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SPECIAL : जोधपुर के अस्पतालों पर मरीजों का दबाव...भर्ती होने के लिए करना पड़ रहा 'डिस्चार्ज' का इंतजार, भटक रहे परिजन

जोधपुर में कोरोना संक्रमण ने हालात को बेकाबू कर दिया है. जोधपुर के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों की व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं. अस्पतालों में 848 मरीजों का इलाज चल रहा है. अब आने वाले मरीजों को या तो बैरंग लौटना पड़ रहा है या फिर किसी के डिस्चार्ज होने का इंतजार करना पड़ा रहा है.

Pressure of patients on Jodhpur hospitals
जोधपुर के अस्पतालों पर मरीजों का दबाव
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Published : Apr 23, 2021, 10:27 PM IST

जोधपुर. कोविड उपचार का प्रमुख केंद्र एमडीएम अस्पताल के जनाना विंग से मरीज बैरंग लौटने लगे हैं. यहां घंटो तक इंतजार करने पर भी बेड नहीं मिल रहा है. कई मरीज दूसरी जगह चले गए. तो कुछ चक्कर लगाते हुए फिर यहीं नजर आए.

जोधपुर के अस्पतालों पर मरीजों का दबाव

मरीजों के परिजनों का कहना था कि यहां न तो बेड हैं न ऑक्सीजन. सभी जगह एक जैसे हालात बन रहे हैं. अपनी मां का उपचार करवाने आए रघुवीर सिंह ने बताया कि उनकी मां को एक अस्पताल से रैफर कर भेजा गया. लेकिन अस्पताल ने बेड नहीं होने की बात कहकर वहीं लौट जाने का जवाब दे दिया. ऐसे में रघुवार परेशान होकर कहते हैं कि न वहां इलाज मिल रहा और और न यहां, समझ नहीं आता कि कहां जाएं.

पढ़ें- कोरोना संकट की इस घड़ी में राजनीति से परे होकर एकजुटता की मिसाल पेश करें: CM गहलोत

मंडोर अस्पताल में भर्ती 14 वर्षीय बालक को एमडीएम भेजा गया. लेकिन यहां 1 घंटे तक वह एंबुलेंस में बैठा रहा. उसकी मां बेड के लिए कोविड सेंटर में घूमती रही. लेकिन बच्चे के लिए भी कोई इंतजाम नहीं हो सका.

कॉल सेंटर के गेट पर ही ट्रॉली पर ऑक्सीजन ले रहे पोकरण के गफूर की हालत भी ऐसी ही थी. उसे भी 2 घंटे के इंतजार के बाद भी बेड नहीं मिला. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौड़ का कहना है कि मरीजों का आभार अचानक बढ़ गया है. हम डिस्चार्ज कर जो भी बेड खाली हो रहा है वह तुरंत मरीज को उपलब्ध करवा रहे हैं. ऑक्सिजन कि आपूर्ति सुधरी है. हमारा प्रयास लगातार जारी है.

जोधपुर : फैक्ट फाइल

जोधपुर फैक्ट फाइल

जोधपुर. कोविड उपचार का प्रमुख केंद्र एमडीएम अस्पताल के जनाना विंग से मरीज बैरंग लौटने लगे हैं. यहां घंटो तक इंतजार करने पर भी बेड नहीं मिल रहा है. कई मरीज दूसरी जगह चले गए. तो कुछ चक्कर लगाते हुए फिर यहीं नजर आए.

जोधपुर के अस्पतालों पर मरीजों का दबाव

मरीजों के परिजनों का कहना था कि यहां न तो बेड हैं न ऑक्सीजन. सभी जगह एक जैसे हालात बन रहे हैं. अपनी मां का उपचार करवाने आए रघुवीर सिंह ने बताया कि उनकी मां को एक अस्पताल से रैफर कर भेजा गया. लेकिन अस्पताल ने बेड नहीं होने की बात कहकर वहीं लौट जाने का जवाब दे दिया. ऐसे में रघुवार परेशान होकर कहते हैं कि न वहां इलाज मिल रहा और और न यहां, समझ नहीं आता कि कहां जाएं.

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मंडोर अस्पताल में भर्ती 14 वर्षीय बालक को एमडीएम भेजा गया. लेकिन यहां 1 घंटे तक वह एंबुलेंस में बैठा रहा. उसकी मां बेड के लिए कोविड सेंटर में घूमती रही. लेकिन बच्चे के लिए भी कोई इंतजाम नहीं हो सका.

कॉल सेंटर के गेट पर ही ट्रॉली पर ऑक्सीजन ले रहे पोकरण के गफूर की हालत भी ऐसी ही थी. उसे भी 2 घंटे के इंतजार के बाद भी बेड नहीं मिला. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौड़ का कहना है कि मरीजों का आभार अचानक बढ़ गया है. हम डिस्चार्ज कर जो भी बेड खाली हो रहा है वह तुरंत मरीज को उपलब्ध करवा रहे हैं. ऑक्सिजन कि आपूर्ति सुधरी है. हमारा प्रयास लगातार जारी है.

जोधपुर : फैक्ट फाइल

जोधपुर फैक्ट फाइल
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