जोधपुर. सीकर के खाटू श्याम मंदिर में सोमवार सुबह मुख्य द्वार खुलते ही मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. प्रदेश में लंबे समय बाद ऐसा हादसा हुआ है. इससे पहले जोधपुर के मेहरानगढ़ स्थित चामुंडा मंदिर में नवरात्र के दौरान दर्शन के लिए अलसुबह जुटी भीड़ की भगदड़ (Chamunda Temple Stampede) में 216 युवाओं की मौत हुई थी. तब दावे किए गए थे कि प्रदेश के बड़े मंदिरों में ऐसे हादसे नहीं हो, इसको लेकर पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे. लेकिन खाटू श्याम मंदिर में हुई घटना ने सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है.
देवस्थान विभाग की मंत्री शकुंतला रावत ने इस मामले में लापरवाह व जिम्मेदारों के (Stampede at Khatu Shyam temple in sikar) विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है. मेहरानगढ़ की घटना 30 सितंबर 2008 को हुई थी, अगले माह तीस सितंबर को इस घटना के 14 साल पूरे हो जाएंगे. लेकिन इस हादसे के जिम्मेदारों के नाम आज तक सामने नहीं आए. वहीं इस हादसे ने जोधपुर को हिलाकर रख दिया था.
पढ़ें. Khatushyamji Big News : मासिक मेले में मची भगदड़, तीन महिला श्रद्धालुओं की मौत...जांच के आदेश
हादसे की समानता, सुबह दर्शन की जल्दी: मेहरानगढ़ में पहले नवरात्र प्रतिपदा के अवसर पर देर रात (Mehrangarh fort tragedy) से ही लोग किले के बाहर जुटना शुरू हो जाते थे. सुबह करीब चार बजे किले का द्वार खुला तो हजारों की भीड चामुंडा मंदिर की और दौड़ पड़ी. मंदिर से ठीक पहले एक संकरी ढलान के रास्ते में श्रद्धालु फंस गए, जिससे 216 की मौत हो गई. खाटू श्याम मंदिर में भी सोमवार सुबह एकादशी के दर्शन के लिए श्रद्धालु देर रात से ही लाइन में लगे थे. सुबह पांच बजे जब द्वार खुले तो हजारों की भीड़ अंदर घुसी. इसी आपाधापी में भगदड़ ने तीन महिलाओं को कुचल दिया.
फंसे हुए खड़े रह गए थे: जोधपुर में मेहरानगढ़ में जिस जगह पर हादसा हुआ था, वहां युवा श्रद्धालु एक दूसरे से फंसे हुए ही रह गए. जब उनके शव निकाले गए थे तो सब खड़े थे. माना गया था कि दम घुटने से सबकी मौत हो गई. मरने वाले सभी 16 से 25 साल के युवा थे. जिनके शव को काफी मशक्कत के बाद निकाला गया था. वहीं कितने ही फंसे हुए लोगों ने किले से नीचे लाने के दौरान दम तोड़ दिया था. अस्पतालों में शवों का अंबार लग गया था.
जांच हुई पर खुलासा नहीं : मेहरानगढ़ हादसे की जांच के लिए जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया. उन्होंने मंदिरों की यात्रा में ऐसे हादसे दुबारा नहीं हो इसके लिए सिफारिशें भी की और अपनी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंपी थी. लेकिन घटना के बाद से कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन आज तक रिपोर्ट का खुलासा नहीं हुआ. वहीं घटना के जिम्मेदारों के नाम भी सामने नहीं आए. अभी भी हाईकोर्ट में रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर सुनवाई जारी है.
सिफारिशों पर हुआ अमल: चोपड़ा आयोग ने हादसा नहीं दोहराने को लेकर सिफारिश करते हुए कहा था कि चामुंडा मंदिर के लिए अलसुबह दर्शन की व्यवस्था बंद की जाए, जिसे लागू किया गया. इसके बाद से सुबह 8 बजे बाद ही दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाता है. किले के बाहर बैरिकेडिंग लगाई जाती है जो मंदिर तक रहती है. सीसीटीवी लगाए गए. नवरात्र के समय में कंट्रोल रूम लगया जाता है. इमरजेंसी सेवाओं के लिए एंबुलेंस व चिकित्साकर्मी लगते हैं. वहीं नवरात्र में मंदिर की परिक्रमा बंद की गई. प्रवेश से पहले चेक पाइंट भी लगाए गए. संध्या आरती में प्रवेश बंद किया गया. नवरात्र के दौरान पांच सौ से ज्यादा पुलिस व किले के सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं.