जोधपुर. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान काजरी पश्चिमी राजस्थान में 'काजरी' के नाम से जाना जाता है. काजरी निर्देशक डॉ ओपी यादव ने बताया, कि काजरी में इस बार अनार की ज्यादा पैदावार हो सकती है.काजरी में एक हेक्टर में 220 अनार के पौधे लगाए गए हैं.
जिसमें गणेश, भगवा और सिडलोम शामिल हैं, जो जालौर के नाम से जाना जाता है. गणेश और भगवा का दाना और उसका वजन 500 ग्राम से ज्यादा होता है, जो कम मात्रा में खुलते हैं. काजरी में अनार पर बहुत ही अच्छा काम चल रहा है. पिछले चार-पांच सालों में बाड़मेर और उसके आसपास क्षेत्र में अनार की खेती का विस्तार हुआ है. इसके चलते कुछ जगह पर बीमारियां फैलने लगी हैं.
बीमारी में किसानों को कीट प्रबंधन की भी जानकारी दी गई है. उन्होंने अनार की खेती और वैज्ञानिक ढंग से पानी के प्रबंधन की भी जानकारी दी है.
6 सालों में हुआ विकास
6 सालों से बाड़मेर के आसपास के गांव में अनार की खेती का विकास हुआ है. वहां का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. कई बार किसानों को मार्केट में भाव कम मिलते हैं. इस वजह से कुछ गांव में मिलकर फार्मर प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद भी की गई है. इस वजह से किसानों को अपने उत्पादन में अच्छा भाव मिल रहा है.
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कर रहे नए हाइब्रिड बनाने की कोशिश
उन्होंने बताया, कि आने वाले समय में जालौर, सिडलोम और मृदुला दोनों को मिलाकर एक नया हाइब्रिड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यदि अनार की बात की जाए तो 90 प्रतिशत से ज्यादा एरिया पूरे देश में अनार की एक ही वैरायटी के अंदर है. जिसका नाम है 'भगवा'. बता दें, कि पूरे एरिया में एक ही तरह की वैरायटी होगी तो कीटाणु बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है.