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बीटीपी की तरफ से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील खारिज

राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने बीटीपी पार्टी की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ पेश की गई विशेष अपील याचिका को खारिज कर दिया.

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Published : Dec 26, 2020, 10:50 PM IST

rajasthan high court,  jodhpur news
बीटीपी की तरफ से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील को राजस्थान उच्च न्यायालय खंडपीठ ने खारिज किया

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने बीटीपी पार्टी की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ पेश की गई विशेष अपील याचिका को खारिज कर दिया. राजस्थान उच्च न्यायालय विशेष अपील को पूर्व के निर्णय हनुमान टांक बनाम राजस्थान राज्य के आधार पर खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार किसी भी आपराधिक याचिका में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील पेश नहीं हो सकती है.

गौरतलब है कि डूंगरपुर जिले में हुए उपद्रव को लेकर बीटीपी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निस्तारित कर दिया था. एकलपीठ के समक्ष पार्टी के अधिकृत सुरेश रोहत की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता और राजकीय कर्मचारियों के विरुद्ध सरकार द्वारा झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी करने की कार्रवाई की जा रही है.

पढ़ें: हनुमान बेनीवाल ने कृषि कानूनों को समझा ही नहीं, इसलिए कर रहे विरोध : राजेंद्र राठौड़

बीटीपी की तरफ से याचिका मे कहा गया कि सरकार व पुलिस ने झूठे तौर पर पार्टी के राज्य स्तर से लगाकर वार्ड स्तर तक के कार्यकर्ताओ को आरोपी बना लिया गया. जबकि पार्टी व उसके कार्यकर्ताओं का उपद्रव से कोई सरोकार नहीं है, जो उपद्रव हुआ उस आंदोलन को पार्टी ने प्रायोजित नहीं किया था न ही राजनीतिक आंदोलन था. बीटीपी की बढ़ती लोकप्रियता एवं वंचितों के मध्य नये राजनीतिक विचार के भाव को रोकने के लिए सरकार राजनीतिक विचारधारा का दमन करने पर उतारू हैं व राजनीतिक कार्यकर्ताओ को गिरफ़्तार कर जेल में डाल रही है.

याचिका में कहा गया कि बीटीपी के करीब 1000 रजिस्टर्ड पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर 37 मुकदमे दर्ज किए गए व निर्दोष लोगो को जेल भेजा जा रहा है. जिस पर उच्च न्यायालय ने याचिका को सुनवाई के बाद निस्तारित कर दिया. उच्च न्यायालय ने इसमें जनहित याचिका के रूप में पेश करने के निर्देश दिए थे, जिस पर जनहित याचिका भी पेश कर दी गई है जो कि विचाराधीन है. जनहित याचिका को पेश करने से पूर्व ही एक विशेष अपील भी पेश कर दी गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने बीटीपी पार्टी की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ पेश की गई विशेष अपील याचिका को खारिज कर दिया. राजस्थान उच्च न्यायालय विशेष अपील को पूर्व के निर्णय हनुमान टांक बनाम राजस्थान राज्य के आधार पर खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार किसी भी आपराधिक याचिका में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील पेश नहीं हो सकती है.

गौरतलब है कि डूंगरपुर जिले में हुए उपद्रव को लेकर बीटीपी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निस्तारित कर दिया था. एकलपीठ के समक्ष पार्टी के अधिकृत सुरेश रोहत की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता और राजकीय कर्मचारियों के विरुद्ध सरकार द्वारा झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी करने की कार्रवाई की जा रही है.

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बीटीपी की तरफ से याचिका मे कहा गया कि सरकार व पुलिस ने झूठे तौर पर पार्टी के राज्य स्तर से लगाकर वार्ड स्तर तक के कार्यकर्ताओ को आरोपी बना लिया गया. जबकि पार्टी व उसके कार्यकर्ताओं का उपद्रव से कोई सरोकार नहीं है, जो उपद्रव हुआ उस आंदोलन को पार्टी ने प्रायोजित नहीं किया था न ही राजनीतिक आंदोलन था. बीटीपी की बढ़ती लोकप्रियता एवं वंचितों के मध्य नये राजनीतिक विचार के भाव को रोकने के लिए सरकार राजनीतिक विचारधारा का दमन करने पर उतारू हैं व राजनीतिक कार्यकर्ताओ को गिरफ़्तार कर जेल में डाल रही है.

याचिका में कहा गया कि बीटीपी के करीब 1000 रजिस्टर्ड पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर 37 मुकदमे दर्ज किए गए व निर्दोष लोगो को जेल भेजा जा रहा है. जिस पर उच्च न्यायालय ने याचिका को सुनवाई के बाद निस्तारित कर दिया. उच्च न्यायालय ने इसमें जनहित याचिका के रूप में पेश करने के निर्देश दिए थे, जिस पर जनहित याचिका भी पेश कर दी गई है जो कि विचाराधीन है. जनहित याचिका को पेश करने से पूर्व ही एक विशेष अपील भी पेश कर दी गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया.

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