जोधपुर. सहायक आचार्य की भर्ती को पुराने नियमों के तहत प्रस्तावित भर्ती को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. जिसके बाद इस मामले को लेकर राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा सचिव, आरपीएससी के सचिव, यूजीसी के सचिव और कमिश्नर कॉलेज शिक्षा को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब करने के निर्देश दिए गए हैं.
राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्य पीठ में याचिकाकर्ता डॉ. सुनीता की ओर से अधिवक्ता डॉ. निखिल डुंगावत और अधिवक्ता निहार जैन ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कानून और राज्य सरकार की ओर से बनाए गए कानून में विविधता और विसंगति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई.
राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छावा की खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई. अधिवक्ता डॉ. निखिल डुंगावत ने याचिकाकर्ता की ओर से राज्य सरकार की ओर से जारी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन दिनांक 02.11.2020 में अच्छे शैक्षणिक अभिलेख के प्रावधान को इस बार भी विज्ञापित भर्ती में योग्यता बाबत निर्धारित किया गया है. जबकि केंद्रीय कानून विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से जारी रेगुलेशन 2018 के आने के बाद गुड एकेडमिक रिकॉर्ड का प्रावधान असिस्टेंट प्रोफेसर की योग्यता के लिए आश्रित नहीं किया जा सकता है और जो योग्यता और अच्छे शैक्षणिक अभिलेख की परिभाषा की दरकार राजस्थान सरकार की ओर से की गई है वो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से आचार्य के लिए निर्धारित योग्यता से भिन्न है. अतः प्रार्थी की योग्यता को पुराने नियम और मापदंड से नहीं परखा जा सकता.
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उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. सुनीता की ओर दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए इस विसंगति पर संज्ञान लेते हुए उच्च शिक्षा सचिव, आरपीएससी के सचिव, यूजीसी के सचिव और कमिश्नर कॉलेज शिक्षा को तीन सप्ताह में जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता को प्रस्तावित विज्ञप्ति के अनुसरण में की जा रही भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के अंतरिम आदेश दिए है.