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सीमेंट कंपनियों में निर्धारित मजदूरी नहीं मिलने को लेकर याचिका, कोर्ट ने किया तलब

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Published : Sep 15, 2022, 10:15 PM IST

सीमेंट कंपनियों में सीमेंट बोर्ड की ओर से निर्धारित मजदूरी नहीं मिलने को लेकर श्री सीमेंट मजदूर संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर (Cement workers petition in High Court) की. इस पर सुुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीमेंट कंपनी व सेंट्रल चीफ लेबर कमिश्नर सहित सरकार से 6 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.

Cement workers petition in High Court related to less salary, Court issues Notice
सीमेंट कंपनियों में निर्धारित मजदूरी नहीं मिलने को लेकर याचिका, कोर्ट ने नोटिस किया जारी

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने सीमेंट बोर्ड नई दिल्ली की ओर से निर्धारित मजदूरी नहीं देने के मामले में नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. सीमेंट बोर्ड, नई दिल्ली ने सीमेंट उत्पादन में जुड़ी सभी निजी कम्पनियों एवं राष्ट्रीय स्तर के मजदूर संघों को सुन कर, सीमेंट उद्योग में काम करने वाले मजदूरों के देय वेतन व लाभ सर्वसम्मति से तय किए थे. लेकिन वास्तविकता में तय वेतनमान से कम भुगतान किया जा रहा है. इसे लेकर श्री सीमेंट मजदूर संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर (Cement workers petition in High Court) की.

जस्टिस अरूण भंसाली की अदालत में मजदूर संगठन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह बुटाटी ने कोर्ट को बताया कि संगठन से जुडे़ करीबन 1300 मजदूरों को सीमेंट बोर्ड, दिल्ली की निर्धारित मजदूरी सीमेंट कंपनी की ओर से नहीं दी जा रही है. जब कभी मजदूर तय मजदूरी की मांग उठाते हैंं, तो उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया जाता है, या उन पर पुलिस के मार्फत शान्ति भंग की कार्रवाई की जाती है.

पढ़ें: सिक्किम श्रमिकों के लिए खुशखबरी : सरकार ने न्यूनतम दैनिक मजदूरी में की वृद्धि

अधिवक्ता बुटाटी ने बताया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम में राजस्थान सरकार द्वारा संसोधन करने के कारण अब मजदूर औद्योगिक प्राधिकरण में जाने से भी वंचित हैं. हाईकोर्ट ने सीमेंट कंपनी व सेंट्रल चीफ लेबर कमीशनर सहित सरकार से 6 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि सीमेंट उत्पादन में राजस्थान देश में कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर है. 98% सीमेंट उद्योग निजी कम्पनियों के हाथों में है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने सीमेंट बोर्ड नई दिल्ली की ओर से निर्धारित मजदूरी नहीं देने के मामले में नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. सीमेंट बोर्ड, नई दिल्ली ने सीमेंट उत्पादन में जुड़ी सभी निजी कम्पनियों एवं राष्ट्रीय स्तर के मजदूर संघों को सुन कर, सीमेंट उद्योग में काम करने वाले मजदूरों के देय वेतन व लाभ सर्वसम्मति से तय किए थे. लेकिन वास्तविकता में तय वेतनमान से कम भुगतान किया जा रहा है. इसे लेकर श्री सीमेंट मजदूर संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर (Cement workers petition in High Court) की.

जस्टिस अरूण भंसाली की अदालत में मजदूर संगठन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह बुटाटी ने कोर्ट को बताया कि संगठन से जुडे़ करीबन 1300 मजदूरों को सीमेंट बोर्ड, दिल्ली की निर्धारित मजदूरी सीमेंट कंपनी की ओर से नहीं दी जा रही है. जब कभी मजदूर तय मजदूरी की मांग उठाते हैंं, तो उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया जाता है, या उन पर पुलिस के मार्फत शान्ति भंग की कार्रवाई की जाती है.

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अधिवक्ता बुटाटी ने बताया कि औद्योगिक विवाद अधिनियम में राजस्थान सरकार द्वारा संसोधन करने के कारण अब मजदूर औद्योगिक प्राधिकरण में जाने से भी वंचित हैं. हाईकोर्ट ने सीमेंट कंपनी व सेंट्रल चीफ लेबर कमीशनर सहित सरकार से 6 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. गौरतलब है कि सीमेंट उत्पादन में राजस्थान देश में कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर है. 98% सीमेंट उद्योग निजी कम्पनियों के हाथों में है.

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