जोधपुर. अफीम खेती के मामले में केंद्र सरकार की ओर से साल 2001 में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इस नोटिफिकेशन के बिंदू संख्या 3 में अफीम की खेती से जुड़ी कम मात्रा एवं वाणिज्यक मात्रा को अलग से निर्धारित नहीं किया गया था. राजस्थान हाईकोर्ट ने इस पर स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार से नोटिफिकेशन के बिन्दू संख्या 3 को स्पष्ट करने के लिए निर्देश दिए थे.
मंगलवार को न्यायाधीश डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत में याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी मुकेश राजपुरोहित ने जवाब के लिए कुछ समय दिए जाने का अनुरोध किया. इस पर न्यायालय ने 2 अगस्त तक का समय दिया है.
बगैर लाइसेंस के अफीम, कोको, भांग की खेती करना, उसे कब्जे में रखना, बेचना, आयात-निर्यात और परिवहन करना जुर्म है. ऐसा करने पर कम से कम 10 साल से 20 साल की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना का प्रावधान है. नशीले पदार्थो से आमजन को बचाने के उद्देश्य से करीब 36 साल पहले यह कानून बनाया गया था, लेकिन 2001 में केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर अफीम की खेती में कम मात्रा एवं वाणिज्यक मात्रा की दो कैटेगरी बना दी.
केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट नहीं किया कि कितने पौधे तक अफीम की खेती कम मात्रा और कितने पर वाणिज्यक मात्रा में मानी जाएगी. ऐसे में 500 से ज्यादा पौधे उगाकर अवैध खेती करने वाले लोग पकड़े जाने पर नोटिफिकेशन का हवाला देकर कुछ ही दिनों में जमानत पर रिहा हो जाते हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की इस अस्पष्टता पर प्रसंज्ञान लेकर केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया था.