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जोधपुर : काजरी में अनार की बंपर पैदावार होने से आय होगी दोगुनी

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Published : Jan 5, 2020, 3:24 PM IST

पश्चिमी राजस्थान की काजरी के अनार के पौधों से एक हेक्टर में साढ़े तीन लाख से ज्यादा पैदावार ले सकते हैं. जिससे इस बार किसानों की आय दोगुनी होने की संभावना है.

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काजरी में अनार की बंपर पैदावार से होगी दोगुनी आय

जोधपुर. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान काजरी पश्चिमी राजस्थान में 'काजरी' के नाम से जाना जाता है. काजरी निर्देशक डॉ ओपी यादव ने बताया, कि काजरी में इस बार अनार की ज्यादा पैदावार हो सकती है.काजरी में एक हेक्टर में 220 अनार के पौधे लगाए गए हैं.

काजरी में अनार की बंपर पैदावार से होगी दोगुनी आय

जिसमें गणेश, भगवा और सिडलोम शामिल हैं, जो जालौर के नाम से जाना जाता है. गणेश और भगवा का दाना और उसका वजन 500 ग्राम से ज्यादा होता है, जो कम मात्रा में खुलते हैं. काजरी में अनार पर बहुत ही अच्छा काम चल रहा है. पिछले चार-पांच सालों में बाड़मेर और उसके आसपास क्षेत्र में अनार की खेती का विस्तार हुआ है. इसके चलते कुछ जगह पर बीमारियां फैलने लगी हैं.

बीमारी में किसानों को कीट प्रबंधन की भी जानकारी दी गई है. उन्होंने अनार की खेती और वैज्ञानिक ढंग से पानी के प्रबंधन की भी जानकारी दी है.

6 सालों में हुआ विकास

6 सालों से बाड़मेर के आसपास के गांव में अनार की खेती का विकास हुआ है. वहां का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. कई बार किसानों को मार्केट में भाव कम मिलते हैं. इस वजह से कुछ गांव में मिलकर फार्मर प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद भी की गई है. इस वजह से किसानों को अपने उत्पादन में अच्छा भाव मिल रहा है.

Exclusive : पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का इंटरव्यू, रघु शर्मा का इस्तीफा मांगा

कर रहे नए हाइब्रिड बनाने की कोशिश

उन्होंने बताया, कि आने वाले समय में जालौर, सिडलोम और मृदुला दोनों को मिलाकर एक नया हाइब्रिड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यदि अनार की बात की जाए तो 90 प्रतिशत से ज्यादा एरिया पूरे देश में अनार की एक ही वैरायटी के अंदर है. जिसका नाम है 'भगवा'. बता दें, कि पूरे एरिया में एक ही तरह की वैरायटी होगी तो कीटाणु बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है.

जोधपुर. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान काजरी पश्चिमी राजस्थान में 'काजरी' के नाम से जाना जाता है. काजरी निर्देशक डॉ ओपी यादव ने बताया, कि काजरी में इस बार अनार की ज्यादा पैदावार हो सकती है.काजरी में एक हेक्टर में 220 अनार के पौधे लगाए गए हैं.

काजरी में अनार की बंपर पैदावार से होगी दोगुनी आय

जिसमें गणेश, भगवा और सिडलोम शामिल हैं, जो जालौर के नाम से जाना जाता है. गणेश और भगवा का दाना और उसका वजन 500 ग्राम से ज्यादा होता है, जो कम मात्रा में खुलते हैं. काजरी में अनार पर बहुत ही अच्छा काम चल रहा है. पिछले चार-पांच सालों में बाड़मेर और उसके आसपास क्षेत्र में अनार की खेती का विस्तार हुआ है. इसके चलते कुछ जगह पर बीमारियां फैलने लगी हैं.

बीमारी में किसानों को कीट प्रबंधन की भी जानकारी दी गई है. उन्होंने अनार की खेती और वैज्ञानिक ढंग से पानी के प्रबंधन की भी जानकारी दी है.

6 सालों में हुआ विकास

6 सालों से बाड़मेर के आसपास के गांव में अनार की खेती का विकास हुआ है. वहां का प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया है. कई बार किसानों को मार्केट में भाव कम मिलते हैं. इस वजह से कुछ गांव में मिलकर फार्मर प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद भी की गई है. इस वजह से किसानों को अपने उत्पादन में अच्छा भाव मिल रहा है.

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कर रहे नए हाइब्रिड बनाने की कोशिश

उन्होंने बताया, कि आने वाले समय में जालौर, सिडलोम और मृदुला दोनों को मिलाकर एक नया हाइब्रिड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यदि अनार की बात की जाए तो 90 प्रतिशत से ज्यादा एरिया पूरे देश में अनार की एक ही वैरायटी के अंदर है. जिसका नाम है 'भगवा'. बता दें, कि पूरे एरिया में एक ही तरह की वैरायटी होगी तो कीटाणु बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है.

Intro:केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान का काजरी में अनार की बंपर पैदावार होने से किसानों की आय होगी दुगुनी
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खास रिपोर्ट
केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान काजरी जो पश्चिमी राजस्थान में काजरी के नाम से जाना जाता है ! काजरी निर्देशक डॉ ओपी यादव ने बताया कि काजरी में अनार के पौधों पर अनुसरण किया जाए तो एक हेक्टर में साढे तीन लाख से अधिक पैदावार ले सकते हैं जिसमें गणेश और भगवा का दाना और उसका वजन 500 ग्राम से अधिक होता है जो कम मात्रा में खुलते हैं साथ ही उन्होंने बताया कि काजरी में एक हेक्टर में 220 अनार के पौधे लगाए गए हैं जिसमें गणेश भगवा और सिडलोम जो जालौर के नाम से जाना जाता है ! जिस की भरपूर मात्रा में अनार की पैदावार ली जाती है ! साथ ही उन्होंने बताया कि काजरी में अनार के ऊपर बहुत ही अच्छा काम चल रहा है पिछले चार-पांच सालों में बाड़मेर और उसके आसपास क्षैत्र में जो अनार की खेती का विस्तार हुआ है उस वजह से कुछ जगह पर बीमारियां फैलने लगी है उस बीमारियों को कीट प्रबंधक किसानों को किस प्रकार से करना चाहिए किसानों को इसके बारे में जानकारी दी गई साथ ही उन्होंने अनार की खेती वैज्ञानिक ढंग से पानी का प्रबंधक किस तरह से किया जाता है किसानों के साथ मिलकर इसके बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया कि 6 सालों से बाड़मेर के आसपास गांव में अनार की खेती का विकास हुआ है वहां की प्रोडक्शन बहुत ज्यादा बढ़ गया है कई बार किसानों को मार्केट में भाव कम मिलते हैं इस वजह से कुछ गांव में मिलकर फार्मर प्रोडक्शन औरगोनेशन को बनाने की मदद की है इस वजह से किसानों को अपना उत्पादन में अच्छा भाव मिल रहा है ! उन्होंने ने बताया कि आने वाले समय में जालौर सिडलोम और मृदुला दोनों को मिलाकर एक नया हाइब्रिड बनाने की कोशिश कर रहे हैं ! यदि अनार की बात की जाए तो 90% से अधिक एरिया पूरे देश में एक ही वेराइटी के अंदर जिसका नाम है भगवा यह एक तरह के बीमारी के कीटाणु उनके स्वर्ग का काम करती है और पूरे एरिया में एक ही तरह की वैरायटी होगी जो उनकी बीमारी कीटाणु बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है इसी तरह से नई वैरायटी किसानों को देने के लिए सक्षम है जिससे किसान भरपूर मात्रा में पैदावार ले सकते हैं !
1. बाईट/ डॉक्टर ओपी यादव काजरी निर्देशक
2.बाईट/ अखतसिंह प्रधान वैज्ञानिक काजरीConclusion:
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