जोधपुर. शहर के 4 कर्फ्यूग्रस्त थाना क्षेत्रों में लॉकडाउन की पूरी तरह पालना नहीं होने और जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए अर्द्धसैनिक बलों को तैनात करने को लेकर दायर जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने बताया कि याचिका कोविड-19 के दौरान पेश की गई थी, लेकिन अब अनलॉक -2 शुरू हो चुका है. ऐसे में उन्होंने याचिका को विड्रो करने का कोर्ट से अनुरोध किया. जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.
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गौरतलब है कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने याचिका पेश कर जोधपुर शहर के 4 कर्फ्यूग्रस्त थाना क्षेत्रों में लॉकडाउन की पूर्णतया पालना नहीं हो रही है. वहीं अर्द्धसैनिक बलों को तैनात कर लॉकडाउन की पालना करवाई जाए. इसको लेकर लॉकडॉउन के दौरान लम्बी सुनवाई भी हुई थी. 22 अप्रैल, 2020 को आदेश भी सुरक्षित किया गया था, लेकिन अब सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अनुरोध किए जाने पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
कॉपर्स को कोर्ट में पेश करने के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए अनुसंधान अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि 22 जुलाई को कॉर्पस को कोर्ट में पेश किया जाए. जस्टिस संदीप मेहता व जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अगंद की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2 लाख रुपये की प्री एम्प्टॉरी कॉस्ट डिप्टी रजिस्ट्रार (न्यायिक) के समक्ष हाईकोर्ट में जमा करवा दी है. इस पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी हनुमानगढ़ थाने ने कॉर्पस से पूछताछ की तो उसने याचिकाकर्ता से शादी की बात से इंकार कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने प्री एम्प्टॉरी कॉस्ट जमा करवाई है तो एक बार तो कॉर्पस को पेश करना होगा.
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गौरतलब है कि याचिकाकर्ता अगंद ने इस याचिका से पहले भी साल 2018 में एक याचिका पेश की थी. उस समय भी कॉर्पस ने कोर्ट के समक्ष शादी से इंकार कर दिया था, लेकिन अब याचिकाकर्ता का कहना है कि उसके बाद उन दोनों के बीच फेसबुक चैटिंग हुई थी. जिसमें कॉर्पस ने उसे बताया कि परिजनो के दबाव के चलते उसने कोर्ट के समक्ष शादी की बात से इंकार कर दिया था. इसीलिए अब दुबारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कॉर्पस को वापस पाने के लिए गुहार की है.