जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से जोधपुर में सरकारी मदर मिल्क बैंक खोलने में सक्रियता नहीं दिखाई गई. जिसके बाद जोधपुर में अनाथ बच्चों को पालने वाले सबसे नवजीवन संस्थान ने अपने स्तर पर ही लवकुश मदर मिल्क बैंक स्थापित किया है.
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चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित लवकुश गृह में संस्थान ने तीस लाख की लागत से यह बैंक स्थापित कर काम शुरू किया है. हालांकि औपचारिक उद्घाटन अभी बाकी है. संस्थान के राजेंद्र सिंह परिहार बताते हैं कि इस मदर मिल्क बैंक को स्थापित करने में सरकारी उदासिनता हमारे अनाथ बच्चों पर बहुत भारी पड़ रही थी. क्योंकि हमारे यहां ऐसे बच्चों को लोग पालने में छोड़ कर जाते हैं जिनका वजन सिर्फ 1 से 2 किलो होता है. ऐसे नवजात को मां का दूध मिल जाए तो उनका शारीरिक विकास सही से होता है.
![जोधपुर में मदर मिल्क बैंक, Mother Milk Bank in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11467333_4.png)
इसके लिए मदर मिल्क बैंक जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए हमने यह प्रयास किया है. मदर मिल्क बैंक के लिए प्रमुख उपकरण और मशीनें ब्रिटेन से मंगवाए गए है. परिहार के अनुसार इस बैंक से उनके यहां आने वाले बच्चों के अलावा अन्य को भी दूध उपलब्ध करवाया जाएगा, लेकिन इसके लिए उन मांओं को आगे आना होगा जो अपना दूध दान करें. हमने इसके लिए एक वैन भी तैयार की है अगर कोई मां यहां नहीं आ सकती तो हमारा स्टाफ दूध लेने जाएगा.
![जोधपुर में मदर मिल्क बैंक, Mother Milk Bank in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11467333_1.png)
सभी प्रोटाकॉल की पालना तय की गईः
इस मदर मिल्क बैंक में सभी विश्वस्तरीय प्रोटोकॉल की पालना की जा रही है. दूध का दान करने से पहले मां की पूरी काउंसलिंग की जाती है. दूध प्राप्त करने के लिए जो उपकरण लगाए गए है वह अत्याधुनिक है. जिससे मां को परेशानी नहीं हो. पूरे समय एक काउंसलर मां के पास मौजूद रहती है. प्राप्त दूध की सभी तरह की जांचें होती है. इसके अलावा मां की एंटीनेटर रिपोर्ट भी देखी जाती है. पाश्चराईजेशन से उसे बैक्टीरिया मुक्त किया जाता है. सभी तरह की रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही दूध को माइनस बीस डिग्री में स्टोर किया जाता है. जिसे आवश्यकतानुसार बच्चों को उपलब्ध करवाया जाता है.
![जोधपुर में मदर मिल्क बैंक, Mother Milk Bank in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11467333_2.png)
6 माह तक सुरक्षितः
राजेंद्र सिंह परिहार के मुताबिक मां के दूध की कल्चर जांच के बाद उसे पाश्चाराइज्ड किया जाता है. उसके बाद फ्रीज में रखा जाता है. इध दूध को 6 माह तक काम में लिया जा सकता है. परिहार के अनुसार उनके संस्थान में ही अभी 10 ऐसे नवजात आए हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता है. उसे पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.
![जोधपुर में मदर मिल्क बैंक, Mother Milk Bank in Jodhpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11467333_3.png)
ऐसा है नवजीन संस्थानः
जोधपुर में भगवानसिंह परिहार की ओर से स्थापित इस संस्थान के लवकुश गृह से अब तक 1471 बच्चों को गोद दिया जा चुका है. 20 अनाथ बच्चियों का पालन पोषण और उन्हें शिक्षित कर संस्थान उनकी शादी करवा कर घर बसा चुका है. वर्तमान में यहां 67 बच्चे रह रहे है. इनमें ज्यादातर बच्चियां है. इसके अलावा वृद्धाआश्रम का संचालन भी किया जा रहा है.
एक दशक तक सिर्फ सरकार में बने प्लानः
जोधपुर में मदर मिल्क बैंक खोलने को लेकर एक दशक से सिर्फ प्रस्ताव और प्लान पर ही काम चल रहा है. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बडे़ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संस्थान उम्मेद अस्पताल में बरसों पहले सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन हर बार बात आगे नहीं बढ़ी. हालात ऐसे हैं कि वर्तमान में लगभग सभी बडे़ जिलों में सरकार खुद मदर मिल्क बैंक स्थापित कर रही है, लेकिन जोधपुर को लेकर कोई योजना सामने नहीं आई. इससे परेशान होकर नवजीवन संस्थान ने अपने स्तर पर ही बैंक खोलने की योजना बनाई. क्योंकि बिना मां के दूध के कई नवजात अपनी जवां गवां रहे है. ऐसे नवजात को ह्यूमन मिल्क मिलने से उनका शारीरिक विकास सही होगा.