जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ में बुधवार को गौशालाओं पर सरकार द्वारा नई शर्ते लगाए जाने के साथ ही 200 गौधन से कम वाली गौशालाओं को अनुदान राशि भुगतान नहीं देने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की सुनवाई हुई.
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से उनके द्वारा किए गए दावों और सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़ से गौ-सेवा कर के रूप में प्राप्त होने वाली राशि और उसके अकाउंट के बारे में अतिरिक्त शपथ पत्र पेश करने के निर्देश के साथ ही मामले की सुनवाई 1 जून तक के लिए स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि गौ सेवा कर की राशि किसान ऋण माफी में डाल दी. याचिकाकर्ता अखिल भारतीय संत समिति की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने बताया कि साल 2018-19 में सरकार की ओर से 100 से अधिक गौधन वाली 2700 गौशालाओं को 1-1 लाख रुपये का अनुदान दिया था.
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वहीं साल 2020-21 के बजट के दौरान सरकार ने गौ सेवा कर के मद में करीब 900 करोड़ की राशि प्राप्त होने का अनुमान बताया था. जबकि सरकार ने गौशालाओं को दी जाने वाली अनुदान राशि में नई शर्त लगा कर सिर्फ 200 से ज्यादा गौधन वाली गौशालाओं को ही अनुदान भुगतान का नियम बना दिया. वहीं इस साल गौ सेवा कर की राशि में से 570 करोड़ रुपए किसानों की ऋणमाफी स्कीम के तहत ट्रांसफर कर दिए. उन्होंने बताया कि गौसेवा कर के लिए स्टॉम्पस ड्यूटी पर 5 प्रतिशत, मदिरा पर 5 प्रतिशत सैस कर प्राप्त होता है.
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अधिवक्ता मोती सिंह ने बताया कि उनके इस वक्तव्य के बारे में याचिकाकर्ता की ओर से अतिरिक्त शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए. वहीं सरकार के अतरिक्त महाधिवक्ता को गौ सेवा कर से मिलने वाली राशि और इसके लिए उपलब्ध फंड के बारे में अगली सुनवाई तक अतिरिक्त शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए जाने के साथ ही याचिका की सुनवाई 1 जून तक के लिए स्थगित कर दी.