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सोफ्टवेयर इंजीनियर से 90 हजार की ठगी, हैरान करने वाली है कहानी... - फौजी बनकर ठगी

पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद लोग Online ठगी का शिकार हे रहे हैं. जबकि पुलिस साइबर अपराध रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चल रही है. लेकिन लालच में आकर लोग सभी चेतावनी दरकिनार कर ठगे जा रहे हैं. जोधपुर से ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आआ है.

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सोफ्टवेयर इंजीनियर से हुई 90 हजार की ठगी
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Published : Sep 8, 2021, 1:24 PM IST

जोधपुर. ताजा मामला राजीव गांधी थाना क्षेत्र का सामने आया है. जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ठग की बातों में आ गई और अपनी मेहनत के 90 हजार रुपए गंवा बैठी. थाना क्षेत्र के विनायक विहार निवासी ​रश्मी राय ने अपने घर की पुरानी लकड़ की कैबिनेट बेचने के लिए ओएलएक्स का सहारा लिया और उस पर विज्ञापन पोस्ट किया था.

जिसके बाद उन्हें एक खरीददार मिला, जिसने 50 हजार रुपए में उनका फर्निचर खरीदना स्वीकार कर लिया. जिसके बाद दोनों की फोन पर बात भी हुई. उसने बताया कि वह सैन्यक्षेत्र में रहता है. उसे फर्निचर की जरूरत है. भुगतान वह ऑनलाइन करेगा. इसके लिए वह एक क्यूआर कोड भेज रहा है, जिसे आप स्कैन कर लें जिससे आपके खाते में 50 हजार रुपए आ जाएंगे. लेकिन 4 सितंबर को रश्मि ने जब क्यूआर कोड स्कैन किया तो पैसे खाते में आने के बजाय निकल गए. कुद देर बाद ठग का फोन भी बंद आने लगा. जिसके बाद वह तुरंत राजीव गांधी थाने पहुंची.

पढ़ें : लग्जरी कार सहित युवक का अपहरण कर मांगी 20 लाख की फिरौती, जानें पूरा मामला

रश्मि के अनुसार पहली बार ओएलएक्स काम में लिया था. भुगतान देने के लिए यूपीआई पिन डालना होता है, इसलिए उन्होंने कोड को स्केन कर लिया था. पुलिस ने ठग के नंबर से पता किया तो नंबर आसाम का था और उसकी लास्ट लोकेशन हरियाणा में आ रही थी. राजीव गांधी थानाधिकारी मूलसिंह भाटी के अनुसार हम इस मामले में पेमेंट गेटवे से संपर्क कर भुगतान रिवर्ट करवाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्यूआर कोड सिर्फ भुगतान प्राप्त करन के लिए...

पुलिस लगातार जागरूकता के लिए अपनी अपील में बताती रही है कि क्यूआर कोड स्कैन करने से पहले जांचें. क्योंकि क्यूआर कोड भुगतान प्राप्त करने के लिए जनरेट किया जाता है. जो भी व्यक्ति क्यूआर कोड जनरेट करता है भुगतान उसे ही प्रापत होता है. ऐसे में क्यूआर कोड स्कैन करने वाले को कभी भुगतान प्रापत नहीं होता है.

जोधपुर. ताजा मामला राजीव गांधी थाना क्षेत्र का सामने आया है. जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ठग की बातों में आ गई और अपनी मेहनत के 90 हजार रुपए गंवा बैठी. थाना क्षेत्र के विनायक विहार निवासी ​रश्मी राय ने अपने घर की पुरानी लकड़ की कैबिनेट बेचने के लिए ओएलएक्स का सहारा लिया और उस पर विज्ञापन पोस्ट किया था.

जिसके बाद उन्हें एक खरीददार मिला, जिसने 50 हजार रुपए में उनका फर्निचर खरीदना स्वीकार कर लिया. जिसके बाद दोनों की फोन पर बात भी हुई. उसने बताया कि वह सैन्यक्षेत्र में रहता है. उसे फर्निचर की जरूरत है. भुगतान वह ऑनलाइन करेगा. इसके लिए वह एक क्यूआर कोड भेज रहा है, जिसे आप स्कैन कर लें जिससे आपके खाते में 50 हजार रुपए आ जाएंगे. लेकिन 4 सितंबर को रश्मि ने जब क्यूआर कोड स्कैन किया तो पैसे खाते में आने के बजाय निकल गए. कुद देर बाद ठग का फोन भी बंद आने लगा. जिसके बाद वह तुरंत राजीव गांधी थाने पहुंची.

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रश्मि के अनुसार पहली बार ओएलएक्स काम में लिया था. भुगतान देने के लिए यूपीआई पिन डालना होता है, इसलिए उन्होंने कोड को स्केन कर लिया था. पुलिस ने ठग के नंबर से पता किया तो नंबर आसाम का था और उसकी लास्ट लोकेशन हरियाणा में आ रही थी. राजीव गांधी थानाधिकारी मूलसिंह भाटी के अनुसार हम इस मामले में पेमेंट गेटवे से संपर्क कर भुगतान रिवर्ट करवाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्यूआर कोड सिर्फ भुगतान प्राप्त करन के लिए...

पुलिस लगातार जागरूकता के लिए अपनी अपील में बताती रही है कि क्यूआर कोड स्कैन करने से पहले जांचें. क्योंकि क्यूआर कोड भुगतान प्राप्त करने के लिए जनरेट किया जाता है. जो भी व्यक्ति क्यूआर कोड जनरेट करता है भुगतान उसे ही प्रापत होता है. ऐसे में क्यूआर कोड स्कैन करने वाले को कभी भुगतान प्रापत नहीं होता है.

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