जोधपुर. देश के रक्षा बजट में 22 फीसदी खर्च पूर्व सैनिकों की पेंशन पर हो रहा है. रक्षा विभाग में कोई नई पेंशन प्रणाली लागू नहीं हो रही है, लेकिन पेंशनर्स की सुविधा बढ़ाने और इस व्यवस्था का सरलीकरण करने के लिए स्पर्श पोर्टल लांच कर दिया गया है. पेंशन सिस्टम का ऑटोमेशन भी कर दिया गया है. इस एक पोर्टल पर पूर्व सैनिक अपनी पेंशन से जुड़ी सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं.
यह जानकारी रक्षा लेखा विभाग प्रमुख रजनीश कुमार ने सोमवार को जोधपुर (Defence Accounts Department Head jodhpur visit) में दी. रक्षा लेखा विभाग के जोधपुर स्थित उपकार्यालय का दौरा करने आए रजनीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश में 33 लाख पेंशनर्स हैं. इन पर सलाना एक लाख बीस हजार करोड़ पेंशन का खर्च होता है. इतनी बड़ी पेंशन व्यवस्था का भारत अकेला उदाहरण है. इसका सरलीकरण करने के लिए हमने काम किया है. उन्होंने बताया कि रक्षा के क्षेत्र में किसी बात से समझौता नहीं किया जाता है. हम कम क्षमता के साथ दुश्मन से नहीं लड़ सकते हैं. नई तकनीक विकसित करने के लिए डीआरडीओ में लगातार काम चल रहा है.
मेक इन इंडिया को बढ़ावा
रजनीश कुमार ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारतीय कंपनियों और सप्लायर्स को आगे बढ़ाने के लिए हमने नियम बदले हैं. भारतीय सप्लायर्स की शिकायत रहती थी कि उनका भुगतान बहुत देरी से होता हैं. जबकि विदेशी कंपनियों का जल्दी होता है. इस देरी की वजह से भारतीय कंपनियों की लागत भी बढ़ती है. इसके लिए अब एक सप्ताह में ही भुगतान की व्यवस्था लागू की जा रही है. इसके लिए भी ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया गया है जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिले. इसके लिए प्रबल सिस्टम दो माह में लांच कर दिया जाएगा.
हर साल अतिरिक्त बजट लेना पड़ता है
रक्षा लेखा सेवा प्रमुख ने बताया कि हमारा बजट जरूर बढ़ा है, लेकिन खर्च भी उसी अनुसार बढ़ रहा है. हर साल हमें वित्त मंत्री से अतिरिक्त बजट मांगना पड़ता है और मिलता भी है. हमारे बजट में 22 फीसदी पेंशन पर खर्च होता है. इतनी बड़ी फोर्स होने से हर साल लोग रिटायर होते हैं और नए शामिल होते हैं. डिफेंस में नई पेंशन लागू होना मुश्किल है. हम इस खर्च को सेल्फ जनरेट कैसे करें इस बातें चल रहीं हैं.