ETV Bharat / city

वायुसेना को अलविदा कह गया 'MIG-27', कारगिल के इस हीरो से खौफ खाता था पाकिस्तान - मिग 27 को किया गया रिटायर

भारतीय वायुसेना में मिग लड़ाकू विमानों का अपग्रेड वर्जन MIG- 27 को शुक्रवार को जोधपुर के एयरबेस से औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया. इस मौके पर MIG- 27 के 7 विमानों ने अंतिम फ्लाई मार्च किया. वहीं, 31 दिसंबर की शाम को MIG- 27 को औपचारिक रूप से अंतिम बार उड़ाया जाएगा.

MIG 27 की आखिरी उड़ान, Last flight of MIG 27
MIG 27 की आखिरी उड़ान
author img

By

Published : Dec 27, 2019, 7:29 PM IST

Updated : Dec 27, 2019, 11:53 PM IST

जोधपुर. भारतीय वायुसेना में मिग लड़ाकू विमानों का अपग्रेड वर्जन MIG- 27 को शुक्रवार को जोधपुर के एयरबेस से औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया. इस मौके पर MIG- 27 के 7 विमानों ने अंतिम फ्लाई मार्च किया. वहीं, 31 दिसंबर की शाम को MIG- 27 को औपचारिक रूप से अंतिम बार उड़ाया जाएगा. जिसके बाद धीरे-धीरे यह विमान पूरी तरह से मार्च 2020 तक हट जाएगा.

जोधपुर से MIG- 27 की रिटायरमेंट

जोधपुर में शुक्रवार को एयरबेस पर आयोजित समारोह में दक्षिणी-पश्चिमी कमान के एयर मार्शल एस के घोटिया की मौजूदगी में MIG- 27 को भावभीनी विदाई दी गई. इस मौके पर सबसे पहले आकाशवीरों ने पैराशूट से छलांग लगाकर लोगों को रोमांचित किया. इसके बाद एयर वारियर की ओर से ड्रिल का प्रदर्शन किया गया. साथ ही सूर्य की किरणों के बीच विमानों ने MIG- 27 के रिटायरमेंट पर जोरदार कलाबाजियां दिखाई.

अंत में MIG- 27 का फ्लाई मार्च हुआ, जिसे दो सुखोई लड़ाकू जहाजों ने कवर किया. इसके बाद एक-एक कर 6 मिग नीचे उतरे और एयरबेस पर पहुंचे. जहां सभी को वाटर कैनन सेल्यूट दिया गया. वाटर कैनन सेल्यूट नए आने वाले जहाज और सेवानिवृत होने वाले जहाज को दिया जाता है. फ्लाई मार्च करने वाले पायलट्स के मुखिया ने एयर मार्शल घोटिया को जहाजों के दस्तावेज सौंपे गए. यह बेहद भावनात्मक क्षण था क्योंकि इस मौके पर कई ऐसे पायलट्स थे जिन्होंने हाल ही में स्क्वाड्रन लीडर बनने की शुरूआत इससे की थी और इसे उड़ाकर कई मिशन भी किए थे.

पढ़ें- मिग-27 : करगिल के हीरो की हुई विदाई

समारोह में MIG- 27 के प्रमुख भागों की भी परेड निकाली गई. MIG- 27 के ग्राउंड होने की घोषणा के बाद इन विमानों को उड़ाने वाले कई अधिकारी अपनी यादें ताजा करने के लिए पहुंचे. इस दौरान सभी ने अपने परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाए. इस विमान के साथ अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर ध्रुव ने बताया कि मैंने इस जहाज से ही सब कुछ सीखा है ध्रुव ने कहा कि यह बहुत जोरदार मशीन है. लेकिन तकनीक के तौर पर एक दिन सब पुराना होता है. लेकिन यह हमेशा मेरे जहन रहने वाला जहाज है.

भारत में मिग श्रेणी के जहाजों की शुरूआत और उस समय ट्रेनिंग के लिए रूस गए एयर मार्शल ए. डी. जोशी ने बताया कि इस जहाज ने कई मिशन पूरे किए हैं. जोशी ने पहले मिग-23 को उड़ाया था. इसके बाद अपग्रेड मिग-27 आया था, जिसे उन्होंने कमांड किया था. उन्होंने बताया कि उनका MIG-27 को उड़ाने का अनुभव अब तक 991 घंटे का है. एयरमार्शल जोशी पहले पायलट थे, जिन्होंने इसे हिमालय में उतारा था.

उन्होंने बताया कि यह दुश्मन के घर में घुस कर मारने वाला जहाज था. एयर मार्शल के अनुसार ऐसा जहाज उन्होंने नहीं देखा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रफाल, सुखोई अपनी जगह बनाएंगे. कारगिल युद्ध में हरवाला कमांड के प्रमुख एयर मार्शल हौती ने बताया कि कई जहाज होते हैं. जिन्हें युद्ध में काम करने का मौका नहीं मिलता है. लेकिन MIG-27 को बहुत मौका मिला और इस जहाज ने सब कुछ कर के भी दिखाया था.

पढ़ें- जयपुर ब्लास्ट: 9वें जिंदा बम को लेकर पूछताछ करेगी ATS, 5 आरोपी को प्रोडक्शन वारंट पर लिया

MIG-27 से अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह जो बाद में एक दुर्घटना का शिकार हो गए वे शुक्रवार को व्हील चेयर पर अपने चहेते जहाज को विदाई देने आए .उन्होंने कहा कि यह नायाब चीज है. लेकिन समय के साथ सबको बदलना होता है. गौरतलब है कि भारत में 1981 में MIG-23 को अपग्रेड कर MIG-27 बनाया गया था.

जिसकी पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात हुई थी और अब 38 साल बाद जोधपुर बेस पर इसका सफर खत्म हुआ है. वायुसेना इसे बहादुर कहकर भी बुलाती है. शुक्रवार को जोधुपर में MIG-27 की बची हुई स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियों के सभी 7 मिग विमान फेजआउट किए गए.

जोधपुर. भारतीय वायुसेना में मिग लड़ाकू विमानों का अपग्रेड वर्जन MIG- 27 को शुक्रवार को जोधपुर के एयरबेस से औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया. इस मौके पर MIG- 27 के 7 विमानों ने अंतिम फ्लाई मार्च किया. वहीं, 31 दिसंबर की शाम को MIG- 27 को औपचारिक रूप से अंतिम बार उड़ाया जाएगा. जिसके बाद धीरे-धीरे यह विमान पूरी तरह से मार्च 2020 तक हट जाएगा.

जोधपुर से MIG- 27 की रिटायरमेंट

जोधपुर में शुक्रवार को एयरबेस पर आयोजित समारोह में दक्षिणी-पश्चिमी कमान के एयर मार्शल एस के घोटिया की मौजूदगी में MIG- 27 को भावभीनी विदाई दी गई. इस मौके पर सबसे पहले आकाशवीरों ने पैराशूट से छलांग लगाकर लोगों को रोमांचित किया. इसके बाद एयर वारियर की ओर से ड्रिल का प्रदर्शन किया गया. साथ ही सूर्य की किरणों के बीच विमानों ने MIG- 27 के रिटायरमेंट पर जोरदार कलाबाजियां दिखाई.

अंत में MIG- 27 का फ्लाई मार्च हुआ, जिसे दो सुखोई लड़ाकू जहाजों ने कवर किया. इसके बाद एक-एक कर 6 मिग नीचे उतरे और एयरबेस पर पहुंचे. जहां सभी को वाटर कैनन सेल्यूट दिया गया. वाटर कैनन सेल्यूट नए आने वाले जहाज और सेवानिवृत होने वाले जहाज को दिया जाता है. फ्लाई मार्च करने वाले पायलट्स के मुखिया ने एयर मार्शल घोटिया को जहाजों के दस्तावेज सौंपे गए. यह बेहद भावनात्मक क्षण था क्योंकि इस मौके पर कई ऐसे पायलट्स थे जिन्होंने हाल ही में स्क्वाड्रन लीडर बनने की शुरूआत इससे की थी और इसे उड़ाकर कई मिशन भी किए थे.

पढ़ें- मिग-27 : करगिल के हीरो की हुई विदाई

समारोह में MIG- 27 के प्रमुख भागों की भी परेड निकाली गई. MIG- 27 के ग्राउंड होने की घोषणा के बाद इन विमानों को उड़ाने वाले कई अधिकारी अपनी यादें ताजा करने के लिए पहुंचे. इस दौरान सभी ने अपने परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाए. इस विमान के साथ अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर ध्रुव ने बताया कि मैंने इस जहाज से ही सब कुछ सीखा है ध्रुव ने कहा कि यह बहुत जोरदार मशीन है. लेकिन तकनीक के तौर पर एक दिन सब पुराना होता है. लेकिन यह हमेशा मेरे जहन रहने वाला जहाज है.

भारत में मिग श्रेणी के जहाजों की शुरूआत और उस समय ट्रेनिंग के लिए रूस गए एयर मार्शल ए. डी. जोशी ने बताया कि इस जहाज ने कई मिशन पूरे किए हैं. जोशी ने पहले मिग-23 को उड़ाया था. इसके बाद अपग्रेड मिग-27 आया था, जिसे उन्होंने कमांड किया था. उन्होंने बताया कि उनका MIG-27 को उड़ाने का अनुभव अब तक 991 घंटे का है. एयरमार्शल जोशी पहले पायलट थे, जिन्होंने इसे हिमालय में उतारा था.

उन्होंने बताया कि यह दुश्मन के घर में घुस कर मारने वाला जहाज था. एयर मार्शल के अनुसार ऐसा जहाज उन्होंने नहीं देखा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रफाल, सुखोई अपनी जगह बनाएंगे. कारगिल युद्ध में हरवाला कमांड के प्रमुख एयर मार्शल हौती ने बताया कि कई जहाज होते हैं. जिन्हें युद्ध में काम करने का मौका नहीं मिलता है. लेकिन MIG-27 को बहुत मौका मिला और इस जहाज ने सब कुछ कर के भी दिखाया था.

पढ़ें- जयपुर ब्लास्ट: 9वें जिंदा बम को लेकर पूछताछ करेगी ATS, 5 आरोपी को प्रोडक्शन वारंट पर लिया

MIG-27 से अपना करियर शुरू करने वाले स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह जो बाद में एक दुर्घटना का शिकार हो गए वे शुक्रवार को व्हील चेयर पर अपने चहेते जहाज को विदाई देने आए .उन्होंने कहा कि यह नायाब चीज है. लेकिन समय के साथ सबको बदलना होता है. गौरतलब है कि भारत में 1981 में MIG-23 को अपग्रेड कर MIG-27 बनाया गया था.

जिसकी पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात हुई थी और अब 38 साल बाद जोधपुर बेस पर इसका सफर खत्म हुआ है. वायुसेना इसे बहादुर कहकर भी बुलाती है. शुक्रवार को जोधुपर में MIG-27 की बची हुई स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियों के सभी 7 मिग विमान फेजआउट किए गए.

Intro:


Body: 38 साल पहले जोधपुर में पहली तैनातगी हुई मिग 27 की, रिटायरमेंट भी जोधपुर से जोधपुर। भारतीय वायुसेना में मिग लडाकू विमानों का अपग्रेड वर्जन मिग 27 को शुक्रवार को जोधपुर के एअरबेस से औपचारिक रूप से रिटायर कर दिया गया। इस मौके पर मिग 27 के 7 विमानों ने अंतिम फ्लाई मार्च किया। अंतिम उडान 31 दिसंबर की शाम को होगी। धीरे धीरे यह विमान पूरी तरह से अगले साल मार्च तक हट जाएगा। शुक्रवार को जोधपुर एअरबेस पर आयोजित समारोह में दिक्षणी पश्चिमी कमान के एअर मार्शल एसके घोटिया की मौजूदगी में मिग 27 को भावभिनी विदाई दी गई। इस मौके पर सबसे पहले आकाशवीरों ने पैराशूट से छलांग लगाकर लोगों को रोमांचित किया। इसके बाद एअर वारियर की ओर से ड्रिल का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद सूर्यकिरण केविमानों ने मिग 27 के रिटायरमेंट पर जोरदार कलाबाजियां दिखाई। अंत में मिग 27 का फ्लाई मार्च हुआ जिसे दो सुखाई लडाकू जहाज ने कवर किया। इसके बाद एक—एक कर 6 मिग नीचे उतरे और एअरबेस पर पहुंचे सभी को वाटर कैनन सेल्यूट दिया गया। वाटर कैनन सेल्यूट नए आनेवाले  जहाज व सेवानिवृत होने वाले जहाज को दिया जाता है। फ्लाईमार्च करने वाले पायलट्स के मुखिया ने एअरमार्शल घोटिया को जहाजों के दस्तावेज सौंपे। यह बेहद भावनात्मकक्षण था क्योंकि इस मौके पर कई ऐसे पायलट्स थे जिन्होंने हाल ही में स्क्वाइड्रन लीडर बनने की शुरूआत इससे की तो कई ऐसे थे जिन्होंने इसे उडाकर कई मिशन भी किए थे। समारोह में मिग 27 के के प्रमुख भागों की भी परेड निकाली गई। मिग.27 के ग्राउंड होने की घोषणा के बाद इन विमानों को उडाने वाले कई पूरे अधिकारी अपनी यादें ताजा करने पहुंचे। सभी ने अपने परिवार के साथ फोटो भी खिंचवाए।  अपना करिअर शुरू करने वाले स्वाइड्रन लीडर ध्रुव ने बताया कि मैने इस जहाज से ही सबकुछ सीखा है और आज अंतिम उडान का भी मुझे मौका मिला यह बहुत जोरदार मशीन है। लेकिन एक दिन सभी को पुरानी तकनीक को जाना होता है लेकिन यह हमेशा मेरे जहन रहने वाला जहाज है।  भारत में मिग श्रेणी के जहाजों की शुरूआत और उस समय ट्रेनिंग के लिए रूस गए एअरमार्शल एडी जोशी ने बताया कि यह इस जहाज ने कई मिशन पूरे किए हैं। जोशी ने पहले मिग23 उडाया था इसके बाद अपग्रेड मिग 27 आया था। जिसे उन्होंने कमांड किया था। उन्होंने 999 घंटे इसे उडाने का अनुभव है। एअरमार्शल जोशी पहले पायलट थे जिन्होंने हिमालय में इसे उतारा था। उन्होंने बताया कि यह दुश्मन के घर में घुस कर मारने वाला जहाज था। एअरमार्शल के अनुसार ऐसा जहाज मैने नहीं देखा। आने वाले समय में रफाल, सुखोई अपनी जगह बनाएंगे। कारगिलयुद्ध में हरवाला कमांड के प्रमुख एअरमार्शल हौती ने बताया कि कई जहाज होते हैं जिन्हें युद्ध में काम करने का मौका नहीं मिलता है लेकिन मिग 27 को बहुत मौका मिला और इस जहाज ने सबकुछ कर भी दिखाया था। इस जहाज से अपना करिअर शुरू करने वाले स्क्वाइड्रन लीडर अभय प्रतापसिंह जो बाद में एक दुर्घटना का शिकार हो गए वे आज व्हील चेयर अपने चहेते जहाज को विदाई देने आए उन्हेांने कहा कि यह नायाब चीज है। लेकिन समय के साथ सबको बदलना होता है। गौरतलब है कि भारत में 1981 में मिग 23 अपग्रेड कर मिग 27 बनाया गया था। जिसकी पहली स्कवाइड्रन जोधपुर में तैनात हुई थी। 38 साल बाद जोधपुर बेस पर इसका सफर खत्म हुआ है। वायुसेना इसे बहादुर कहकर भी बुलाती है। शुक्रवार को जोधुपर में मिग-27 की बची हुई स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियो के सभी 7 मिग विमान फेजआउट किए गए। बाईट 1 स्वाइड्रन लीडर ध्रुव बाईट 2 एअरमार्शल हौती बाईट 3 स्वाइड्रन लीडर अभयप्रतापसिंह बाईट 4 एअरमार्शल एडी जोशी


Conclusion:
Last Updated : Dec 27, 2019, 11:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.