जोधपुर. देश में आपातकाल को लागू किए हुए बुधवार 25 जून को 45 साल पूरे हो गए. इस दिन को लोकतंत्र रक्षा मंच हर साल काला दिवस के रूप में मनाता है. गुरुवार को भी काला दिवस के रूप में आयोजित कार्यक्रम में आपातकाल के समय में यातानाएं भोगने वाले लोगों ने अपने अनुभव बताए. इन लोगों को इस मंच ने लोकतंत्र सेनानियों की संज्ञा दी है. इस मौके पर नवनिर्वाचित राज्य सभा सांसद राजेंद्र गहलोत जिन्होंने आपातकाल के दौरान लंबे समय तक जेल भोगी. उन्होंने भी अपने संस्मरण कार्यकर्ताओं को सुनाए.
सांसद गहलोत ने कहा कि, वह ऐसी अवधि जिस समय हर नागरिक के अधिकार जब्त कर लिए गए थे. राजनीतिक गतिविधियां बंद हो गई थी. सभी तरफ प्रतिबंध था. ऐसे में हमने तय किया था कि, हर दिन सत्याग्रह करेंगे. जिस दिन जो व्यक्ति सत्याग्रह करता था उसे जेल जाना पडता था. लंबे समय तक सरकार के साथ संघर्ष चला. आखिरकार 21 मार्च 1977 को सरकार को आपातकाल हटाना पड़ा. जो देश वासियों के संर्घष की जीत थी.
इस मौके पर गहलोत सहित अन्य लोकतंत्र सैनानियों ने देश के अन्य हिस्सों में अपने पुराने साथियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग क जरिए चर्चा भी की. मंच के प्रदेश महामंत्री देवराज बोहरा ने बताया कि, 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया था, 45 साल से हम इस दिन को काला दिवस के नाम से आपातकाल की बरसी के रूप में याद रखते है. कार्यक्रम में गहलोत का राज्यसभा सांसद निर्वाचित होने पर सम्मान किया गया.
बता दें कि, 1975 में देश में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया. जिसके लोकतंत्र को ताक पर रखते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों को अधिकारों को कुचलना शुरू कर दिया. देश में एक तरह की तानाशाही आरंभ हो गई. प्रेस की शक्तियां भी समाप्त कर दी गई थी. आपातकाल का विरोध करने वाले और विपक्ष को जेल भेज दिया जाता था. देश में लगातार विरोध के बाद 21 मार्च 1977 को देश से आपातकाल हटाया गया.