जोधपुर. उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल से जुड़े मामले में सीबीआई मामलात की विशेष अदालत में गुरुवार को सुनवाई के दौरान ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल ने अपने-अपने जमानत मुचलके पेश किए. स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी की ओर से जमानत मुचलके पेश नहीं किए गए. राजस्थान हाईकोर्ट ने तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी को 15 अक्टूबर तक मुचलके पेश करने की छूट दे रखी है.
सीबीआई कोर्ट के पीठासीन अधिकारी पीके शर्मा उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल के मामले में प्रसंज्ञान लेकर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी सहित 5 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे. जिसको राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने सभी आरोपियों की ओर से पेश याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील कर दिया था और सभी को जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए गए थे.
गुरुवार को सीबीआई अदालत के समक्ष भारत होटल्स प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल ने ढाई-ढाई लाख के जमानत मुचलके और 5-5 लाख रुपए का बांड पेश किया है. अब इस मामले में 15 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.
क्या है पूरा मामला...
उदयपुर की प्रसिद्ध लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को महज 7.5 करोड़ रुपये में बेचकर सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में जोधपुर की सीबीआई अदालत ने प्रसंज्ञान लेते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी, पूर्व आईएएस प्रदीप बैजल और भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी सहित पांच लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे.