जोधपुर. सूर्य नगरी जोधपुर 12 मई यानी गुरुवार को अपना 564 वां स्थापना दिवस मना रहा है. कोरोना के चलते पिछले दो स्थापना दिवस (Jodhpur Foundation Day) पर कोई बडे़ आयोजन नहीं हुए थे. इस बार जिला प्रशासन और जोधपुर के पूर्व राजपरिवार की ओर से आयोजन किया गया. आयोजन के माध्यम से शहर की एकता का संदेश दिया गया. पूर्व महाराज गजसिंह ने पूरे राजसी ठाठ बाठ से पूजा अचर्ना की. इस मौके पर मेहरानगढ़ में सम्मान समारोह आयोजित किया गया. विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया.
पूर्व सांसद गजसिंह ने जोधपुर के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि इस दिन हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सोचना चाहिए. हाल ही में जो कुछ शहर में हुआ वह बहुत बुरा हुआ. कुछ लोगों ने शांति बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन शहर के लोगों ने फिर से भाईचारा कायम किया. यह हमें आगे भी कायम रखना है. उन्होंने कहा कि हमारी धरोहरों, परंपराओं व संस्कृति को संरक्षित करने की जरूरत है. पुराने शहर का स्वरूप बना रहे इसके प्रयास होने चाहिए.
पूर्व सांसद ने कहा कि हम सबको मिलकर जोधपुर की तरक्की के बारे में काम करना चाहिए. मेहरानगढ में आयोजित समारोह (Celebration on Jodhpur Foundation day) में मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय के महानिदेशक सब्यासाची मुखर्जी, जोधपुर एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा, बतौर अतिथि शामिल हुए. इस मौके पर पूर्व राजपरिवार के सदस्य एवं आस पास के क्षेत्रों के लोग शामिल हुए.
प्रशासन ने दिया एकता का संदेशः उम्मेद स्टेडियम में आयोजित समारेाह में जिला प्रशासन की ओर से सभी धर्मों के बच्चों को शामिल करके झांकी बनाई गई. सभी के हाथों में जोधपुर का प्रतीक मेहरानगढ़ नजर आया. जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने कहा कि जो कुछ भी शहर में हुआ उससे आगे बढ़कर एकता दिखानी है. हमें हमारी अपणायत नहीं भूलनी है. पुलिस कमिश्नर नवज्योति गोगई ने कहा कि हमें भाईचारा का वातावरण बनाए रखना चाहिए. राज्य पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह सेालंकी ने कहा कि जो कुछ हुआ वह जोधपुर की रिवायत नहीं रही है. हमें इससे आगे बढ़ना है, क्योंकि जहां अमन शांति होती है वहां विकास होता है.
1459 में हुई थी स्थापना: जोधपुर की स्थापना 1459 में राव जोधा ने की थी. इसका आकर्षण पांच किलोमीटर में फैला मेहरानगढ़ दुर्ग है, जो 125 मीटर उंचाई पर स्थित है. इसके बाद जोधा की संतान ने राज किया. जोधुपर के शासकों ने मुगलों से भी लोहा लिया था. लेकिन मुगलों का आदिपत्य नहीं हुआ. आधुनिक जोधपुर का श्रेय महाराज उमेद सिंह को जाता है. उनके शासन में जोधपुर में बहुत विकास हुआ. जनता को भीषण अकाल के दौर में काम देने के लिए उमेद पैलेस का निर्माण करवाया था.