जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने याचिकाकर्ता को निलंबित किए जाने के बाबत डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की ओर से 9 मई 2020 को जारी निलंबन आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और राजकीय अस्पताल के अधीक्षक सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह में जवाब-तलब किया है.
बता दें कि डूंगरपुर में चिकित्सा विभाग के तहत ब्लड बैंक के जनसंपर्क अधिकारी पदमेश गांधी को निलंबित कर दिया गया था. याचिकाकर्ता की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता रितुराज सिंह राठौड़ ने कहा कि जिस आरोप के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबित किया गया है, उसका याचिकाकर्ता से कोई लेना-देना नहीं है. यह सही है कि कोविड- 19 महामारी के दौरान अच्छा काम करने वाले चिकित्सकों के बारे में याचिकाकर्ता ने अखबारों में सकारात्मक समाचार प्रकाशित कराए थे. इससे राजकीय अस्पताल के अधीक्षक नाराज हो गए थे तथा उन्होंने याचिकाकर्ता को फोन पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया था.
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इस पर याचिकाकर्ता ने उच्चाधिकारियों को इसकी शिकायत की थी. लेकिन इसी दौरान इन सर्विस चिकित्सकों द्वारा भी अधीक्षक महोदय की उच्चाधिकारियों से शिकायत की गई, जिसमें उनको भड़काने का आरोप याचिकाकर्ता पर लगाते हुए उनको निलंबित कर दिया गया. साथ ही यह कहा गया कि यह झूठ है, इस बारे मे न तो शो कॉज नोटिस दिया गया. न ही अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया.