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राजस्थान हाईकोर्ट: प्राइवेट मेडिकल कॉलेज नहीं वसूलेंगे बैंक गारंटी, कोई बॉन्ड देना चाहे तो उसे भी करें स्वीकार - एमबीबीएस कोर्स 2020

राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एमबीबीएस कोर्स 2020 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर साढ़े तीन साल की फीस की एवज में ली जा रही बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक लगा दी है. खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करने के साथ ही अंतरिम रोक लगाई है.

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प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की ओर से बैंक गांरटी लेने पर कोर्ट ने लगाई रोक
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Published : Dec 17, 2020, 11:37 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस कोर्स 2020 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर साढ़े तीन साल की फीस की एवज में ली जा रही बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक लगा दी है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करने के साथ ही अंतरिम रोक लगाई है. उच्च न्यायालय में अधिवक्ता और याचिकाकर्ता दीपेश बेनीवाल ने व्यापक जनहित को देखते हुए स्वयं के नाम से ही जनहित याचिका दायर की है.

याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को एक साल की ट्यूशन फीस लेने के बाद शेष साढ़े तीन साल की फीस के लिए बैंक गारंटी लेने की छूट प्राइवेट कॉलेजों को दे रखी है. यदि कोई विद्यार्थी बैंक गारंटी नहीं देता है तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज इसके बदले एक या उससे अधिक वर्ष की अग्रिम फीस वसूल रहे हैं जो कि इन कॉलेजों के लिए करीब 200 करोड़ रुपए बनती है.

पढ़ें- अब डाकिया लाएगा मंदिर का प्रसाद...डाक विभाग ने किया MOU, राजस्थान में एमओयू होना बाकी

उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करने के साथ ही निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थी से बैंक गारंटी वसूलने के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा और कोई बैंक गारंट के एवज में बॉन्ड देता है तो उसे भी स्वीकार किया जाएगा. मामले में अगली सुनवाई जनवरी माह में होगी.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस कोर्स 2020 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर साढ़े तीन साल की फीस की एवज में ली जा रही बैंक गारंटी लेने पर अंतरिम रोक लगा दी है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता दीपेश बेनीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करने के साथ ही अंतरिम रोक लगाई है. उच्च न्यायालय में अधिवक्ता और याचिकाकर्ता दीपेश बेनीवाल ने व्यापक जनहित को देखते हुए स्वयं के नाम से ही जनहित याचिका दायर की है.

याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को एक साल की ट्यूशन फीस लेने के बाद शेष साढ़े तीन साल की फीस के लिए बैंक गारंटी लेने की छूट प्राइवेट कॉलेजों को दे रखी है. यदि कोई विद्यार्थी बैंक गारंटी नहीं देता है तो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज इसके बदले एक या उससे अधिक वर्ष की अग्रिम फीस वसूल रहे हैं जो कि इन कॉलेजों के लिए करीब 200 करोड़ रुपए बनती है.

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उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करने के साथ ही निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थी से बैंक गारंटी वसूलने के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा और कोई बैंक गारंट के एवज में बॉन्ड देता है तो उसे भी स्वीकार किया जाएगा. मामले में अगली सुनवाई जनवरी माह में होगी.

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