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जालोर में मार्बल स्लरी को लेकर जनहित याचिका, उच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस - मार्बल स्लरी को लेकर जनहित याचिका

राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और रिको विभाग जालोर को दस्ती नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है.

जालोर में मार्बल स्लरी, Marble Slurry in Jalore
जालोर में मार्बल स्लरी को लेकर जनहित याचिका
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Published : Feb 20, 2021, 11:07 AM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और रिको विभाग जालोर को दस्ती नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. ग्रीन एंड क्लीन अवेस भूमि संस्थान की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने एक जनहित याचिका पेश कर जालोर में ग्रेनाइट उद्योग से निकल रही स्लरी को खुले में निस्तारित करने की बजाय डम्पिंग यार्ड में निस्तारित करवाने को लेकर पेश की है.

पढ़ेंः केंद्र सरकार से प्राप्त पत्रों की मॉनिटरिंग सुनिश्चित कर यथा समय पर निस्तारण करें: मुख्य सचिव निरंजन आर्य

वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. याचिका में बताया गया कि जालोर में ग्रेनाइट मार्बल का कार्य लम्बे अरसे से हो रहा है. हजार से अधिक की संख्या में वहां इकाईया स्थापित हैं. जबकि रिको की ओर से तीन इंडस्ट्रीयल एरिये बनाये गये हैं. तीनो में ही डम्पिंग यार्ड नहीं है. जिसकी वजह से मार्बल की स्लरी खुले आम सड़कों और बाहर डाल रहे हैं जो वहां की जमीनों को बंजर कर रही है.

पढ़ेंः राजस्थान बजट 2021: औद्योगिक राजधानी में Downfall, सेल टैक्स के आंकड़े चौंकाने वाले

तो वहीं, आमजन के लिए भी स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कुछ नही किया. समय-समय पर वहां के लोगों और संस्थाओं की ओर से प्रशासन को प्रतिवेदन दिए गए. यहां तक राज्य सरकार को भी प्रतिवेदन भेजा गया, लेकिन स्थानीय लोगों की समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ है. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया है

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और रिको विभाग जालोर को दस्ती नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. ग्रीन एंड क्लीन अवेस भूमि संस्थान की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने एक जनहित याचिका पेश कर जालोर में ग्रेनाइट उद्योग से निकल रही स्लरी को खुले में निस्तारित करने की बजाय डम्पिंग यार्ड में निस्तारित करवाने को लेकर पेश की है.

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वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. याचिका में बताया गया कि जालोर में ग्रेनाइट मार्बल का कार्य लम्बे अरसे से हो रहा है. हजार से अधिक की संख्या में वहां इकाईया स्थापित हैं. जबकि रिको की ओर से तीन इंडस्ट्रीयल एरिये बनाये गये हैं. तीनो में ही डम्पिंग यार्ड नहीं है. जिसकी वजह से मार्बल की स्लरी खुले आम सड़कों और बाहर डाल रहे हैं जो वहां की जमीनों को बंजर कर रही है.

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तो वहीं, आमजन के लिए भी स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कुछ नही किया. समय-समय पर वहां के लोगों और संस्थाओं की ओर से प्रशासन को प्रतिवेदन दिए गए. यहां तक राज्य सरकार को भी प्रतिवेदन भेजा गया, लेकिन स्थानीय लोगों की समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ है. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया है

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