय सुरक्षित रखा था. सोमवार को इस मामले में न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए घेवरसिंह व श्रवण सिंह को फांसी की सजा से बरी कर दिया. वहीं तीन अन्य सह-अभियुक्त प्रहलादसिंह, शंकरसिंह व नरसिंग को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया.

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न्यायालय ने कहा कि उसे इस बात का बखूबी ख्याल है कि इस मामले में एक 15 साल की नाबालिग के साथ घटना घटी, लेकिन अभियोजन के साक्ष्यों से अपीलार्थियों द्वारा कृत्य किया जाना सिद्ध नहीं होता. न्यायालय ने अपने फैसले में विवेचना में की गई कई कमियों को उजागर किया. दोनों अपीलार्थी अप्रेल 2013 से जोधपुर की सेंट्रल जेल में हैं जिनको बरी करने का आदेश दिया गया है.

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यह था पूरा मामला

घेवर सिंह राजपुरोहित एवं श्रवण सिंह राजपुरोहित एक नाबालिग को उसके घर से उठाकर ले गए और सुनसान इलाके में ले जाकर दुष्कर्म किया. इसके बाद पहाड़ी से फेंक दिया था. जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई. इसको लेकर बाडमेर के महिला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच अधिकारी तत्कालीन वृताधिकारी नाजिम अली ने जांच पड़ताल के बाद दोनों मुख्य आरोपियों समेत उनका सहयोग करने वाले तीन अन्य आरोपियों प्रहलाद सिंह, नरसिंह और शंकर सिंह को गिरफ्तार कर लिया था. जांच के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिया.

पांच साल तक चली सुनवाई के बाद 6 अगस्त, 2018 को पॉक्सो अदालत की पीठासीन अधिकारी वमिता सिंह ने इस मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने घेवर सिंह और श्रवण सिंह को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानते हुए दोनों मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं तीनों अन्य सह-अभियुक्तों प्रहलाद सिंह, नर सिंह और शंकर सिंह को सात-सात साल की कैद और 51-51 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.

Last Updated : Nov 22, 2021, 10:44 PM IST
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