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जोधपुर: ग्रेजुएट कांस्टेबल भी बनेंगे जांच अधिकारी, थानों में बढ़ेंगे आईओ - जोधपुर पुलिस में जांच अधिकारियों

पुलिस थानों में जांच अधिकारियों की कमी के चलते सैकड़ों मामलों की जांच लंबित चल रही है. ऐसे में जोधपुर कमिश्नरेट के थानों में अब ऐसे ग्रेजुएटेड कांस्टेबलों को जांच अधिकारी बनाया जाएगा, जिनकी नौकरी 9 साल की हो चुकी हो और इस अवधि में उन्होंने 5 साल फील्ड ड्यूटी में सहायक जांच अधिकारी की भूमिका निभाई हो.

Constable will also investigate, IO will increase in Jodhpur
ग्रेजुएट कांस्टेबल भी बनेंगे जांच अधिकारी
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Published : Jan 22, 2021, 3:39 PM IST

जोधपुर. पुलिस थानों में जांच अधिकारियों की कमी के चलते सैकड़ों की संख्या में मामलों की जांच लंबित होती जाती है. इसका उदाहरण बुधवार को ही शहर में 27 साल बाद एक मामले की आधी अधूरी जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में चार्ज शीट पेश की गई, लेकिन अब जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति नहीं होगी. क्योंकि कमिश्नरेट के थानों में अब जांच अधिकारियों यानी कि इंवेस्टिगेशन ऑफिसर जिन्हें आईओ कहा जाता है की संख्या बढ़ाई जा रही है. ये नए जांच अधिकारी कांस्टेबल होंगे, जिन्हें जांच अधिकारी बनने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ी है.

ग्रेजुएट कांस्टेबल भी बनेंगे जांच अधिकारी

दरअसल जोधपुर कमिश्नरेट में जांच अधिकारी बढ़ाने के लिए पुलिस के बेड़े में नियुक्त ग्रेजुएशन कांस्टेबल को चिन्हित किया गया है, जिनकी नौकरी 9 साल की हो चुकी हो और इस अवधि में उन्होंने 5 साल फील्ड ड्यूटी में सहायक जांच अधिकारी की भूमिका निभाई हो.

पढ़ें- दौसा घूस कांड मामले में दलाल नीरज की रिमांड अवधि पूरी, IPS अग्रवाल को नोटिस भेजने के लिए अधिकारियों की मंत्रणा

जोधपुर कमिश्नरेट में पहले चरण में उपरोक्त अहर्ता वाले 175 कांस्टेबल चिन्हित किए गए हैं. जिन्हें बाकायदा किसी मामले की इंवेस्टिगेशन के तौर तरीके सिखाने के लिए ट्रेनिंग दी गई. इस दौरान उन्हें बताया गया कि जांच का दायरा क्या होता है? किस तरह से मौके घटनाक्रम को देखना है. बयान लेने और अपराध में प्रयुक्त होने वाले कारकों की भी जानकारी दी गई. किस तरह से धाराएं लगाई जाती हैं. जांच अधिकारी का विवेक क्या होता है. अब तक 3 बैच की ट्रेनिंग के बाद 115 कांस्टेबल को थानों में लगा दिया गया है. जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के एडीसीपी मुख्यालय चैन सिंह महेचा का कहना है कि इस नई व्यवस्था से अनुसंधान अधिकारी की संख्या बढ़ जाएगी, इससे लंबित मामलों की जांच में गति आएगी और चालान भी तेजी से पेश होंगे.

हर साल हजारों मामलों की जांच होती है

जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में 2020 में 7,536 अलग अलग तरह के मामले दर्ज हुए हैं. जिनकी जांच भी करनी होती है. जबकि मौजूद थानों में कुल नफरी में बड़ी संख्या कांस्टेबल हैं, जिन्हें जांच नहीं दी जाती है. शेष थानाधिकारी उप निरीक्षक सहायक उप निरीक्षक व हेड कांस्टेबल स्तर पर ही जांच करवाई जाती है. इनमें भी हत्या, अपहरण गबन घोटालों की जांच में लंबा समय लागता है. ऐसे में अब प्रशिक्षित कांस्टेबल द्वारा अनुसंधान करने की शुरुआत होने से ऐसा माना जा रहा है कि जांच के लिए लंबित मामलों में कमी आएगी और चालान तेजी से न्यायालय में पेश होंगे.

जोधपुर. पुलिस थानों में जांच अधिकारियों की कमी के चलते सैकड़ों की संख्या में मामलों की जांच लंबित होती जाती है. इसका उदाहरण बुधवार को ही शहर में 27 साल बाद एक मामले की आधी अधूरी जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में चार्ज शीट पेश की गई, लेकिन अब जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति नहीं होगी. क्योंकि कमिश्नरेट के थानों में अब जांच अधिकारियों यानी कि इंवेस्टिगेशन ऑफिसर जिन्हें आईओ कहा जाता है की संख्या बढ़ाई जा रही है. ये नए जांच अधिकारी कांस्टेबल होंगे, जिन्हें जांच अधिकारी बनने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ी है.

ग्रेजुएट कांस्टेबल भी बनेंगे जांच अधिकारी

दरअसल जोधपुर कमिश्नरेट में जांच अधिकारी बढ़ाने के लिए पुलिस के बेड़े में नियुक्त ग्रेजुएशन कांस्टेबल को चिन्हित किया गया है, जिनकी नौकरी 9 साल की हो चुकी हो और इस अवधि में उन्होंने 5 साल फील्ड ड्यूटी में सहायक जांच अधिकारी की भूमिका निभाई हो.

पढ़ें- दौसा घूस कांड मामले में दलाल नीरज की रिमांड अवधि पूरी, IPS अग्रवाल को नोटिस भेजने के लिए अधिकारियों की मंत्रणा

जोधपुर कमिश्नरेट में पहले चरण में उपरोक्त अहर्ता वाले 175 कांस्टेबल चिन्हित किए गए हैं. जिन्हें बाकायदा किसी मामले की इंवेस्टिगेशन के तौर तरीके सिखाने के लिए ट्रेनिंग दी गई. इस दौरान उन्हें बताया गया कि जांच का दायरा क्या होता है? किस तरह से मौके घटनाक्रम को देखना है. बयान लेने और अपराध में प्रयुक्त होने वाले कारकों की भी जानकारी दी गई. किस तरह से धाराएं लगाई जाती हैं. जांच अधिकारी का विवेक क्या होता है. अब तक 3 बैच की ट्रेनिंग के बाद 115 कांस्टेबल को थानों में लगा दिया गया है. जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के एडीसीपी मुख्यालय चैन सिंह महेचा का कहना है कि इस नई व्यवस्था से अनुसंधान अधिकारी की संख्या बढ़ जाएगी, इससे लंबित मामलों की जांच में गति आएगी और चालान भी तेजी से पेश होंगे.

हर साल हजारों मामलों की जांच होती है

जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में 2020 में 7,536 अलग अलग तरह के मामले दर्ज हुए हैं. जिनकी जांच भी करनी होती है. जबकि मौजूद थानों में कुल नफरी में बड़ी संख्या कांस्टेबल हैं, जिन्हें जांच नहीं दी जाती है. शेष थानाधिकारी उप निरीक्षक सहायक उप निरीक्षक व हेड कांस्टेबल स्तर पर ही जांच करवाई जाती है. इनमें भी हत्या, अपहरण गबन घोटालों की जांच में लंबा समय लागता है. ऐसे में अब प्रशिक्षित कांस्टेबल द्वारा अनुसंधान करने की शुरुआत होने से ऐसा माना जा रहा है कि जांच के लिए लंबित मामलों में कमी आएगी और चालान तेजी से न्यायालय में पेश होंगे.

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