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CBI ने आनंदपाल सिंह की बेटी, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी

आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद उसके पैतृक गांव सांवराद में दंगा भड़कने के मामले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है. सीबीआई ने आनंदपाल सिंह की पुत्री, वकील और राजपूत समाज के नेताओं को दंगे भड़काने और तत्काली एसपी पर जानलेवा हमला करने का दोषी माना हैं.

chargesheet in Sanvad riot case, Anandpal Singh's daughter
सीबीआई ने आनंदपाल सिंह की पुत्री, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी
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Published : Jun 27, 2020, 7:09 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 11:03 PM IST

जोधपुर. पुलिस हिरासत से भागने के बाद चूरू जिले में एनकाउंटर में हार्डकोर आनंदपाल सिंह की मौत के विरोध में पैतृक गांव सांवराद में तीन साल पूर्व दंगे भड़कने के मामले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली. आनंदपाल सिंह की पुत्री और वकील के अलावा राजपूत समाज के नेताओं को दंगे भड़काने, तत्कालीन नागौर एसपी और महिला आईपीएस पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी माना गया.

सीबीआई ने आनंदपाल सिंह की पुत्री, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी

सीबीआई नई दिल्ली की स्पेशल क्राइम ब्रांच-2 के उप महानिरीक्षक जगरूप गुरु सिन्हा के निर्देशन में उपाधीक्षक मुकेश शर्मा ने 24 आरोपियों के खिलाफ जोधपुर की सीबीआई मामलात की अदालत में चार्जशीट पेश की.

सीबीआई ने इनको माना आरोपी

ढाई साल की जांच में सीबीआई ने लोकेंद्र सिंह कालवी, सुखदेव सिंह गोगामेढ़ी, हनुमान सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, योगेन्द्र सिंह कतर, दुर्ग सिंह, रंजीत सिंह मंगला उर्फ रंजीत सिंह सोढाला, रंजीत सिंह गेंदिया, रणवीर सिंह गुड़ा, ओकेन्द्र राणा उर्फ हितेन्द्र सिंह राणा, चरणजीत सिंह कंवर उर्फ चीनू, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, गिरीराज सिंह लोटवाड़ा, महावीर सिंह, प्रताप सिंह राणावत, प्रेम सिंह बनवासा, भंवर सिंह रेता, दिलीप सिंह, जब्बर सिंह, मोहन सिंह हट्टौज, युनूस अली, राजेन्द्र सिंह गुड़ा व घनश्याम सिंह त्योड के खिलाफ जोधपुर स्थित एसीजेएम सीबीआई मामलात की विशेष अदालत में चालान पेश किया.

यह था पूरा मामला

सीबीआई ने 5 जनवरी 2018 को राजस्थान सरकार के अनुरोध व बाद में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पुलिस स्टेशन जसवंतगढ़ नागौर में पहले से दर्ज की गई एफआईआर संख्या 115/2017 की जांच का जिम्मा संभाला. इस एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 24 जून 2017 को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद आनंद पाल सिंह की मृत्यु हो गई और उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इसके बजाय सरकार की ओर से उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए मृतक के पैतृक गांव सांवराद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

पढ़ें- जोधपुर में केटरिंग की आड़ में चल रहे देह व्यापार का भंडाफोड़, 6 युवतियों सहित 2 दलाल गिरफ्तार

आरोपियों में से एक ने लोगों को सांवराद का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया. जहां 12 जुलाई 2017 को सांवराद में बड़ी संख्या में भीड़ एकत्र हुई. सांवराद तिराहा पर पुलिस नियंत्रण कक्ष में आए और प्रशासन को उनकी अवैध मांगों को स्वीकार करने की धमकी दी. कथित तौर पर बड़ी संख्या में लोग मंच पर आए और भीड़ को उकसाने के लिए अभद्र भाषण दिए. कुछ पुलिस कर्मियों को कथित तौर पर एक घर में बंदी बना लिया गया था और भीड़ ने हथियार (9 मिमी सर्विस पिस्टल, कारतूस आदि), मोबाइल फोन और अन्य सामान छीन लिए.

पढ़ें- कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा के DIG पर संगीन आरोप, कहा- वर्दी की आड़ में सबसे बड़ा गुंडा लक्ष्मण गौड़

यह भी आरोप लगाया गया कि अनियंत्रित भीड़ ने एसपी नागौर के वाहन पर हमला किया, जिससे पुलिस कर्मियों को चोटें आईं और एसपी, नागौर के आधिकारिक वाहन को जला दिया गया. सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करने के कथित हिंसा / दंगों से संबंधित मामले में एसीजेएम, सीबीआई मामले, जोधपुर (राजस्थान) की अदालत में 24 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.

जोधपुर. पुलिस हिरासत से भागने के बाद चूरू जिले में एनकाउंटर में हार्डकोर आनंदपाल सिंह की मौत के विरोध में पैतृक गांव सांवराद में तीन साल पूर्व दंगे भड़कने के मामले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली. आनंदपाल सिंह की पुत्री और वकील के अलावा राजपूत समाज के नेताओं को दंगे भड़काने, तत्कालीन नागौर एसपी और महिला आईपीएस पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी माना गया.

सीबीआई ने आनंदपाल सिंह की पुत्री, वकील सहित समाज के 24 नेताओं को माना दोषी

सीबीआई नई दिल्ली की स्पेशल क्राइम ब्रांच-2 के उप महानिरीक्षक जगरूप गुरु सिन्हा के निर्देशन में उपाधीक्षक मुकेश शर्मा ने 24 आरोपियों के खिलाफ जोधपुर की सीबीआई मामलात की अदालत में चार्जशीट पेश की.

सीबीआई ने इनको माना आरोपी

ढाई साल की जांच में सीबीआई ने लोकेंद्र सिंह कालवी, सुखदेव सिंह गोगामेढ़ी, हनुमान सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, योगेन्द्र सिंह कतर, दुर्ग सिंह, रंजीत सिंह मंगला उर्फ रंजीत सिंह सोढाला, रंजीत सिंह गेंदिया, रणवीर सिंह गुड़ा, ओकेन्द्र राणा उर्फ हितेन्द्र सिंह राणा, चरणजीत सिंह कंवर उर्फ चीनू, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, गिरीराज सिंह लोटवाड़ा, महावीर सिंह, प्रताप सिंह राणावत, प्रेम सिंह बनवासा, भंवर सिंह रेता, दिलीप सिंह, जब्बर सिंह, मोहन सिंह हट्टौज, युनूस अली, राजेन्द्र सिंह गुड़ा व घनश्याम सिंह त्योड के खिलाफ जोधपुर स्थित एसीजेएम सीबीआई मामलात की विशेष अदालत में चालान पेश किया.

यह था पूरा मामला

सीबीआई ने 5 जनवरी 2018 को राजस्थान सरकार के अनुरोध व बाद में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने पुलिस स्टेशन जसवंतगढ़ नागौर में पहले से दर्ज की गई एफआईआर संख्या 115/2017 की जांच का जिम्मा संभाला. इस एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि 24 जून 2017 को पुलिस के साथ मुठभेड़ के बाद आनंद पाल सिंह की मृत्यु हो गई और उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इसके बजाय सरकार की ओर से उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए मृतक के पैतृक गांव सांवराद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

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आरोपियों में से एक ने लोगों को सांवराद का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया. जहां 12 जुलाई 2017 को सांवराद में बड़ी संख्या में भीड़ एकत्र हुई. सांवराद तिराहा पर पुलिस नियंत्रण कक्ष में आए और प्रशासन को उनकी अवैध मांगों को स्वीकार करने की धमकी दी. कथित तौर पर बड़ी संख्या में लोग मंच पर आए और भीड़ को उकसाने के लिए अभद्र भाषण दिए. कुछ पुलिस कर्मियों को कथित तौर पर एक घर में बंदी बना लिया गया था और भीड़ ने हथियार (9 मिमी सर्विस पिस्टल, कारतूस आदि), मोबाइल फोन और अन्य सामान छीन लिए.

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यह भी आरोप लगाया गया कि अनियंत्रित भीड़ ने एसपी नागौर के वाहन पर हमला किया, जिससे पुलिस कर्मियों को चोटें आईं और एसपी, नागौर के आधिकारिक वाहन को जला दिया गया. सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करने के कथित हिंसा / दंगों से संबंधित मामले में एसीजेएम, सीबीआई मामले, जोधपुर (राजस्थान) की अदालत में 24 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.

Last Updated : Jun 27, 2020, 11:03 PM IST
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