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जालोरी गेट हिंसा के मामले में गिरफ्तारी पर रोक, अनुसंधान अधिकारी को केस डायरी के साथ किया तलब - Stay on arrest of a few in Jalori Gate Violence

जोधपुर के जालोरी गेट हिंसा मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी (Rajasthan High court on Jalori Gate Violence) है. साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी को केस डायरी, सीसीटीवी फुटेज के साथ 23 मई को तलब किया है. बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में दर्ज दूसरी एफआईआर को चुनौती दी थी.

Rajasthan High court on Jalori Gate Violence
जालोरी गेट हिंसा के मामले में गिरफ्तारी पर रोक, अनुसंधान अधिकारी को केस डायरी के साथ किया तलब
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Published : May 17, 2022, 5:18 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने जोधपुर के जालोरी गेट हिंसा के मामले में दर्ज एक एफआईआर में अनुसंधान अधिकारी को तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी (Stay on arrest of a few in Jalori Gate Violence) है. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में याचिकाकर्ता हितेश व्यास, अरविंद पुरोहित व खिमांशु गहलोत की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश की. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द पुरोहित ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि जालौरी गेट हिंसा के मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, लेकिन तीन दिन बाद में देरी से एफआईआर संख्या 127 दर्ज करवाई गई, जो कि शिकायतकर्ता ने सोचसमझ कर कराई जो कि केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने का प्रयास है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक निर्णय में कहा है कि एक ही घटना के लिए अलग-अलग एफआईआर नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता मौके पर मौजूद भी नहीं थे. उनको केवल परेशान किया जा रहा है. कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जांच अधिकारी को मामले में केस डायरी और सीसीटीवी फुटेज यदि हो तो उनको लेकर 23 मई को तलब किया है. तब तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने जोधपुर के जालोरी गेट हिंसा के मामले में दर्ज एक एफआईआर में अनुसंधान अधिकारी को तलब करते हुए याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी (Stay on arrest of a few in Jalori Gate Violence) है. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में याचिकाकर्ता हितेश व्यास, अरविंद पुरोहित व खिमांशु गहलोत की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश की. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द पुरोहित ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि जालौरी गेट हिंसा के मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, लेकिन तीन दिन बाद में देरी से एफआईआर संख्या 127 दर्ज करवाई गई, जो कि शिकायतकर्ता ने सोचसमझ कर कराई जो कि केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने का प्रयास है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक निर्णय में कहा है कि एक ही घटना के लिए अलग-अलग एफआईआर नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता मौके पर मौजूद भी नहीं थे. उनको केवल परेशान किया जा रहा है. कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जांच अधिकारी को मामले में केस डायरी और सीसीटीवी फुटेज यदि हो तो उनको लेकर 23 मई को तलब किया है. तब तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

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