जोधपुर. नागौर जिले के दिग्गज राजनीतिक परिवार मिर्धा परिवार का संपत्ति विवाद सार्वजनिक हो गया है. नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा (Former MP Jyoti Mirdha) ने अपने चाचा और राजस्थान के पूर्व पर्यटन मंत्री उषा पूनिया सहित 13 लोगों के खिलाफ अपने पिता की संपत्ति को कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर खुर्द-बुर्द करने का मामला चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में दर्ज करवाया है.
ज्योति मिर्धा की ओर से उक्त प्रकरण को न्यायालय में पेश किया गया और अब न्यायालय के आदेश पर यह मामला दर्ज किया गया है. ज्योति मिर्धा (Former MP Jyoti Mirdha) की ओर से पेश किए गए परिवाद में बताया गया है कि किसान नेता नाथूराम मिर्धा के पुत्र राम प्रकाश मिर्धा और भानु प्रकाश मिर्धा जो भाई हैं. इनमें भानु प्रकाश मिर्धा ने अपने भाई राम प्रकाश मिर्धा के कूट रचित हस्ताक्षर कर उनके हिस्से की जमीन बेच कर वहां कॉलोनी काटने का प्रयास किया है.
यह है पूरा मामला
प्रकरण के अनुसार भानु प्रकाश मिर्धा ने 1988 में मिर्धा फार्म हाउस की दो रकबा 4 बीघा भूमि भंवरलाल पुत्र रामचंद्र अध्यक्ष आदर्श प्रगतिशील जवाहर निर्माण सहकारी समिति को बेची गई. इस भूमि पर उन्होंने कॉलोनी काटना तय किया, जबकि मिर्धा फार्म हाउस का जो हिस्सा बेचा गया वह राम प्रकाश मिर्धा का हिस्सा था. लेकिन भानु प्रकाश और अन्य ने मिलकर जानबूझकर इसको बेच दिया.
फर्जी हस्ताक्षर करवाने का आरोप
22 जुलाई 1993 को राम प्रकाश मिर्धा की मौत हो गई थी, लेकिन इससे 6 महीने पहले भानु प्रकाश ने जनवरी 1993 में एक राम प्रकाश मिर्धा और दो गवाहों के हस्ताक्षर युक्त अनापत्ति प्रमाण पत्र जोधपुर विकास प्राधिकरण (तत्कालीन यूआईटी) में प्रस्तुत किया, जो पूरी तरह से फर्जी था. उस अनापत्ति प्रमाण पत्र पर राम प्रकाश मिर्धा के फर्जी हस्ताक्षर किए गए.
उच्च पद का गलत फायदा उठाया
ज्योति मिर्धा (Former MP Jyoti Mirdha) ने आरोप लगाया कि उच्च पदों पर आसीन होने का नाजायज फायदा उठाते हुए यह कृत्य किया गया. इन दस्तावेजों के आधार पर फार्म हाउस की कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तित कर दिया गया था. किसान नेता नाथूराम मिर्धा ने चौपासनी गांव के पास करीब 50 बीघा भूमि खरीदी थी, जिसे मिर्धा फार्म हाउस नाम दिया गया. आसपास के क्षेत्रों में मिर्धा फार्म हाउस की अलग पहचान है.
पता चला तो की कांट-छांट, फिलहाल स्टे
कुछ समय बाद भानु प्रकाश मिर्धा को इस बात की जानकारी हुई कि जो हिस्सा बेचा गया है उसके भाई राम प्रकाश मिर्धा की संपत्ति का हिस्सा है तो इस पर रजिस्ट्री में काट-छांट की गई, जिससे काम नहीं रुके. ज्योति मिर्धा ने आरोप लगाया कि वह और उनकी बहन हेम श्वेता मिर्धा ही इस संपत्ति की वारिश है. दोनों बहुत कम जोधपुर आती हैं, ऐसे में इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिली.
2018 में मिली फर्जीवाड़े की जानकारी
2018 के अंत में सक्षम न्यायालय के समक्ष बंटवारे के दावे के दौरान इस फर्जीवाड़े की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई थी, जिसके पश्चात कार्रवाई शुरू की गई. दस्तावेज प्राप्त करने में समय लगा. इस दौरान कोरोना संक्रमण होने से कार्रवाई नहीं हो सकी. जोधपुर विकास प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2018 में भूमि परिवर्तन के दिए गए आदेश पर ज्योति मिर्धा उनकी बहन की ओर से प्राधिकरण के अध्यक्ष संभाग जोधपुर के समक्ष परिवाद पेश किया, जिस पर इस वर्ष मार्च में स्टे दे दिया गया.
ये हैं आरोपी...
इस प्रकरण में भानु प्रकाश मिर्धा के अलावा सोसायटी के अध्यक्ष भंवरलाल, बाड़मेर निवासी महेश चौधरी, जोधपुर निवासी पूर्व आईपीएस फिरोज खान की पुत्री रुखसाना, कमला पत्नी हरिप्रसाद, अनिल चौधरी उनकी पत्नी नंदा चौधरी, कमलेश चौधरी पत्नी महेश चौधरी, पूर्व पर्यटन मंत्री उषा पूनिया पत्नी विजय पूनिया, शिवानी पुनिया पुत्री विजय पूनिया, हिमानी पूनिया पुत्री विजय पूनिया, अनिल चौधरी पुत्र पूराराम और सब रजिस्ट्रार फर्स्ट (जोधपुर) को आरोपी बनाया गया है. जिसकी जांच चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाना पुलिस कर कोर्ट में पेश करेगी.