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विश्नोई-मदेरणा परिवार ने टिका दिए गहलोत के घुटने !

लीला मदेरणा के जिला प्रमुख बनने के बाद अब विश्नोई परिवार से विक्रम विश्नोई को कांग्रेस ने उपप्रमुख पद का प्रत्याशी बना दिया है. इसके साथ यह बात भी साफ हो गई कि आखिरकार एक दशक बाद मदेरणा और विश्नोई परिवार ने अशोक गहलोत को उनके घर में ही घुटने टिका दिए

Vikram Vishnoi, Divya Maderna
विक्रम विश्नोई
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Published : Sep 7, 2021, 1:46 PM IST

जोधपुर. लीला मदेरणा के जिला प्रमुख बनने के बाद अब विश्नोई परिवार से विक्रम विश्नोई को कांग्रेस ने उपप्रमुख पद का प्रत्याशी बना दिया है. माना जा रहा है कि उनका उपजिला प्रमुख बनाना तय है, लेकिन इसके साथ यह बात भी साफ हो गई कि आखिरकार एक दशक बाद मदेरणा और विश्नोई परिवार ने अशोक गहलोत को उनके घर में ही घुटने टिका दिए. लीला मदेरणा के सिंबल को लेकर जो सिर फुटव्वल हुआ वह सबके सामने था. गहलोत चाह कर भी अपने विश्वस्त बद्रीराम जाखड़ की बेटी को प्रमुख नहीं बनवा सके.

पढ़ें- 18 साल बाद जोधपुर जिला प्रमुख पद पर फिर मदरेणा परिवार का कब्जा

जोधपुर की राजनीति में लंबे समय तक परसराम मदेरणा और रामसिंह विश्नोई का डंका बजता था. ​इन दोनों नेताओं के स्वर्गवास के बाद परिवार की पहली पीढी ने राजनीति शुरू की, लेकिन वे लंबा नहीं चल पाए और पहले दौर में महिपाल मदेरणा और मलखानसिंह विश्नोई अपनी खुद की बनाई बिसात में ऐसे उलझे की दोनों का राजनीतिक ​करियर दांव पर लग गया.

जिसके बाद यह माना जाना लगा कि अशोक गहलोत से बैर लेना आसान नहीं है. लेकिन दोनों परिवारों की दूसरी पीढी के सदस्य महेंद्र विश्नोई और दिव्या मदेरणा ने धैर्य के साथ राजनीति​क कमान संभाली. अशोक गहलोत का सम्मान भी किया, लेकिन वक्त आया तो गहलोत के घुटने ​टीका दिए. पूरे पंचायत चुनाव में दोनों परिवार एकजुट नजर आए. प्रचार भी साथ किया. लूणी विधायक महेंद्र विश्नोई और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने पूरा जोर प्रमुख के चुनाव में अपने उम्मीदवार जिताने में लगाया, जिसके चलते दोनों के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को पंचायत समिति में बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा.

राजनीति में कुछ स्थायी नहीं

2010 में जब भंवरी नाम के तूफान ने दोनों परिवारों को हिला कर रख दिया तब यह सामने आया था कि इंद्रा विश्नोई ने अपने भाई मलखान विश्नोई को मंत्री बनाने के लिए भंवरी का इस्तेमाल किया था. तब यह लग रहा था कि इससे दोनो परिवारों में खटास होगा. लेकिन दोनों परिवारों ने इसे सार्वजनिक नहीं होने दिया. लेकिन अब जब मौका मिला तो अब दोनों खुलकर साथ हो गए.

यहां तक कि बात सामने आई कि लीला मदेरणा को प्रत्याशी नहीं बनाने पर वह पायलट का हाथ थाम लेगी. इसमें विश्नोई परिवार ने भी साथ दिया. यही कारण है कि लीला मदेरणा के प्रत्यशी तय होने के साथ ही विक्रम विश्नोई का भी उपप्रमुख बनाना तय हो गया. विक्रम विश्नोई लूणी विधायक महेंद्र विश्नोई के चाचा परसराम विश्नोई के बेटे हैं. परसराम भी भंवरी मामले में आरोपी है. यह गठबंधन बताता है कि राजनीति में दोस्ती दुश्मनी स्थाई नहीं होता है.

जोधपुर. लीला मदेरणा के जिला प्रमुख बनने के बाद अब विश्नोई परिवार से विक्रम विश्नोई को कांग्रेस ने उपप्रमुख पद का प्रत्याशी बना दिया है. माना जा रहा है कि उनका उपजिला प्रमुख बनाना तय है, लेकिन इसके साथ यह बात भी साफ हो गई कि आखिरकार एक दशक बाद मदेरणा और विश्नोई परिवार ने अशोक गहलोत को उनके घर में ही घुटने टिका दिए. लीला मदेरणा के सिंबल को लेकर जो सिर फुटव्वल हुआ वह सबके सामने था. गहलोत चाह कर भी अपने विश्वस्त बद्रीराम जाखड़ की बेटी को प्रमुख नहीं बनवा सके.

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जोधपुर की राजनीति में लंबे समय तक परसराम मदेरणा और रामसिंह विश्नोई का डंका बजता था. ​इन दोनों नेताओं के स्वर्गवास के बाद परिवार की पहली पीढी ने राजनीति शुरू की, लेकिन वे लंबा नहीं चल पाए और पहले दौर में महिपाल मदेरणा और मलखानसिंह विश्नोई अपनी खुद की बनाई बिसात में ऐसे उलझे की दोनों का राजनीतिक ​करियर दांव पर लग गया.

जिसके बाद यह माना जाना लगा कि अशोक गहलोत से बैर लेना आसान नहीं है. लेकिन दोनों परिवारों की दूसरी पीढी के सदस्य महेंद्र विश्नोई और दिव्या मदेरणा ने धैर्य के साथ राजनीति​क कमान संभाली. अशोक गहलोत का सम्मान भी किया, लेकिन वक्त आया तो गहलोत के घुटने ​टीका दिए. पूरे पंचायत चुनाव में दोनों परिवार एकजुट नजर आए. प्रचार भी साथ किया. लूणी विधायक महेंद्र विश्नोई और ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने पूरा जोर प्रमुख के चुनाव में अपने उम्मीदवार जिताने में लगाया, जिसके चलते दोनों के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को पंचायत समिति में बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा.

राजनीति में कुछ स्थायी नहीं

2010 में जब भंवरी नाम के तूफान ने दोनों परिवारों को हिला कर रख दिया तब यह सामने आया था कि इंद्रा विश्नोई ने अपने भाई मलखान विश्नोई को मंत्री बनाने के लिए भंवरी का इस्तेमाल किया था. तब यह लग रहा था कि इससे दोनो परिवारों में खटास होगा. लेकिन दोनों परिवारों ने इसे सार्वजनिक नहीं होने दिया. लेकिन अब जब मौका मिला तो अब दोनों खुलकर साथ हो गए.

यहां तक कि बात सामने आई कि लीला मदेरणा को प्रत्याशी नहीं बनाने पर वह पायलट का हाथ थाम लेगी. इसमें विश्नोई परिवार ने भी साथ दिया. यही कारण है कि लीला मदेरणा के प्रत्यशी तय होने के साथ ही विक्रम विश्नोई का भी उपप्रमुख बनाना तय हो गया. विक्रम विश्नोई लूणी विधायक महेंद्र विश्नोई के चाचा परसराम विश्नोई के बेटे हैं. परसराम भी भंवरी मामले में आरोपी है. यह गठबंधन बताता है कि राजनीति में दोस्ती दुश्मनी स्थाई नहीं होता है.

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