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Asaram Case in Rajasthan HC: पीड़िता के अधिवक्ता ने बहस के लिए मांगा समय, आसाराम के प्रार्थना पत्र पर अब 18 जनवरी को सुनवाई

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Published : Jan 13, 2022, 8:08 PM IST

यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कोर्ट से कहा कि उनकी ओर से पेश प्रार्थना पत्र की कॉपी पहले ही पीड़िता के अधिवक्ता को तामिल करवा दी गई थी. पीड़िता के अधिवक्ता ने इस मामले में बहस के लिए समय मांगा है. अगली सुनवाई (Asaram case next hearing) 18 जनवरी को होगी.

Asaram Case in Rajasthan High court
राजस्थान उच्च न्यायालय में आसाराम केस

जोधपुर. यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि उनकी ओर से पेश प्रार्थना पत्र की कॉपी पहले ही पीड़िता के अधिवक्ता को तामिल करवा दी गई थी.

पीड़िता की ओर से अधिवक्ता पीसी सोंलकी ने कहा कि प्रार्थना पत्र की कॉपी प्राप्त कर ली है, लेकिन आज वो इस मामले में बहस करने को तैयार नहीं हैं. इस पर न्यायालय ने प्रार्थना पत्र पर बहस के लिए आगामी 18 जनवरी की तारीख मुकरर्र कर दी.

पढ़ें: Rajasthan High Court : फेसबुक पोस्ट लिखने पर अधिवक्ता के खिलाफ जज की अवमानना याचिका खारिज

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 391 का एक प्रार्थना पत्र लम्बित है. उस पर सुनवाई की जाए. न्यायालय ने अधिवक्ता को निर्देश दिए हैं कि उस प्रार्थना पत्र की एक कॉपी पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी जाए. आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने जो प्रार्थना पत्र पेश किया है, उसमें तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा से सम्बंधित है.

पढ़ें: Rajasthan HC Administration Orders: अधीनस्थ अदालतों में अब वर्चुअली सुनवाई के आदेश

उन्होंने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है. इसमें एक पेज पर कुछ लिखा है. उसे आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लाम्बा जो कि इस केस में अधिकारी थे, उसकी साक्ष्य करवाना चाहते हैं. उन्होंने लाम्बा को न्यायालय में बुलाने एवं साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. लाम्बा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दुबारा साक्ष्य करवाना चाहते हैं.

जोधपुर. यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि उनकी ओर से पेश प्रार्थना पत्र की कॉपी पहले ही पीड़िता के अधिवक्ता को तामिल करवा दी गई थी.

पीड़िता की ओर से अधिवक्ता पीसी सोंलकी ने कहा कि प्रार्थना पत्र की कॉपी प्राप्त कर ली है, लेकिन आज वो इस मामले में बहस करने को तैयार नहीं हैं. इस पर न्यायालय ने प्रार्थना पत्र पर बहस के लिए आगामी 18 जनवरी की तारीख मुकरर्र कर दी.

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गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 391 का एक प्रार्थना पत्र लम्बित है. उस पर सुनवाई की जाए. न्यायालय ने अधिवक्ता को निर्देश दिए हैं कि उस प्रार्थना पत्र की एक कॉपी पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी जाए. आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने जो प्रार्थना पत्र पेश किया है, उसमें तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा से सम्बंधित है.

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उन्होंने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है. इसमें एक पेज पर कुछ लिखा है. उसे आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लाम्बा जो कि इस केस में अधिकारी थे, उसकी साक्ष्य करवाना चाहते हैं. उन्होंने लाम्बा को न्यायालय में बुलाने एवं साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. लाम्बा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दुबारा साक्ष्य करवाना चाहते हैं.

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