जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है. अध्यक्ष पद के लिए एक बार फिर जाट व राजपूत प्रत्याशी आमने सामने (Jat and Rajput candidates ini JNVU) हैं. इनमें एनएसयूआई से हरेंद्र चौधरी व एबीवीपी से राजवीर सिंह बांता जाट हैं, जबकि एसएफआई से अरविंद सिंह भाटी राजपूत हैं.
दोनों समाज के लोग भी इस छात्र राजनीति में कूद पड़े हैं. भाटी के समर्थन में राजपूत समाज के नेताओं ने मिलकर मोतीसिंह जोधा का नामांकन वापस करवा दिया था. यानी की राजपूतों के वोट भाटी को मिलने के प्रबल आसार हैं. दूसरी और जाट प्रत्याशियों के आमने-सामने होने से वोटों का बंटवारा होना तय हो गया है. इनमें से जो ज्यादा वोट आकर्षित कर पाएगा, वह मुकाबले में रहेगा. इसको लेकर भी समाज के कई धड़े सक्रिय हैं. विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों का इतिहास भी इन दोनों जातियों के इर्दगिर्द ही रहा हैं. अगर बीते 25 चुनाव पर नजर डालें तो सामने आता है कि इनमें 14 बार राजपूत, 10 बार जाट व सिर्फ एक बार 1996 में ब्राह्मण अरूण आचार्य ने एबीवीपी से अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की.
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हर पद के लिए संगठनों का जातीय समीकरण: जेएनवीयू छात्रसंघ चुनाव में जातिगत समीकरण के साथ-साथ संगठन का साथ जरूरी है. तीनों संगठनों ने अपने-अपने पैनल मैदान में उतारे हैं. इनमें भी उपाध्यक्ष, महासचिव व संयुक्त महासचिव पद के उम्मीदवार में भी जातीय समीकरण को सभी ने साधने का प्रयास किया है. एनएसयूआई ने अपने पैनल में मेघवाल, माली व विश्नोई को शामिल किया है. जिससे सभी जातियों के मतदाता जुड़ सकें. इसी तरह से एबीवीपी ने अपने पैनल में राजपुरोहित छात्रा को शामिल किया हैं. इससे ब्राह्मण, छात्रा व राजपुरोहितों के वोट मिल सकें. इसी तरह से माली व विश्नोई को शामिल किया है. एसएफआई से अरविंद भाटी के अलावा मेघवाल, विश्नोई व प्रजापत को पैनल में जगह दी गई है.
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एबीवीपी का पलड़ा रहा भारी: जेएनवीयू में हुए गत 25 चुनाव में एबीवीपी छात्र संगठन का पलड़ा भारी रहा है. 25 में 11 बार संगठन के अध्यक्ष बने हैं. इनमें जाट और राजपूत दोनों शामिल हैं. कई बार पूरा पैनल भी जीता है. जबकि एनएसयूआई ने 6 बार जीत दर्ज की है. चार एसएफआई के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. तीन बार छात्र संघर्ष समिति के प्रत्याशी अध्यक्ष बने. लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रविंद्र सिंह भाटी ने पहली बार गत चुनाव में जीत दर्ज की.
यह है वोटों का गणित: जेएनवीयू में कुल 18 हजार वोट हैं. इनमें राजपूतों के अनुमानित वोट 3500 हैं. जबकि जाटों के 3000. इसके बाद अनुसूचित जाति, माली, विश्नोई, ब्राह्मण जाति के लगभग बराबर वोट हैं. साथ ही महाजन और अन्य ओबीसी जातियों के वोट उस स्थिति में निर्णायक हो जाते हैं, जब अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को इन समाजों का एकतरफा समर्थन मिले. मतदान प्रतिशत अमूमन 50 से 60 फीसदी होता है. 4500 वोट अकेले केएन गर्ल्स कॉलेज में हैं.
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अब तक जीते राजपूत प्रत्याशी
- 1989 जालमसिंह रावलोत - राजपूत - एबीवीपी
- 1990 कुलवंतसिंह - राजपूत - छात्र संघर्ष समिति
- 1992 गजेंद्र सिंह शेखावत - राजपूत - एबीवीपी
- 1993 शिवराज सिंह - राजपूत - एबीवीपी
- 1995 बाबूसिंह राठौड़ - रापजूत - छात्रसंघर्ष समिति
- 1998 गजेंद्र सिंह राठौड़ - राजपूत - छात्र संघर्ष समिति
- 2001 जितेंद्र सिंह - राजपूत - एबीवीपी
- 2002 ईश्वर सिंह बालावत - राजपूत - एबीवीपी
- 2011 प्रदीप सिंह राठौड़ - राजपूत - एनएसयूआई
- 2012 रविंद्र सिंह राणावत - राजपूत - एसएफआई
- 2014 भोमसिंह राठौड़ - रापजूत - एबीवीपी
- 2015 आनंद सिंह राठौड़ - राजपूत - एबीवीपी
- 2016 कुनाल सिंह भाटी - राजपूत - एबीवीपी
- 2019 रविंद्र सिंह भाटी - राजपूत - निर्दलीय
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अब तक जीते जाट प्रत्याशी
- 1991 हरीश चौधरी - जाट - एनएसयूआई
- 1994 रामप्रकाश चौधरी - जाट - एबीवीपी
- 1997 विनोद भगासरा - जाट - एनएसयूआई
- 1999 ओमप्रकाश खदाव - जाट - एसएफआई
- 2000 कैलाश बेडा - जाट - एबीवीपी
- 2004 जयनारायण पूनिया - जाट - एसएफआई
- 2010 अरविंद सिंह चौधरी - जाट - एनएसयूआई
- 2013 महेंद्र जाखड़ - जाट - एसएफआई
- 2017 कांता ग्वाला - जाट - एनएसयूआई
- 2018 सुनील चौधरी - जाट - एनएसयूआई