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नहरी क्षेत्र में बहकर आने वाले शवों को रोकने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका, राज्य सरकार को नोटिस

इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा से बहकर आने वाले शवों को रोकने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

इंदिरा गांधी नहर,  राजस्थान हाईकोर्ट, Indira Gandhi Canal , Rajasthan High Court
हाईकोर्ट में जनहित याचिका
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Published : Sep 22, 2021, 9:54 PM IST

जोधपुर. इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा राज्य से बहकर आने वाले रहस्यमयी अज्ञात शवों को रोकने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

जैसलमेर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से शिक्षक बाबूराम चौहान की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर, पंकज एस. चौधरी, राहुल चौधरी व सरवर खान ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा राज्यों से बहकर अज्ञात शव आते रहते हैं. पानी में काफी समय तक और लम्बी दूरी तक बहकर आने से शव बुरी तरह से सड़-गल जाते हैं. इस कारण उनकी पहचान तक नहीं हो पाती है और यहां पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने यूटीबी के तहत नियुक्त नर्सिंग कर्मियों को भुगतान नहीं देने पर मांगा जवाब

यह अज्ञात शवों के मानवाधिकारों का भी हनन है. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ में वर्ष 2010 से लेकर 2019 तक करीब 1822 अज्ञात शव मिले थे, जिनमें से केवल 260 शवों की ही पहचान हो पाई थी. जबकि 1562 शवों की पहचान तक नहीं हो पाई थी. याचिका में कहा गया कि इस बात की प्रबल संभावना है कि उन 1562 शवों को लेकर सम्बन्धित राज्यों में गुमशुदगी अथवा आपराधिक प्रकरण दर्ज हो रखे होंगे और पुलिस तलाश भी कर रही होगी, लेकिन शवों की पहचान नहीं होने के कारण मृतकों के परिजन न्याय से भी वंचित हो रहे हैं.

केवल 15 फीसदी अज्ञात शवों की पहचान होने का तथ्य इसका द्योतक है कि सिस्टम में सुधार की काफी गुंजाइश है. याचिकाकर्ता ने इसके लिए इंदिरा गांधी नहर में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की राज्य सीमा पर जालीदार गेट लगाए जाने और सम्बन्धित जिलों में विशेष पुलिस थानों के गठन के निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया. याचिकाकर्ता का कहना था कि जालीदार गेट लगाए जाने से नहर में पानी का प्रवाह तो निरंतर रहेगा, लेकिन मानव शव बहकर नहीं आ सकेंगे.

पढ़ें: प्रतिबंधित दवाओं से जुड़े मामले में मिली जमानत पर हाईकोर्ट ने स्व प्रेरणा से लिया प्रसंज्ञान

सरकार ने लिया कैली फंसने का बहाना

जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता जल संसाधन (उत्तर), हनुमानगढ़ संगम ने याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन के जवाब में कहा कि मुख्य नहर में पानी के साथ अत्यधिक मात्रा में कैली आती है। यदि नहर में जालीदार गेट लगा दिए जाएंगे तो कैली के गेटों में फंस जाने के कारण प्रवाह बाधित हो सकता है. याचिकाकर्ता का कहना था कि कैली हटाने के लिए नहर में पहले से ही जेसीबी मशीनें लगी हुई हैं. ऐसे में कैली के फंसने की आशंका मात्र से अज्ञात शवों और मृतकों के परिजनों को न्याय से वंचित करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.

संयुक्त शासन सचिव गृह (पुलिस) ने याचिकाकर्ता द्वारा विशेष पुलिस थानों के गठन सम्बन्धी प्रतिवेदन पर जवाब में कहा है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राजकीय व्यय में मितव्ययता के लिए जारी राज्य सरकार के परिपत्र द्वारा नवीन पदों के सृजन पर प्रतिबंध होने के कारण इंदिरा गांधी नहर में मिलने वाले रहस्यमयी शवों की शिनाख्तगी बाबत विशेष पुलिस थानों का गठन किया जाना संभव नहीं है।प्रारम्भिक सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने राज्य सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव, इंदिरा गांधी नहर विभाग के प्रमुख सचिव और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए निर्देश दिए.

जोधपुर. इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा राज्य से बहकर आने वाले रहस्यमयी अज्ञात शवों को रोकने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

जैसलमेर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से शिक्षक बाबूराम चौहान की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर, पंकज एस. चौधरी, राहुल चौधरी व सरवर खान ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा राज्यों से बहकर अज्ञात शव आते रहते हैं. पानी में काफी समय तक और लम्बी दूरी तक बहकर आने से शव बुरी तरह से सड़-गल जाते हैं. इस कारण उनकी पहचान तक नहीं हो पाती है और यहां पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.

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यह अज्ञात शवों के मानवाधिकारों का भी हनन है. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ में वर्ष 2010 से लेकर 2019 तक करीब 1822 अज्ञात शव मिले थे, जिनमें से केवल 260 शवों की ही पहचान हो पाई थी. जबकि 1562 शवों की पहचान तक नहीं हो पाई थी. याचिका में कहा गया कि इस बात की प्रबल संभावना है कि उन 1562 शवों को लेकर सम्बन्धित राज्यों में गुमशुदगी अथवा आपराधिक प्रकरण दर्ज हो रखे होंगे और पुलिस तलाश भी कर रही होगी, लेकिन शवों की पहचान नहीं होने के कारण मृतकों के परिजन न्याय से भी वंचित हो रहे हैं.

केवल 15 फीसदी अज्ञात शवों की पहचान होने का तथ्य इसका द्योतक है कि सिस्टम में सुधार की काफी गुंजाइश है. याचिकाकर्ता ने इसके लिए इंदिरा गांधी नहर में राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की राज्य सीमा पर जालीदार गेट लगाए जाने और सम्बन्धित जिलों में विशेष पुलिस थानों के गठन के निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया. याचिकाकर्ता का कहना था कि जालीदार गेट लगाए जाने से नहर में पानी का प्रवाह तो निरंतर रहेगा, लेकिन मानव शव बहकर नहीं आ सकेंगे.

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सरकार ने लिया कैली फंसने का बहाना

जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता जल संसाधन (उत्तर), हनुमानगढ़ संगम ने याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन के जवाब में कहा कि मुख्य नहर में पानी के साथ अत्यधिक मात्रा में कैली आती है। यदि नहर में जालीदार गेट लगा दिए जाएंगे तो कैली के गेटों में फंस जाने के कारण प्रवाह बाधित हो सकता है. याचिकाकर्ता का कहना था कि कैली हटाने के लिए नहर में पहले से ही जेसीबी मशीनें लगी हुई हैं. ऐसे में कैली के फंसने की आशंका मात्र से अज्ञात शवों और मृतकों के परिजनों को न्याय से वंचित करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.

संयुक्त शासन सचिव गृह (पुलिस) ने याचिकाकर्ता द्वारा विशेष पुलिस थानों के गठन सम्बन्धी प्रतिवेदन पर जवाब में कहा है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राजकीय व्यय में मितव्ययता के लिए जारी राज्य सरकार के परिपत्र द्वारा नवीन पदों के सृजन पर प्रतिबंध होने के कारण इंदिरा गांधी नहर में मिलने वाले रहस्यमयी शवों की शिनाख्तगी बाबत विशेष पुलिस थानों का गठन किया जाना संभव नहीं है।प्रारम्भिक सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने राज्य सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव, इंदिरा गांधी नहर विभाग के प्रमुख सचिव और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए निर्देश दिए.

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