जोधपुर. पिछले सात दिनों से भले ही जोधपुर में कोरोना संक्रमण में लगातार कमी आ रही है. इससे मौतों का आंकड़ा भी कम हो रहा है, लेकिन इसके पहले हालात बेकाबू हो चुके थे. पहले कारेाना ने यहां जिस कदर कहर ढहाया है, उस दौरान मौतों की कोई गिनती नहीं है. आलम यह है कि जिले में कोई भी अधिकारी और जिम्मेदार यह बताने को तैयार नहीं कि आखिरकार कितने लोगों की जान कोरोना ने ली है.
ईटीवी भारत ने जोधपुर में हुई मौतों की पड़ताल की तो सामने आया है कि 14 माह में यह आंकड़ा 2 हजार से ज्यादा है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह संख्या बहुत कम बताई जा रही है. राजस्थान के स्वास्थ विभाग की ओर से जो प्रतिदिन रिपोर्ट जारी की जाती है उसके अनुसार बीते 14 महीने में जोधपुर में सिर्फ 985 लोगों की कोरोना से मौत हुई है लेकिन जिले के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज से संबंध मथुरादास माथुर अस्पताल व महात्मा गांधी अस्पताल एवं जोधपुर एम्स में होने वाली मौतों के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थितियां इससे इतर नजर आती है.
गत वर्ष आई कोरोना की पहली लहर के 286 दिनों में ही 853 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी. इसके बाद इस वर्ष एक जनवरी से दूसरी लहर का आगाज माने जिसका पीक टाइम अप्रैल व मई में रहा है तो 20 मई तक हुए 140 दिनों में ही सरकारी अस्पतालों में 1079 लोगों की मौतें हुई हैं. इसके अलावा अप्रैल के दौरान शहर में जिस गति से कोेरोना संक्रमण फैला था उस समय शहर के प्रमुख 7 निजी अस्पतालों में भी मरीजों को उपचार हुआ. वहां 157 लोगों की मौत हुई है. मई का आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है.
निजी अस्पतालों की रिपोर्टिंग स्वास्थ विभाग को होती है लेकिन विभागीय अधिकारी इसपर चुप्पी साधे बैठे हैं. सीएमएचओ डॉ. बलवंत मंडा मौत के आंकड़ों पर बात करने से बचते नजर आते हैं. उनका कहना है कि अब मामले कम हो रहे हैं और स्थिति में सुधार हो रहा है. जबकि हालात यह है कि बीते चौदह माह में जोधपुर में मौतों का आंकड़ा 2 हजार को पार कर 2089 तक पहुंच गया है, लेकिन मौतों को लेकर बोलने वाला कोई नहीं है. इन दिनों शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के रोगियों की मौतें हो रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि देरी से भी अस्पताल पहुंचने के कारण मौतें हो रही हैं.
पढ़ें: SPECIAL: कोरोना प्रबंधन में चित्तौड़गढ़ की आदर्श तस्वीर, जानिए कैसे सुधरी अस्पताल की 'सेहत
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जोधपुर निगम क्षेत्र में 2020 में 13586, ग्रामीण क्षेत्रों में 12387 मौतें हुई, जबकि इस वर्ष 1 जनवरी से 17 मई तक निगम क्षेत्र में 6082 व ग्रामीण क्षेत्रों में 5940 मौतें हुई हैं. विभाग के पास कोरोना से हुई मौतें अलग से दर्ज नहीं है, लेकिन यह आंकड़े स्थितियां बहुत कुछ साफ कर देते हैं. क्योंकि लगातार 14 महीनों से कोरोना पीड़ित व उसके बाद पोस्ट कोविड मरीजों की मौतें हो रही हैं.
श्मशान क्षेत्र बताता है हकीकत
जोधपुर में यूं तो जातिगत श्मशान की व्यवस्था है जहां कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार किए जाते हैं. लेकिन मुख्यत: ओसवाल, माहेश्वरी, हिंदूसेवा मंडल के शमशान जहां सभी जातियों के शव लाए जाते थे, वहां बीते एक माह में 400 अंतिम संस्कार की बात सामने आ रही है. शमशानों में अंतिम संस्कार के बाद बर्तनों व डिब्बों में अस्थियां रखी जा रही हैं जिन्हें हरिद्वार ले जाया जाएगा. निगम के सफाई कर्मी भी अंतिम संस्कार करा रहे हैं.
अस्थियों के ढेर
कोरोना का खौफ किस कदर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के बाद परिजन अस्थियां लेकर नहीं जा रहे हैं. बडी संख्या में अस्थियां घाट के लॉकरों में ही रखी हैं. इसके अलावा दाह संस्कार के बाद बची हुई अस्थियों के ढेर यूं ही पड़े नजर आते हैं जो हालात खुद ही बयां करते हैं. इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हालात कितने विकट होंगे.
गांवों का कौन धणी धोरी
अप्रैल से दस मई तक शहरी क्षेत्र में कोरोना ने कहर ढहाया है. इसके अंतिम दिनों में ग्रामाीम क्षेत्रों में स्थितियां बिगड़ी हों जो अभी तक संभल नहीं रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग बिना जांच व टीकाकरण के घरों में ही बीमार होकर दम तोड़ चुके हैं. आज भी गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाने पर लोगों की जानें जा रहीं हैं.