जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से शिक्षा सेवा नियमों (education service rules) में व्याख्याता पदों को लेकर सीधी भर्ती और पदोन्नति के नियम अलग-अलग किये गये हैं. इससे वरिष्ठ अध्यापकों को नुकसान होगा. जिसके चलते राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) में याचिकाएं (petition) दायर की गई हैं.
राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत मोहंती (Indrajit Mohanty) व न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ (bench) ने नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब (Answer sought) किया है. याचिकाकर्ता रेणु वर्मा व अन्य की ओर से अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने याचिकाएं पेश करते हुए पक्ष रखा. याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता स्नातक और शिक्षा में डिग्री व डिप्लोमा के आधार पर वरिष्ठ अध्यापक (senior teacher) के पद पर नियुक्त हुए.
तत्पश्चात उन्होंने सम्बंधित विषय में स्नातकोत्तर की योग्यता हासिल की. राज्य सरकार (state government) ने 26 जुलाई 2021 को एक अधिसूचना जारी की कर दी जिसमें पदोन्नति के नियमो में बदलाव किया गया है. प्रार्थीगण की व्याख्याता के पद पर पदोन्नति राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 के अनुरूप होनी थी, जिन नियमों के अनुसार व्याख्याता पद (lecturer post) के लिए स्नातक व शिक्षा में डिग्री के साथ सम्बंधित विषय में स्नातकोत्तर होना चाहिए. जो कि प्रार्थीगण के पास योग्यता है.
प्रार्थीगण इसी आधार पर अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे. यह भी तर्क दिया कि कई पद अधिसूचना जारी होने से पूर्व ही रिक्त हो चुके थे. जिस कारण प्रार्थीगण का उन पदों पर पदोन्नति (promotion) का अधिकार व हित निहित हो चुका था. जिसे नये नियमों से नहीं छीना जा सकता.
पदोन्नति में देरी राज्य सरकार के कारण हुई. जिसका नुकसान प्रार्थीगण को नहीं भुगताया जा सकता. तर्क यह भी दिया कि व्याख्याता के पद पर सीधी भर्ती व पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए अलग-अलग योग्यता रखी गई, जो भेदभाव पूर्ण है.