जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने जोधपुर के जालोरी गेट हिंसा के मामले में दर्ज एक एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अनुसंधान अधिकारी सहित एसएचओ मौजूद (Rajasthan High court on Jalori Gate violence case) रहे. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने याचिकाकर्ता हितेश व्यास, अरविंद पुरोहित व खिमांशु गहलोत की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश की. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द पुरोहित व उनके सहयोगी कपिल पुरोहित ने पैरवी की. सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत जैन ने पक्ष रखा. वहीं सुनवाई के दौरान एसीपी जोधपुर पश्चिम कार्यालय चक्रवती सिंह व एसएचओ खांडा फलसा सुनील चारण पेश हुए. कोर्ट ने मामले में 26 मई को अगली सुनवाई मुकरर्र (Hearing of Jalori Gate violence on 26th May) की.
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जालौरी गेट हिंसा के मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी थी लेकिन तीन दिन बाद में देरी से एफआईआर संख्या 127 दर्ज करवाई गई, जो कि शिकायतकर्ता ने सोचसमझ कर कराई जो कि केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने का प्रयास है. सर्वोच्च न्यायालय ने भी एक निर्णय में कहा है कि एक ही घटना के लिए अलग-अलग एफआईआर नहीं हो सकती है. याचिकाकर्ता मौके पर मौजूद भी नहीं थे. उनको केवल परेशान किया जा रहा है. कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जांच अधिकारी को मामले में केस डायरी और सीसीटीवी फुटेज यदि हो तो उनको लेकर 23 मई को तलब किया था. तब तक याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जायेगा. सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाया गया है.
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गृह विभाग सचिव को भी पक्षकार बनाने के निर्देश: चित्तौडगढ़ के बेगूं उपखंड अधिकारी पर रिश्वत के आरोप के बावजूद अभी तक वहीं पर कार्यरत होने की वजह से बेगूं बार एसोसिएशन की ओर से उन्हें हटाने या स्थानान्तरित करने को लेकर दायर याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट मुख्यपीठ ने गृह विभाग के सचिव को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं. बेगू बार संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य के सहयोगी मानवेन्द्र कृष्ण सिंह ने याचिका पेश की.
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ के समक्ष याचिका में बताया कि बेगूं एसडीएम कार्यालय में लिपिक रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हो चुके हैं और एसडीएम पर भी गंभीर आरोप हैं. उसके बावजूद वहां पर न्यायिक कार्य कर रहे हैं. ऐसे में या तो उनको हटाया जाये या तबादला किया जाये. इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को कहा कि याचिका में संशोधन करते हुए सचिव गृह विभाग को भी प्रतिवादी बनाया जाये. वहीं एएजी सुनील बेनीवाल को सरकार की ओर से पैरवी करने के निर्देश देते हुए 5 जुलाई को सुनवाई मुकरर्र की है.
टोल वसूली में छूट: राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने रोहट जालौर राज्य मार्ग की सड़क को अगस्त दूसरे सप्ताह तक दुरस्त करने का आश्वासन देने पर टोल वसूली पर पूर्व में दिये अंतरिम आदेश को आगे बढाते हुए 16 अगस्त, 2022 तक छूट दी है. अब मामले में 17 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ के समक्ष प्रतिवादी कम्पनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कुलदीप माथुर व उनके सहयोगी धीरेन्द्रसिंह सोढा ने कहा कि अगस्त के दूसरे सप्ताह तक सड़क को दुरस्त कर दिया जायेगा. इस पर कोर्ट ने पूर्व में 15 दिसंबर, 2021 के अंतरिम स्थगन आदेश में रियायत देते हुए टोल वसूली करने के लिए राहत दी. जिसे अब 16 अगस्त, 2022 तक आगे बढाया गया है.
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गौरतलब है कि पूर्व में राज्य सरकार की ओर से एएजी करणसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए कहा था कि टोल वसूली पर रोक लगाये जाने की वजह से राज्य सरकार को राजस्व हानि हो रही है. जबकि पूर्व में राज्य सरकार ने कम्पनी को भुगतान किया है. इसके अलावा शपथ पत्र पेश कर बताया था कि करीब 100 किलोमीटर सड़क में से 39 किलोमीटर सड़क रिपेयर कर दी गई है. जो बची है सड़क उसे भी दो माह में रिपेयर कर दिया जायेगा. लेकिन इस दौरान टोल वसूली की छूट दी जाये. जीप कार टैक्सी यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश जोशी ने सहयोगी कामिनी जोशी के साथ याचिका पेश की थी और बताया कि पूरी सड़क बिखरी हुई है. उसके बावजूद टोल वसूली की जा रही है.