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सरकारी खर्च पर हो रही अधिकरण सदस्यों की मौज, मुकदमों का अम्बार, हाईकोर्ट ने अधिकरण अध्यक्ष का मांगा हलफनामा

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Published : May 18, 2022, 8:01 PM IST

राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण सदस्य जोधपुर में मंगल, बुध और गुरुवार को चल पीठ में सुनवाई करते हैं. उस सप्ताह वे सोमवार और शुक्रवार को कहीं भी न्यायिक कार्रवाई में भाग नहीं लेते. सदस्यों के आधिकारिक दौरे के सारे खर्च सरकारी उठाती है. इस संबंध में दायर जनहित याचिका (PIL against Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal members) की सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने प्राधिकरण अध्यक्ष को शपथ पत्र पेश करने को कहा है.

PIL against Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal members
सरकारी खर्च पर हो रही अधिकरण सदस्यों की मौज, मुकदमों का अम्बार, हाईकोर्ट ने अधिकरण अध्यक्ष का मांगा हलफनामा

जोधपुर. क्या कोई सोच भी सकता है कि जब न्यायालयों में लाखों मुकदमे लंबित हैं, दूसरी ओर आधिकारिक ड्यूटी पर होने के बावजूद सदस्य न्यायिक कार्रवाई नहीं कर सरकारी खर्चे पर मौज मस्ती कर रहे हैं. जी हां, ऐसा राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की चल पीठ जोधपुर में लगभग एक दशक से हो रहा है. इस बाबत दायर जनहित याचिका में लगे आरोप को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी ने प्राधिकरण के अध्यक्ष को शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा (PIL against Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal members) है. जोधपुर में जिस सप्ताह मंगल, बुध और गुरुवार को चल पीठ सुनवाई करती है, उस दौरान वे सदस्य सोमवार और शुक्रवार को कहीं पर भी न्यायिक कार्रवाई नहीं करते हैं. उन्होंने इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता को आगामी पेशी 26 मई से पूर्व राज्य सरकार से निर्देश लेने को कहा है कि जोधपुर में प्राधिकरण की क्यों न स्थाई पीठ गठित कर दी जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाथूसिंह राठौड़ ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से जनहित याचिका में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि खंडपीठ ने गत 8 अप्रैल को पूर्व में पारित अंतरिम आदेश में संशोधन करते हुए जोधपुर में 5 की बजाए 3 दिन ही चल पीठ गठित करने के आदेश किए थे. अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि खंडपीठ ने आदेश में संशोधन इस वजह से किया कि अधिकरण ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में यह कहा कि जयपुर में बहुत सारे प्रकरण लंबित हैं. इसलिए जोधपुर में एक सप्ताह तक कार्य करने से असुविधा होगी.

पढ़ें: Rajasthan High Court: हाईकोर्ट के प्रत्येक न्यायाधीश पर 23 हजार 665 मुकदमों का बोझ, 50 फीसदी पद अभी भी खाली

अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि वर्ष 2010 के बाद से अधिकरण जोधपुर में प्रतिमाह सिर्फ तीन दिन मंगल, बुध और गुरुवार को कार्यरत रहती है. लेकिन न्यायिक कार्रवाई में भाग लेने वाले दोनों सदस्य उस सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को किसी भी जगह न्यायिक कार्रवाई में भाग नहीं लेते हैं. उनका आधिकारिक दौरा पांच से छह दिन का रहता है. इसका यात्रा व्यय, भत्ता और ठहरने का खर्चा राज्य सरकार वहन करती है. उनके इस कृत्य से लंबित प्रकरणों की तादाद बढ़ती जा रही है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह, राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से डॉ सचिन आचार्य और भारत सरकार की ओर से अधिवक्ता मुकेश राजपुरोहित ने पैरवी की.

पढ़ें: Rajasthan High court: स्थाई लोक अदालतों के अध्यक्ष, सदस्य व स्टाफ की नियुक्ति को लेकर क्या कर रही सरकार, दो माह में पेश करें शपथ पत्र

राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी ने कहा कि सदस्य अपनी सुविधा के नाम पर न्यायिक कार्रवाई के दिनों में कटौती नहीं कर सकते हैं. उन्होंने अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि इस बाबत प्राधिकरण के अध्यक्ष का शपथ पत्र पेश करें और बताएं कि क्यों नहीं प्राधिकरण की चल पीठ जोधपुर में एक सप्ताह की जाए. उन्होंने आगामी तारीख 26 मई तक राज्य सरकार से निर्देश लेने का कहा है कि जोधपुर में प्राधिकरण की स्थाई पीठ गठित कर दी जाए.

जोधपुर. क्या कोई सोच भी सकता है कि जब न्यायालयों में लाखों मुकदमे लंबित हैं, दूसरी ओर आधिकारिक ड्यूटी पर होने के बावजूद सदस्य न्यायिक कार्रवाई नहीं कर सरकारी खर्चे पर मौज मस्ती कर रहे हैं. जी हां, ऐसा राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय प्राधिकरण की चल पीठ जोधपुर में लगभग एक दशक से हो रहा है. इस बाबत दायर जनहित याचिका में लगे आरोप को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी ने प्राधिकरण के अध्यक्ष को शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा (PIL against Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal members) है. जोधपुर में जिस सप्ताह मंगल, बुध और गुरुवार को चल पीठ सुनवाई करती है, उस दौरान वे सदस्य सोमवार और शुक्रवार को कहीं पर भी न्यायिक कार्रवाई नहीं करते हैं. उन्होंने इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता को आगामी पेशी 26 मई से पूर्व राज्य सरकार से निर्देश लेने को कहा है कि जोधपुर में प्राधिकरण की क्यों न स्थाई पीठ गठित कर दी जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाथूसिंह राठौड़ ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से जनहित याचिका में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि खंडपीठ ने गत 8 अप्रैल को पूर्व में पारित अंतरिम आदेश में संशोधन करते हुए जोधपुर में 5 की बजाए 3 दिन ही चल पीठ गठित करने के आदेश किए थे. अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि खंडपीठ ने आदेश में संशोधन इस वजह से किया कि अधिकरण ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में यह कहा कि जयपुर में बहुत सारे प्रकरण लंबित हैं. इसलिए जोधपुर में एक सप्ताह तक कार्य करने से असुविधा होगी.

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अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि वर्ष 2010 के बाद से अधिकरण जोधपुर में प्रतिमाह सिर्फ तीन दिन मंगल, बुध और गुरुवार को कार्यरत रहती है. लेकिन न्यायिक कार्रवाई में भाग लेने वाले दोनों सदस्य उस सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को किसी भी जगह न्यायिक कार्रवाई में भाग नहीं लेते हैं. उनका आधिकारिक दौरा पांच से छह दिन का रहता है. इसका यात्रा व्यय, भत्ता और ठहरने का खर्चा राज्य सरकार वहन करती है. उनके इस कृत्य से लंबित प्रकरणों की तादाद बढ़ती जा रही है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह, राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से डॉ सचिन आचार्य और भारत सरकार की ओर से अधिवक्ता मुकेश राजपुरोहित ने पैरवी की.

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राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी ने कहा कि सदस्य अपनी सुविधा के नाम पर न्यायिक कार्रवाई के दिनों में कटौती नहीं कर सकते हैं. उन्होंने अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि इस बाबत प्राधिकरण के अध्यक्ष का शपथ पत्र पेश करें और बताएं कि क्यों नहीं प्राधिकरण की चल पीठ जोधपुर में एक सप्ताह की जाए. उन्होंने आगामी तारीख 26 मई तक राज्य सरकार से निर्देश लेने का कहा है कि जोधपुर में प्राधिकरण की स्थाई पीठ गठित कर दी जाए.

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