जोधपुर. लंपी स्किन डिजीज से गायों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है, जिसके चलते दुग्ध उत्पादन (Lumpy Effect on Milk Production in Jodhpur) बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. पश्चिमी राजस्थान की सबसे बड़ी जोधपुर की सरस डेयरी में दूध संकलन आधा रह गया है. घी का उत्पादन बंद हो चुका है. अफसरों की मानें तो आगे त्योहारी सीजन में यह संकट और गहरा सकता है. हालांकि, त्योहार अभी आगे हैं, उससे पहले हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण श्राद्ध पक्ष शुरू होने जा रहे हैं. इस दौरान 15 दिनों तक हर दिन घरों में खीर बनती है.
दूध की कमी और बढ़ते भाव इस श्राद्ध पक्ष में खीर की मिठास कम करेंगे. इसके साथ आने वाले नवरात्र और दिवाली पर दूध की कमी के चलते मिठाइयां महंगी होने की आशंका गहरा रही है. इसकी वजह यह है कि सरस डेयरी ने दो रुपये किलो दूध के भाव बढ़ा दिए हैं. जबकि शहर के गली-मोहल्ले में बिकने वाले चौहटे के दूध के भाव में (Milk Price Increases in Jodhpur) ज्यादा उछाल आ गया है. लंपी के बाद से 20 रुपये प्रति किलो दूध महंगा हो गया है. पूर्व में जहां 45 रुपये प्रति किलो दूध था वह अब 65 से 70 रुपये में बिक रहा है.
श्राद्ध में खीर को माना गया है पवित्र : श्राद्ध पक्ष यानी की पितृ पक्ष हिंदू धर्म में किसे महत्वपूर्ण माना गया है. इस बार 10 से 25 सितंबर तक यह पक्ष चलेगा. इस दौरान परिवार जन अपने पूर्वजों के मोक्ष तिथि के दिन ब्राह्मण भोजन व अन्य आयोजन करते हैं. इस भोजन में खीर अनिवार्य हिस्सा होती है. दूध व चावल से निर्मित खीर को शास्त्रों में पवित्र माना गया है. पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी का कहना है कि शास्त्रों में बताया गया है कि पितरों को श्वेत मोजन प्रिय होता है. इसमें गाय का दूध सबसे सात्विक माना जाता है. गोरस से बनी खीर को भोजन में शामिल किया जाता है. चावल को जमीकंद नहीं माना गया है. गाय के दूध से बनी खीर को सर्वोतम माना जाता है. इसलिए खीर पितृ भोजन का आवश्यक भाग है.
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चौहटे के दूध में भी कमी, भावों में बढ़ोतरी : जोधपुर में डेयरी के मुकाबले भीतरी शहर व मूल शहर वासी चौहटे का दूध लेना पसंद करते हैं. शहर में रहने वाले पशु पालकों की समिति दूध की गुणवत्ता के आधार पर भाव तय करती है. मारवाड़ दुग्ध उत्पादक विकास समिति के अध्यक्ष शंकर बोराणा कहना है कि पशुपालकों के हर बाड़े में लंपी का असर है. 40 फीसदी दूध की कमी हो गई है. इसके चलते भाव बढ़ रहे हैं. बोराणा का कहना है कि हमारी चिंता यह नहीं है कि एक माह बाद क्या होगा ? अभी शहर वासी दूध का उपयोग कम कर रहे हैं. आगे दूध का उपयोग पूरा होने पर पूर्ति कैसे होगी ? मिठाई निर्माता को दूध कहां से देंगे. अभी भाव 45 से 65 हो गए हैं. इंजीनियर सुधीर कल्ला कहना है कि आज 70 रुपये किलो दूध मिल रहा है. अब कह रहे हैं कि 80 रुपये किलो दूध मिलेगा. इससे दूध का उपयोग सीमित करने के अलावा कोई चारा नहीं है.
दूध कम, घी का उत्पादन बंद : जोधपुर सरस डेयरी के महाप्रबंधक सुधीर शर्मा बताते हैं कि इस बीमारी की वजह से 40 फीसदी दुधारू गोवंश कम हो गया है, जो हैं उनका दूध प्रभावित हो रहा है. 50 फीसदी संकलन कम हो गया है. दूध की मांग ज्यादा है. दूध कम होने से घी का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया है. जब तक मौजूदा दुधारू गाएं पूरी तरह से रिकवर नहीं हो जातीं, उत्पादन में बढ़ोतरी मुश्किल है. इससे पशुपालकों का भी मनोबल टूट गया है. उम्मीद करते हैं कि जल्द स्थिति सुधरेगी तो हालात बदलेंगे.
हालात बदलना मुश्किल, दो माह में बढ़ेगी खपत : 40 फीसदी गोवंश की मौत होने की जानकारी (Lumpy Skin Disease in Rajasthan) सामने आ रही है. जो इस बीमारी से ठीक हो रही हैं, उनका दूध कम हो गया है. ऐसे में स्थितियां सामान्य होने में समय लगेगा. दूसरी ओर 10 सितंबर से श्राद्ध के बाद नवरात्र और उसके बाद दिवाली है. सर्दी भी शुरू होगी. ऐसे में दूध की खपत बढ़ेगी तो भाव और बढ़ेंगे. मिठाइयों के महंगा होना तय माना जा रहा है.