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कोरोना के आगे फीका पड़ा होली का पर्व, चिकित्सकों की सलाह 'पानी के होली से बचें'

कोरोना वायरस के खौफ के चलते इस बार की होली थौड़ी फीकी पड़ने वाली है. इस बार खासतौर पर पर्यटकों के साथ मनाई जाने वाली होली की संभावनाएं लगभग खत्म सी हो चुकी हैं. इसके लिए एमडीएम अस्पताल के चिकित्सकों ने भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं.

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कोरोना के आगे फीका पड़ा होली का पर्व
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Published : Mar 9, 2020, 4:36 PM IST

जोधपुर. रंगों का त्यौहार होली इस बार थोड़ा फीका साबित होता नजर आ रहा है. इस बार के पर्व में कोरोना वायरस का असर देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शहर के ज्यादातर बड़े आयोजन टाल दिए गए हैं. खासतौर पर पर्यटकों के साथ मनाई जाने वाली होली की संभावनाएं लगभग खत्म सी हो चुकी हैं.

कोरोना के आगे फीका पड़ा होली का पर्व

डॉक्टरों का कहना है कि इस बार पानी की होली खेलने से बचें, इससे सर्दी, खांसी, जुखाम होने की आशंका हो रहती है, जिससे परेशानी बढ़ सकती हैं. इधर, मथुरादास माथुर अस्पताल में होली के दिन को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने विशेष व्यवस्था की है, जिसके तहत ट्रॉमा इमरजेंसी में चर्म रोग और नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर्स भी लगाए गए हैं. क्योंकि, होली के दिन कई बार घटिया रंगों के प्रयोग से त्वचा पर एलर्जी होने के मामले सामने आते हैं. इसके अलावा आंखों में भी रंग सहित अन्य पदार्थ गिरने के प्रकरण आते रहते हैं.

पढ़ें- जोधपुर: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया लूणी का दौरा, ग्रामीणों को दी होली की शुभकामनाएं

मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप कच्छवाह ने बताया कि घटिया रंगों में पोटैशियम परमैंगनेट मिला होता है, जो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है. ऐसे में रंग का प्रयोग बड़ी सावधानी से करना चाहिए. जहां तक हो सके, केमिकल युक्त रंगों से बचें. अच्छी क्वालिटी की गुलाल काम में लें, जिससे त्वचा को हानि नहीं पहुंचे.

जोधपुर. रंगों का त्यौहार होली इस बार थोड़ा फीका साबित होता नजर आ रहा है. इस बार के पर्व में कोरोना वायरस का असर देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शहर के ज्यादातर बड़े आयोजन टाल दिए गए हैं. खासतौर पर पर्यटकों के साथ मनाई जाने वाली होली की संभावनाएं लगभग खत्म सी हो चुकी हैं.

कोरोना के आगे फीका पड़ा होली का पर्व

डॉक्टरों का कहना है कि इस बार पानी की होली खेलने से बचें, इससे सर्दी, खांसी, जुखाम होने की आशंका हो रहती है, जिससे परेशानी बढ़ सकती हैं. इधर, मथुरादास माथुर अस्पताल में होली के दिन को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने विशेष व्यवस्था की है, जिसके तहत ट्रॉमा इमरजेंसी में चर्म रोग और नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर्स भी लगाए गए हैं. क्योंकि, होली के दिन कई बार घटिया रंगों के प्रयोग से त्वचा पर एलर्जी होने के मामले सामने आते हैं. इसके अलावा आंखों में भी रंग सहित अन्य पदार्थ गिरने के प्रकरण आते रहते हैं.

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मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप कच्छवाह ने बताया कि घटिया रंगों में पोटैशियम परमैंगनेट मिला होता है, जो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है. ऐसे में रंग का प्रयोग बड़ी सावधानी से करना चाहिए. जहां तक हो सके, केमिकल युक्त रंगों से बचें. अच्छी क्वालिटी की गुलाल काम में लें, जिससे त्वचा को हानि नहीं पहुंचे.

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