जोधपुर. मारवाड़ में चंग का काफी महत्व है. लोक संस्कृति से जुड़ा यह वाद्य फागुन के महीने में ज्यादातर उपयोग में लिया जाता है. इसके बाद आने वाले समय में कई दिनों तक होने वाले संस्कारों में भी चंग का उपयोग देखा जा सकता है. खास बात यह है कि होली के दिनों में तो चंग देखने के बाद कोई भी बजाने से नहीं चूकता है. मौका मिलते ही चंग बजाने लगते हैं.
सोमवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लूणी क्षेत्र के दौरे पर थे तो उन्होंने भी चंग पर हाथ आजमा लिया. हालांकि कुछ देर ही सही उन्होंने थाप जरूर लगाई. इसके बाद ग्रामीणों से मुलाकात भी की. जोधपुर में चंग का निर्माण पूरे साल तक चलता है. इस बार खास तौर से मारवाड़ी साफा के फोटो के साथ चंग बाजार में उतारे गए, जो काफी लोकप्रिय भी रहे.
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चंग बनाने वाले जितेंद्र चौहान बताते हैं कि मारवाड़ी कल्चर के साथ चंग काफी पसंद किए जाते हैं. होली के बाद आगे भी चंग का उपयोग जारी रहेगा, खास तौर से ढूंढ संस्कार में. प्रसिद्ध इतिहासकार जहूर खां मेहर के अनुसार चंग राजस्थानी लोक संस्कृति का प्रमुख अंग भी है. होली से शुरू होने वाले ढूंढ संस्कार में इसका बहुतायत प्रयोग किया जाता है.