जोधपुर. देश की सुरक्षित मानी जाने वाली जेलों में शुमार जोधपुर की सेंट्रल जेल में पहली बार 17 मोबाइल, 18 सिम व तीन चार्जर का जखीरा मिला है. शातिर अपराधियों ने यह मोबाइल बैरक की जमीन में खड्डे कर छुपा रखे थे. इसके अलावा नालियों में भी डालकर रखे हुए थे. अचरज की बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल मिलने के बाद भी यह तय नहीं हो सका कि यह मोबाइल किससे बरामद हुए हैं. इन्हें लावारिस बरामद बताया गया है और अज्ञात लोगों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया है.
मोबाइल के आईएमआई नंबर व सिम की कॉल डिटेल निकालने के बाद ही पता चलेगा कि किस बंदी ने यह फोन उपयोग में लिए थे. उल्लेखनीय है कि प्रदेश के जेल विभाग के महानिदेशक राजीव दासौत के निर्देश पर ही ऑपरेशन फ्लैश आउट चल रहा है. जिसके तहत कई बार जेल में छापेमारी हुई है. बुधवार रात को भी जेल अधीक्षक ओम प्रकाश शर्मा ने जयपुर से अनुमति लेकर सर्च शुरू की थी.
पुलिस हर बार खाली हाथ, जेल प्रशासन ने तलाशा जखीरा, इस पर संशय...
बुधवार रात दस बजकर दस मिनट पर जोधपुर जेल प्रशासन ने ही कारपाल सरोज के नेृत्व में 40 जवानों की टीम लगाकर औचक निरीक्षण शुरू किया तो दो घंटे में ही 17 मोबाइल, 18 सिम व तीन चार्जर ढूंढ निकाले. जबकि पिछले दो माह में पुलिस व अन्य एजेंसियों ने कई बार औचक निरीक्षण किया, लेकिन उन्हें एक भी मोबाइल नहीं मिला. बुधवार रात को भी जेल प्रशासन द्वारा जब अपनी सर्च लगभग खत्म कर ली थी. ठीक उसी समय एडीसीपी भागचंद, रातानाडा थाना प्रभारी लीलाराम मय जाब्ता के पहुंचे. उन्होंने भी कुछ बैरक संभाले, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. सर्च के दौरान बैरक के बंदी बाहर रखे जाते हैं. जेल प्रशासन ने रात को ही इस बरामदगी की सूचना जयपुर भेजी और रातानाडा थाने में मामला दर्ज करवाया. इसी बात का संशय है कि मिलिभगत का खेल चल रहा है. पुलिस सूत्रों का कहना है इस मामले में कुछ जानकारियां पुलिस को मिली हैं, जिसमें मिलीभगत सामने आ रही है. इसका भी जल्द पुलिस खुलासा करेगी.
विचाराधीन बंदियों के बैरक से मिले मोबाइल...
पुलिस के अनुसार जेल प्रशासन ने जो रिपोर्ट दी उसमें बताया गया है कि बैरक संख्या 4, 7, 10 जो कि विचाराधीन बंदियों के हैं, उनके परिसर से यह मोबाइल बरामद हुए हैं. विचाराधीन बंदियों में ही सर्वाधिक हिस्ट्रशीटर व गैंगेस्टर हैं, जिनके विरूद्ध मामले चल रहे हैं. इससे यह भी बात साफ है कि जेल में मिली भगत के खेल से विचाराधीन बंदियों को सुविधाएं दी जा रही हैं, क्योंकि बिना जेल कर्मियों की मिलीभगत के जेल में कोई भी वस्तु नहीं ले जाई जा सकती. जबकि बीते दिनों ही पेशी पर जाकर आए बंदी के मुंह से सिम बरामद हुई थी.
पुलिस करेगी पड़ताल अंतिम आदमी की...
एडीसीपी भागचंद का कहना है कि अनुसंधान के दौरान जेल में मोबाइल के बंदी तक पहुंचने की हर कड़ी तक पहुंचा जाएगा. जिससे मोबाइल देने वाले, मोबाइल लेकर बंदी तक पहुंचाने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई हो सके. इसके लिए सभी मोबाइल व सिम की डिटेल निकालने के निर्देश दिए हैं. यह भी पता लगाया जाएगा कि मोबाइल से कहां कहां कॉल की गई है. मोबाइल पहुंचाने के जो भी सोर्स हैं उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी.