जोधपुर. मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक जोधपुर जिले के खारिया खंगार ग्राम में 2 दिन के दौरे (Satyapal Malik visited Jodhpur) पर हैं. यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि वे अपनी फसल का दाम खुद तय करें. इसके लिए दूसरी लडाई लड़नी पड़ेगी (Satyapal Malik said farmers should ready for second war) और उन्हें तैयार रहना चाहिए.
सत्यपाल मलिक ने देश के वर्तमान हालात मेहनतकश और नौजवानों के लिए मुफीद नहीं बताए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को लागत का पैसा नहीं मिल रहा है और नौजवानों को नौकरियां नहीं मिल रहीं हैं. केंद्र सरकार का नाम लिए बगैर मलिक ने कहा कि उन्हें अभी भी इस बात की तसल्ली नहीं है कि किसान आंदोलन खत्म होने पर बची हुई मांगों को मान लिया जाएगा. जबकि दस दिन पहले ही जोधपुर में एक समारोह में उन्होंने 2024 के चुनाव से पहले किसानों की मांगें मानने की संभावना जताई थी.
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आज मलिक ने एक सम्मान समारोह में कहा कि एमएसपी के लिए दूसरी लड़ाई लड़ने को किसान तैयार रहें. यह भी कहा कि अब जब लड़ाई शुरू हो तो पूरी खत्म करने से पहले रुकना नहीं है. मलिक ने यह भी कहा कि 6 महीने के बाद जब मेरी गवर्नरशिप खत्म हो जाएगी तो मैं भी इस लड़ाई में कूद पडूंगा. कार्यक्रम में पाली के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ समाजसेवी प्रमिला चौधरी, पीपाड़ प्रधान सोनिया जयंत चौधरी, भोपालगढ़ प्रधान शांति राजेश चौधरी, जिला परिषद सदस्य मुन्नी गोदारा सहित सहित जाट समाज के लोग मौजूद रहे.
ईरानी को तीन-तीन कोस दौड़ाया
उत्तर प्रदेश चुनाव की चर्चा करते हुए मलिक ने कहा कि हमारे जिले बागपत, मेरठ व अन्य में भाजपा का कोई भी मंत्री एंट्री नहीं कर सका. स्मृति ईरानी को लोगों ने तीन कोस दौड़ाया था. अभी तक लोगो में गुस्सा है. किसानों के मामले में अभी भी संशय है कि सरकार बची हुई मांगों पर कब निर्णय लेगी. बिना एमएसपी के अब किसान मानने वाले नहीं है.
हवेली होती तो ईडी का छापा पड़ जाता
मलिक ने कहा कि किसानों के मामले को लेकर प्रधानमंत्री से जो पंगा लिया था अगर मेरे पास कोई कोठी हवेली होती तो कब का एडी का छापा पड़ जाता, लेकिन कुछ है ही नहीं. मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री के दोस्तों ने पानीपत में 500 एकड़ में बड़े गोदाम बना रखे हैं ताकि सस्ता अनाज खरीद कर जमा करने और महंगा होने पर बेच देंगे. इसलिए किसानों को कुछ भूलना नहीं है. दूसरी लड़ाई की तैयारी शुरु कर दो.
शिक्षा को फांसी पर लटका दिया गया है देश में
मलिक ने कार्यक्रम में बालिका शिक्षा पर जोर देने की बात कही. उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि जब वे संसदीय कार्य मंत्री थे तब पता चला कि किस तरह से इस देश में जब बजट तैयार होता है तो 5-6 विभागों के महत्व पर ही फोकस किया जाता है. शिक्षा को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है. इस देश में शिक्षा को लेकर बजट में बहस होती है लेकिन बजट के मामले में उसे फांसी पर लटका दिया गया है. महज 6% बजट शिक्षा के लिए दिया जा रहा है जो बहुत कम है.