जोधपुर. भारतीय वायुसेना में मिग लड़ाकू विमानों का अपग्रेड वर्जन MIG- 27 को शुक्रवार को जोधपुर के एयरबेस से औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया. इस मौके पर MIG- 27 के 7 विमानों ने अंतिम फ्लाई मार्च किया. वहीं, 31 दिसंबर की शाम को MIG- 27 को औपचारिक रूप से अंतिम बार उड़ाया जाएगा. जिसके बाद धीरे-धीरे यह विमान पूरी तरह से मार्च 2020 तक हट जाएगा.
जोधपुर में शुक्रवार को एयरबेस पर आयोजित समारोह में दक्षिणी-पश्चिमी कमान के एयर मार्शल एस के घोटिया की मौजूदगी में MIG- 27 को भावभीनी विदाई दी गई. इस मौके पर सबसे पहले आकाशवीरों ने पैराशूट से छलांग लगाकर लोगों को रोमांचित किया. इसके बाद एयर वारियर की ओर से ड्रिल का प्रदर्शन किया गया. साथ ही सूर्य की किरणों के बीच विमानों ने MIG- 27 के रिटायरमेंट पर जोरदार कलाबाजियां दिखाई.
अंत में MIG- 27 का फ्लाई मार्च हुआ, जिसे दो सुखोई लड़ाकू जहाजों ने कवर किया. इसके बाद एक-एक कर 6 मिग नीचे उतरे और एयरबेस पर पहुंचे. जहां सभी को वाटर कैनन सेल्यूट दिया गया. वाटर कैनन सेल्यूट नए आने वाले जहाज और सेवानिवृत होने वाले जहाज को दिया जाता है. फ्लाई मार्च करने वाले पायलट्स के मुखिया ने एयर मार्शल घोटिया को जहाजों के दस्तावेज सौंपे गए. यह बेहद भावनात्मक क्षण था क्योंकि इस मौके पर कई ऐसे पायलट्स थे जिन्होंने हाल ही में स्क्वाड्रन लीडर बनने की शुरूआत इससे की थी और इसे उड़ाकर कई मिशन भी किए थे.
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समारोह में MIG- 27 के प्रमुख भागों की भी परेड निकाली गई. MIG- 27 के ग्राउंड होने की घोषणा के बाद इन विमानों को उड़ाने वाले कई अधिकारी अपनी यादें ताजा करने के लिए पहुंचे. इस दौरान सभी ने अपने परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाए. इस विमान के साथ अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर ध्रुव ने बताया कि मैंने इस जहाज से ही सब कुछ सीखा है ध्रुव ने कहा कि यह बहुत जोरदार मशीन है. लेकिन तकनीक के तौर पर एक दिन सब पुराना होता है. लेकिन यह हमेशा मेरे जहन रहने वाला जहाज है.
भारत में मिग श्रेणी के जहाजों की शुरूआत और उस समय ट्रेनिंग के लिए रूस गए एयर मार्शल ए. डी. जोशी ने बताया कि इस जहाज ने कई मिशन पूरे किए हैं. जोशी ने पहले मिग-23 को उड़ाया था. इसके बाद अपग्रेड मिग-27 आया था, जिसे उन्होंने कमांड किया था. उन्होंने बताया कि उनका MIG-27 को उड़ाने का अनुभव अब तक 991 घंटे का है. एयरमार्शल जोशी पहले पायलट थे, जिन्होंने इसे हिमालय में उतारा था.
उन्होंने बताया कि यह दुश्मन के घर में घुस कर मारने वाला जहाज था. एयर मार्शल के अनुसार ऐसा जहाज उन्होंने नहीं देखा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रफाल, सुखोई अपनी जगह बनाएंगे. कारगिल युद्ध में हरवाला कमांड के प्रमुख एयर मार्शल हौती ने बताया कि कई जहाज होते हैं. जिन्हें युद्ध में काम करने का मौका नहीं मिलता है. लेकिन MIG-27 को बहुत मौका मिला और इस जहाज ने सब कुछ कर के भी दिखाया था.
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MIG-27 से अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह जो बाद में एक दुर्घटना का शिकार हो गए वे शुक्रवार को व्हील चेयर पर अपने चहेते जहाज को विदाई देने आए .उन्होंने कहा कि यह नायाब चीज है. लेकिन समय के साथ सबको बदलना होता है. गौरतलब है कि भारत में 1981 में MIG-23 को अपग्रेड कर MIG-27 बनाया गया था.
जिसकी पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात हुई थी और अब 38 साल बाद जोधपुर बेस पर इसका सफर खत्म हुआ है. वायुसेना इसे बहादुर कहकर भी बुलाती है. शुक्रवार को जोधुपर में MIG-27 की बची हुई स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियों के सभी 7 मिग विमान फेजआउट किए गए.