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जोधपुर : युवती के पैर से निकाली कैंसर गांठ, ब्रेकीथैरेपी कैथेटर से रेडियोथैरेपी दी, बचाया पैर - कैंसर की बीमारी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में गुरुवार को एक 20 साल की युवती के पैर से कैंसर की गांठ निकालकर ब्रेकीथैरेपी कैथेटर तकनीकी से रेडियोथैरेपी कर युवती के पैर को बचाया है. इस ऑपरेशन को सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने मिलकर पूरा किया है.

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग , Cancerous disease
जोधपुर एम्स में डॉ. ने युवती के पैर से निकाली कैंसर की गांठ
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Published : Apr 8, 2021, 4:23 PM IST

जोधपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने मिलकर 20 साल की युवती के पैर से कैंसर की गांठ निकालकर ब्रेकीथैरेपी कैथेटर तकनीकी से रेडियोथैरेपी देकर पांव बचाया है.

वहीं, एम्स डायक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने बताया कि भोपालगढ़ निवासी 20 वर्षीय युवती के पैर में कैंसर की गांठ थी. दूसरे अस्पताल में एक बार पहले ऑपरेशन होने के बाद यह गांठ फिर से बन गई थी. उन्होंने बताया कि ब्रेकीथेरेपी तकनीक इस प्रकार के ट्यूमर में ज्यादा कारगर साबित होती हैं, क्योंकि ये रेडियोथैरेपी बैड पर दी जा सकती है. इसके साथ ही एक्सटर्नल बीम रेडियोथैरेपी भी दी जाती है.

डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि मरीज के दाएं पैर के घुटने के नीचे काफी बड़ी कैंसर की गांठ फिबुला बोन से शुरू होकर आस-पास के टिशू में फैल कर करीब दो तिहाई हिस्से को करीब 20 सेंटीमीटर तक घेरे हुई थी. ऑपरेशन गंभीर इसलिए था क्योंकि कि पैर खून में तंत्रिका नसों से चिपकी हुई थी, इस वजह से कैंसर पूरी तरह से निकालना और पैर को बचाना चुनौतीपूर्ण था.

बायोप्सी कराने पर पता चला कि मरीज को डोसाक्रोमा नामक कैंसर की बीमारी थी. इसके बाद मरीज को सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग में डॉक्टर जीवनराम विश्नोई की देखरेख में भर्ती किया गया.

पढ़ें- उदयपुर : जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने लगवाया कोरोना का टीका, सुनिये क्या कहा

दो विभागों ने मिलकर किया ऑपरेशन

मरीज का सिटी स्कैन और बोन स्कैन करवाकर पहले ये देखा गया कि कैंसर दूसरे अंगों में तो नहीं फैला हुआ है. उसके बाद डॉक्टर संजीव मिश्रा के नेतृत्व में डॉ. जीवन राम विश्नोई, डॉ. पुनीत पारीक, डॉक्टर भारती देवनानी ने मिलकर इलाज निर्धारित किया. इलाज में पैर को घुटने के ऊपर से काटने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था. मरीज की एमआरआई और सीटी स्कैन देखने के बाद पैर बचाने की सर्जरी प्लान कर सर्जरी के दौरान ब्रेकीथैरेपी कैथेटर का फैसला लिया गया.

ऑपरेशन के दौरान पैर के फिबुला बोन के साथ में पैर के साइड में पीछे की मांसपेशियों का सॉफ्ट टिशु, स्किन और कुछ नसें भी निकाली गई. साथ ही ऑपरेशन के दौरान ही रेडियोथैरेपी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. भारती देवनानी की टीम ने ब्रेकीथैरेपी कैथेटर लगाए, उनके साथ डॉ. अमित और डॉ. सुजोय मौजूद रहें.

जोधपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने मिलकर 20 साल की युवती के पैर से कैंसर की गांठ निकालकर ब्रेकीथैरेपी कैथेटर तकनीकी से रेडियोथैरेपी देकर पांव बचाया है.

वहीं, एम्स डायक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने बताया कि भोपालगढ़ निवासी 20 वर्षीय युवती के पैर में कैंसर की गांठ थी. दूसरे अस्पताल में एक बार पहले ऑपरेशन होने के बाद यह गांठ फिर से बन गई थी. उन्होंने बताया कि ब्रेकीथेरेपी तकनीक इस प्रकार के ट्यूमर में ज्यादा कारगर साबित होती हैं, क्योंकि ये रेडियोथैरेपी बैड पर दी जा सकती है. इसके साथ ही एक्सटर्नल बीम रेडियोथैरेपी भी दी जाती है.

डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि मरीज के दाएं पैर के घुटने के नीचे काफी बड़ी कैंसर की गांठ फिबुला बोन से शुरू होकर आस-पास के टिशू में फैल कर करीब दो तिहाई हिस्से को करीब 20 सेंटीमीटर तक घेरे हुई थी. ऑपरेशन गंभीर इसलिए था क्योंकि कि पैर खून में तंत्रिका नसों से चिपकी हुई थी, इस वजह से कैंसर पूरी तरह से निकालना और पैर को बचाना चुनौतीपूर्ण था.

बायोप्सी कराने पर पता चला कि मरीज को डोसाक्रोमा नामक कैंसर की बीमारी थी. इसके बाद मरीज को सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग में डॉक्टर जीवनराम विश्नोई की देखरेख में भर्ती किया गया.

पढ़ें- उदयपुर : जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने लगवाया कोरोना का टीका, सुनिये क्या कहा

दो विभागों ने मिलकर किया ऑपरेशन

मरीज का सिटी स्कैन और बोन स्कैन करवाकर पहले ये देखा गया कि कैंसर दूसरे अंगों में तो नहीं फैला हुआ है. उसके बाद डॉक्टर संजीव मिश्रा के नेतृत्व में डॉ. जीवन राम विश्नोई, डॉ. पुनीत पारीक, डॉक्टर भारती देवनानी ने मिलकर इलाज निर्धारित किया. इलाज में पैर को घुटने के ऊपर से काटने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था. मरीज की एमआरआई और सीटी स्कैन देखने के बाद पैर बचाने की सर्जरी प्लान कर सर्जरी के दौरान ब्रेकीथैरेपी कैथेटर का फैसला लिया गया.

ऑपरेशन के दौरान पैर के फिबुला बोन के साथ में पैर के साइड में पीछे की मांसपेशियों का सॉफ्ट टिशु, स्किन और कुछ नसें भी निकाली गई. साथ ही ऑपरेशन के दौरान ही रेडियोथैरेपी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. भारती देवनानी की टीम ने ब्रेकीथैरेपी कैथेटर लगाए, उनके साथ डॉ. अमित और डॉ. सुजोय मौजूद रहें.

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