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लैब तकनीशियन भर्ती-2020 : Offline फॉर्म स्वीकार करने और मेरिट के अनुसार वरीयता सूची में शामिल करने के आदेश जारी

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Published : Jul 9, 2020, 4:57 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने लैब तकनीशियन पदों के लिए ऑफलाइन फॉर्म स्वीकार करने एवं प्राप्तांक अनुसार वरीयता सूची में शामिल करने के आदेश जारी किए हैं. इसके लिए हाईकोर्ट ने राजस्थान पैरामेडिकल कॉउंसिल सहित राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

जोधपुर समाचार, jodhpur news
लैब तकनीशियन भर्ती-2020

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश मेहता ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत लैब तकनीशियन के पदों हेतु याची के आवेदन ऑफलाइन लेने और मेरिट के अनुसार मेरिट लिस्ट में यथा स्थान पर कंसीडर करने के लिए दिया गया है. इसके लिए हाईकोर्ट ने राजस्थान पैरामेडिकल कॉउंसिल सहित राज्य सरकार से जवाब तलब किया. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को मुकर्रर की गई है, साथ ही यह भी आदेश दिया कि याची के मेरिट में आने पर नियुक्ति और ज्वॉइनिंग कोर्ट के अनुमति के बिना नहीं देने के भी आदेश दिए हैं.

याची ज्योति सिलक की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याची ने बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक और स्नाकोत्तर डिग्री करने के बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर से पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी कोर्स में प्रवेश लिया था. जिसे उत्तीर्ण करने के बाद राजस्थान पैरामेडिकल कॉउंसिल में पंजीयन हेतु आवेदन किया. लेकिन कॉउंसिल ने याची का पंजीकरण आवेदन इसलिए निरस्त कर दिया कि याची ने पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी से पहले B.Sc डिग्री बायोलॉजी में नहीं कर बायोटेक्नोलॉजी में की.

पढ़ें- HC में कोरोना से हड़कंप, न्यायाधीश का निजी सचिव मिला पॉजिटिव

याची की ओर से बताया गया कि एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर स्वयं ने आदेश जारी कर लिखा कि बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) कोर्स बीएससी (बायोलॉजी) से बेहतर है. बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) में जो विषय पढ़ाए जाते हैं, उसमें बीएससी (बायोलॉजी) से उच्चत्तर है. इसलिए बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) वाले अभ्यर्थी को पंजीयन नहीं किया जाना गलत है, बल्कि पंजीयन किया जाने की अनुशंषा की.

दरअसल, राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड ने दिनांक 12 जून 2020 को लैब तकनीशियन के 1,119 पदों एवं सहायक रेडियोग्राफर के 1,058 पदों हेतु नियमित भर्ती निकाली है. जिसमें पहले आवेदन करने की अंतिम तिथि 2 जुलाई थी, जो अब बढ़ाकर 30 जुलाई कर दी गई है. याची समस्त योग्यता रखती है, लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड होने के अभाव में असमर्थ है और कंसीडर नहीं किया जा रहा है.

याची की ओर से बताया गया कि पूर्व में एक अन्य प्रकरण में यह निर्णित किया जा चुका है कि आवेदक के पंजीयन हेतु आवश्यक कोर्स पास करने से पूर्व नियमानुसार राजकीय विश्विद्यालय द्वारा समान या उच्चतर विषय में योग्यता होने पर उसे पंजीकरण हेतु मना करना गलत है.

याची की ओर से अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि विज्ञप्ति में आवेदन की अंतिम दिनांक तक लैब तकनीशियन पद के लिए अपेक्षित योग्यता 12वीं पास और मेडिकल लैब तकनीशियन में डिप्लोमा रखी गई. साथ ही मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत होना आवश्यक है जबकि याची के पास आवश्यक योग्यता अर्थात बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) के बाद पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी की है. जब याची ने अपेक्षित योग्यता राजकीय विश्वविद्यालय से अर्जित की है तो उसे बिना किसी उचित कारण के मना करना गलत और विधि विरुद्ध है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश मेहता ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत लैब तकनीशियन के पदों हेतु याची के आवेदन ऑफलाइन लेने और मेरिट के अनुसार मेरिट लिस्ट में यथा स्थान पर कंसीडर करने के लिए दिया गया है. इसके लिए हाईकोर्ट ने राजस्थान पैरामेडिकल कॉउंसिल सहित राज्य सरकार से जवाब तलब किया. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को मुकर्रर की गई है, साथ ही यह भी आदेश दिया कि याची के मेरिट में आने पर नियुक्ति और ज्वॉइनिंग कोर्ट के अनुमति के बिना नहीं देने के भी आदेश दिए हैं.

याची ज्योति सिलक की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याची ने बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक और स्नाकोत्तर डिग्री करने के बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर से पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी कोर्स में प्रवेश लिया था. जिसे उत्तीर्ण करने के बाद राजस्थान पैरामेडिकल कॉउंसिल में पंजीयन हेतु आवेदन किया. लेकिन कॉउंसिल ने याची का पंजीकरण आवेदन इसलिए निरस्त कर दिया कि याची ने पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी से पहले B.Sc डिग्री बायोलॉजी में नहीं कर बायोटेक्नोलॉजी में की.

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याची की ओर से बताया गया कि एमडीएस यूनिवर्सिटी अजमेर स्वयं ने आदेश जारी कर लिखा कि बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) कोर्स बीएससी (बायोलॉजी) से बेहतर है. बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) में जो विषय पढ़ाए जाते हैं, उसमें बीएससी (बायोलॉजी) से उच्चत्तर है. इसलिए बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) वाले अभ्यर्थी को पंजीयन नहीं किया जाना गलत है, बल्कि पंजीयन किया जाने की अनुशंषा की.

दरअसल, राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड ने दिनांक 12 जून 2020 को लैब तकनीशियन के 1,119 पदों एवं सहायक रेडियोग्राफर के 1,058 पदों हेतु नियमित भर्ती निकाली है. जिसमें पहले आवेदन करने की अंतिम तिथि 2 जुलाई थी, जो अब बढ़ाकर 30 जुलाई कर दी गई है. याची समस्त योग्यता रखती है, लेकिन राजस्थान मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड होने के अभाव में असमर्थ है और कंसीडर नहीं किया जा रहा है.

याची की ओर से बताया गया कि पूर्व में एक अन्य प्रकरण में यह निर्णित किया जा चुका है कि आवेदक के पंजीयन हेतु आवश्यक कोर्स पास करने से पूर्व नियमानुसार राजकीय विश्विद्यालय द्वारा समान या उच्चतर विषय में योग्यता होने पर उसे पंजीकरण हेतु मना करना गलत है.

याची की ओर से अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि विज्ञप्ति में आवेदन की अंतिम दिनांक तक लैब तकनीशियन पद के लिए अपेक्षित योग्यता 12वीं पास और मेडिकल लैब तकनीशियन में डिप्लोमा रखी गई. साथ ही मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत होना आवश्यक है जबकि याची के पास आवश्यक योग्यता अर्थात बीएससी (बायोटेक्नोलॉजी) के बाद पीजी डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी की है. जब याची ने अपेक्षित योग्यता राजकीय विश्वविद्यालय से अर्जित की है तो उसे बिना किसी उचित कारण के मना करना गलत और विधि विरुद्ध है.

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