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Special: पेट्रोल-डीजल में नहीं कर सकेंगे मिलावट, ऑटोमेशन तकनीक से तेल कंपनियां रख रहीं पेट्रोल पंपों पर नजर - ethanol increases the quantity of water

पेट्रोल-डीजल में मिलावट की शिकायतों को दूर करने के लिए तेल कंपनियों ने अब आधुनिक तकनीक अपनानी शुरू कर दी है जिससे पेट्रोल पंपों पर तय मात्रा से अधिक स्टॉक बढ़ने पर कंपनियों को जानाकारी मिल जाती है और पेट्रोल देने वाला नोजल भी बंद हो जाता है. स्टोरेज टैंक में रोजाना पानी की जांच होती है और स्टॉक होने लगता है तो पता चल जाता है कि टैंक लीकेज है. सामान्यत: 15 वर्ष बाद अंडर ग्राउंड टैंक को बदला जाता है.

ऑटोमेशन तकनीक से कर रहीं निगरानी, Oil companies are keeping an eye on petrol pumps,  Monitoring by using automation technology
तेल कंपनियां रख रहीं पेट्रोल पंपों पर नजर
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Published : Mar 31, 2021, 9:06 PM IST

जोधपुर. पेट्रोल और डीजल में कई बार पानी मिले होने की शिकायतें आती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई डीजल-पेट्रोल में पानी मिलाया जाता है या फिर जिन टैंकों में पेट्रोल-डीजल स्टोरेज किए जाते हैं उनमें लीकेज से पानी आ जाता है. लगातार अत्याधुनिक तकनीक से अपडेट हो रहे पेट्रोल पंपों पर तेल कंपनियां अब सीधी नजर रख रही हैं. ऑटोमेशन तकनीक के तहत कंपनियां स्टोरेज टैंक में ही ऐसे उपकरण लगाती हैं जिससे टैंक में स्टोर फ्यूल की जानकारी उनको मिलती रहती है. स्टॉक भी कंपनियों के सिस्टम में अपडेट रहता है. ऐसे में अगर फ्यूल में स्वत: ही बढ़ोतरी होती है तो माना जाता है कि इसमें मिलावट की गई है या पानी आ गया है. ऐसे में स्टॉक बढ़ जाता तो पेट्रोल देने वाला नोजल भी बंद हो जाता है, लेकिन यह तब होता है जब बड़ी मात्रा में स्टॉक बढ़े.

तेल कंपनियां रख रहीं पेट्रोल पंपों पर नजर

पढ़ें: Special: कहीं आपकी गाड़ी में पेट्रोल-डीजल कम तो नहीं डाला जा रहा ? ऐसे करें जांच और शिकायत

इन दिनों पेट्रोल में इथेलॉन मिलाया जाता है. जानकार बताते हैं कि इथेलॉन अगर पानी के संपर्क में आता है तो पानी की मात्रा बढ़ जाती है. यही कारण है कि प्रतिदिन डिप पेस्ट से पेट्रोल पंप संचालक पानी की मौजूदगी की जांच करते हैं. सामान्यत: लंबे समय बाद टैंक में सिल्ट जमने से भी पानी की परेशानी होती है. जिसे कई बार प्रेशर तकनीक से साफ किया जाता है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के जोधपुर जिलाध्यक्ष गोपाल सिंह रूदिया का कहना है कि ऑटोमेशन तकनीक से जुड़ने के बाद पेट्रोल पंप डीलर के हाथ में कुछ भी नहीं रहा है.

ऑटोमेशन तकनीक से कर रहीं निगरानी, Oil companies are keeping an eye on petrol pumps,  Monitoring by using automation technology
पेट्रोल-डीजल में आती थी मिलावट की शिकायतें

पढ़ें: SPECIAL : विटेंज वाहनों के शौकीन हैं अजमेर के हेमंत...टू व्हीलर से लेकर 8 व्हीलर तक के 125 वाहन हैं इनके पास

डीलर बिना अनुमति के टैंक नहीं खोल सकता. जो टैंकर आता है उसे भी खोलने के लिए ओटीपी की व्यवस्था लागू रहती है. ऐसे में स्टॉक पर पूरी तरह से कंपनी की नजर रहती है. स्टोरेज टैंक में रोजाना पानी की जांच कर कंपनी को अपडेट करना होता है. सामान्यत: जब स्टॉक होने लगता है तो यह पता चल जाता है कि टैंक लीकेज है. इससे डीलर का फ्यूल कम होने लगता है तो कंपनी की अनुमति से इन्हें बदला जाता है. सामान्यत: 15 वर्ष बाद अंडर ग्राउंड टैंक को बदला जाता है.

क्या है ऑटोमेशन तकनीक

प्रत्येक पंप पर कंपनियों ने एक कंप्यूटराइज्ड मैकेनिज्म लगा रखा है जो सीधा तेल कंपनी से जुड़ा रहता है. पंप के नोजल, टैंक व स्टॉक में किसी तरह का बदलाव करते ही सर्वर पर इंडिकेशन होने लगता है. इतना ही नहीं अगर किसी ग्राहक को सौ रुपए का तेल डालने के लिए ऑटोफीडिंग की जाती है और तेल कम दिया जाता है तो भी अगले ग्राहक को तेल नहीं मिल सकता.

जोधपुर. पेट्रोल और डीजल में कई बार पानी मिले होने की शिकायतें आती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई डीजल-पेट्रोल में पानी मिलाया जाता है या फिर जिन टैंकों में पेट्रोल-डीजल स्टोरेज किए जाते हैं उनमें लीकेज से पानी आ जाता है. लगातार अत्याधुनिक तकनीक से अपडेट हो रहे पेट्रोल पंपों पर तेल कंपनियां अब सीधी नजर रख रही हैं. ऑटोमेशन तकनीक के तहत कंपनियां स्टोरेज टैंक में ही ऐसे उपकरण लगाती हैं जिससे टैंक में स्टोर फ्यूल की जानकारी उनको मिलती रहती है. स्टॉक भी कंपनियों के सिस्टम में अपडेट रहता है. ऐसे में अगर फ्यूल में स्वत: ही बढ़ोतरी होती है तो माना जाता है कि इसमें मिलावट की गई है या पानी आ गया है. ऐसे में स्टॉक बढ़ जाता तो पेट्रोल देने वाला नोजल भी बंद हो जाता है, लेकिन यह तब होता है जब बड़ी मात्रा में स्टॉक बढ़े.

तेल कंपनियां रख रहीं पेट्रोल पंपों पर नजर

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इन दिनों पेट्रोल में इथेलॉन मिलाया जाता है. जानकार बताते हैं कि इथेलॉन अगर पानी के संपर्क में आता है तो पानी की मात्रा बढ़ जाती है. यही कारण है कि प्रतिदिन डिप पेस्ट से पेट्रोल पंप संचालक पानी की मौजूदगी की जांच करते हैं. सामान्यत: लंबे समय बाद टैंक में सिल्ट जमने से भी पानी की परेशानी होती है. जिसे कई बार प्रेशर तकनीक से साफ किया जाता है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के जोधपुर जिलाध्यक्ष गोपाल सिंह रूदिया का कहना है कि ऑटोमेशन तकनीक से जुड़ने के बाद पेट्रोल पंप डीलर के हाथ में कुछ भी नहीं रहा है.

ऑटोमेशन तकनीक से कर रहीं निगरानी, Oil companies are keeping an eye on petrol pumps,  Monitoring by using automation technology
पेट्रोल-डीजल में आती थी मिलावट की शिकायतें

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डीलर बिना अनुमति के टैंक नहीं खोल सकता. जो टैंकर आता है उसे भी खोलने के लिए ओटीपी की व्यवस्था लागू रहती है. ऐसे में स्टॉक पर पूरी तरह से कंपनी की नजर रहती है. स्टोरेज टैंक में रोजाना पानी की जांच कर कंपनी को अपडेट करना होता है. सामान्यत: जब स्टॉक होने लगता है तो यह पता चल जाता है कि टैंक लीकेज है. इससे डीलर का फ्यूल कम होने लगता है तो कंपनी की अनुमति से इन्हें बदला जाता है. सामान्यत: 15 वर्ष बाद अंडर ग्राउंड टैंक को बदला जाता है.

क्या है ऑटोमेशन तकनीक

प्रत्येक पंप पर कंपनियों ने एक कंप्यूटराइज्ड मैकेनिज्म लगा रखा है जो सीधा तेल कंपनी से जुड़ा रहता है. पंप के नोजल, टैंक व स्टॉक में किसी तरह का बदलाव करते ही सर्वर पर इंडिकेशन होने लगता है. इतना ही नहीं अगर किसी ग्राहक को सौ रुपए का तेल डालने के लिए ऑटोफीडिंग की जाती है और तेल कम दिया जाता है तो भी अगले ग्राहक को तेल नहीं मिल सकता.

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