ETV Bharat / state

आज है विजया एकादशी, भगवान विष्णु की आराधना दिलाती हर काम में विजय - VIJAYA EKADASHI

एकादशी का महत्व हमारे शास्त्रों में बतलाया गया है और इस दिन भगवान विष्णु की आराधना का महत्व है.

भगवान विष्णु की आराधना
भगवान विष्णु की आराधना (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 24, 2025, 6:38 AM IST

बीकानेर. सनातन धर्म में पञ्चांग के मुताबिक हर 15 दिन में एक बार का एकादशी तिथि आती है. एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं.

शुरू करें नया काम : एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है. कहते हैं किसी भी नए और शुभ कार्य की शुरुआत के लिए विजया एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. व्यापार, लेखन और मनवांछित फल की शुरुआत के लिए विजया एकादशी का दिन बहुत ही शुभ होता है. इस दिन शुरू किया गया काम भगवान विष्णु की आराधना करने से निर्विघ्न संपन्न होता है.

पढ़ें: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, संकट दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ की करें पूजा

भगवान राम ने किया व्रत : पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के मुताबिक विजया एकादशी के दिन स्वयं भगवान राम ने भी अपनी सेना के साथ व्रत रखा था. कई पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कई राजाओं ने युद्ध के समय हार टालने के लिए विजय एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की. इसका प्रतिफल उन्हें युद्ध में जीत के रूप में मिला और इसीलिए इस दिन को विजय के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है.

दान दक्षिणा का महत्व : सनातन धर्म शास्त्रों में और पूजा आराधना और व्रत उपवास के बाद दान दक्षिणा देने का महत्व है. लेकिन यह कार्य अपनी स्वेच्छा से करना चाहिए. दान जबरन नहीं देना चाहिए. विजया एकादशी व्रत के साथ दान का महत्व है. दान को अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंद को भोजन कराना भी श्रेष्ठ है.

ये है मुहूर्त : पंचांग अनुसार 23 फरवरी को दोपहर बाद 1:56 पर एकादशी तिथि शुरू हो गई लेकिन उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. व्रत का पारण 25 फरवरी को सुबह 6: 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:45 तक कर सकते हैं.

सात्विक रहकर करें पूजा व्रत : एकादशी तिथि के दिन और वैसे तो जिस दिन व्रत होता है उसे दिन व्रती को सात्विक ही रहना चाहिए. इस दिन मांसाहार शराब या दूसरा नशे का सेवन नशे नहीं करना चाहिए. एकादशी तिथि के दिन चावल नहीं खाना चाहिए.

बीकानेर. सनातन धर्म में पञ्चांग के मुताबिक हर 15 दिन में एक बार का एकादशी तिथि आती है. एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं.

शुरू करें नया काम : एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है. कहते हैं किसी भी नए और शुभ कार्य की शुरुआत के लिए विजया एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. व्यापार, लेखन और मनवांछित फल की शुरुआत के लिए विजया एकादशी का दिन बहुत ही शुभ होता है. इस दिन शुरू किया गया काम भगवान विष्णु की आराधना करने से निर्विघ्न संपन्न होता है.

पढ़ें: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, संकट दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ की करें पूजा

भगवान राम ने किया व्रत : पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के मुताबिक विजया एकादशी के दिन स्वयं भगवान राम ने भी अपनी सेना के साथ व्रत रखा था. कई पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कई राजाओं ने युद्ध के समय हार टालने के लिए विजय एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की. इसका प्रतिफल उन्हें युद्ध में जीत के रूप में मिला और इसीलिए इस दिन को विजय के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है.

दान दक्षिणा का महत्व : सनातन धर्म शास्त्रों में और पूजा आराधना और व्रत उपवास के बाद दान दक्षिणा देने का महत्व है. लेकिन यह कार्य अपनी स्वेच्छा से करना चाहिए. दान जबरन नहीं देना चाहिए. विजया एकादशी व्रत के साथ दान का महत्व है. दान को अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंद को भोजन कराना भी श्रेष्ठ है.

ये है मुहूर्त : पंचांग अनुसार 23 फरवरी को दोपहर बाद 1:56 पर एकादशी तिथि शुरू हो गई लेकिन उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. व्रत का पारण 25 फरवरी को सुबह 6: 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:45 तक कर सकते हैं.

सात्विक रहकर करें पूजा व्रत : एकादशी तिथि के दिन और वैसे तो जिस दिन व्रत होता है उसे दिन व्रती को सात्विक ही रहना चाहिए. इस दिन मांसाहार शराब या दूसरा नशे का सेवन नशे नहीं करना चाहिए. एकादशी तिथि के दिन चावल नहीं खाना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.